सरस्वती एक गांव में रहने वाली महिला ने अपने बेटे को शांति पूर्वक किसी भी बात को कैसे सहन है यह बताती है
prastut pustak ek samsamyik , kal-khand se pare , parlaukik sandeshon adi suktiyon se bharpur sandeshatmak evam vicharatmak vidha par likhi gai hai . yah lekhak ke apne vichar hain par yah kahin bhi samayojit ho jate hain . Read more
सन्दर्भ- प्रस्तुत पद 'हिन्दी काव्य' में संकलित एवं मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित खण्डकाव्य 'पंचवटी' से लिया गया है। प्रसंग- यहाँ कवि ने पंचवटी के प्राकृतिक सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया है। व्याख्या- गुप्त जी कहते हैं कि सुन्दर चन्द्रमा की किरणें जल और
The author wants to show through his feelings and words that the miracle of thoughts has a great effect on our lives, poems written in this book written by the author, articles written in ghazals! Each of his words will tell a new direction to our li
पुरुष का जीवन कुछ बाते जाने क्या कहता उसका मन कुछ उनके लिए बात समझे वो भी दूसरों के जज़्बात
This Book explains hidden fact of Indian Constitution. This book has been divided into two parts. First part elaborated the facts of Indian Constitution and Second part is the poetic form of Indian Constitution. The second part of this book was publi
गुप्त जी कवि की यह भी अधिमान्यता है कि उसकी मातृभूमि की धूल परम पवित्र है। यह धूल शोकदार में दहते हुए प्राणी को दुःख सहने की क्षमता देती है। पाखण्डी-ढोंगी व्यक्ति भी इस धूली को तन-माथे लगाकर साधु-सज्जन बन जाता है। इस मिट्टी में वह शक्ति है जो क्रूर ह
yah pustak lok prashasan k pathko k liye ek sargarbhit rchna h. es pustak k antargat lok prashasan k jatil sidhhanto ko bhut hi saral sawrup me prastut kiya gya h. hindi madhyam k chatro k liye yah rchna ati upyogi sidh hogi. yah pustak n keval B A o
ये कहानी है एक बहु की नजर से उसकी सास "अम्मा" की ...या कह सकते है मेरी दादी की.. मेरी माँ की नजर से.. मैंने कहने की कोशिश की है जो मैने देखा, सुना, समझा... ये मेरी ओर से मेरी दादी के लिए एक श्रद्धांजलि हैं l 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 सुबह के छह बज रहे थे..
जब बुराई एक महाकाय रूप धारण कर लेती है, जब ऐसा प्रतीत होता है कि सबकुछ लुप्त हो चुका है, जब आपके शत्रु विजय प्राप्त कर लेंगे, तब एक महानायक अवतरित होगा।क्या वह रूखा एवं खुरदुरा तिब्बती प्रवासी शिव सचमुच ही महानायक है? और क्या वह महानायक बनना भी चाहता
लड़की होना मेरे लक्ष्य पर पड़ा था भारी जिस स्याही से मेरी किस्मत लिखी वह थी काली । आंखें बंद कर जिन अपनों पर विश्वास किया उन्हीं ने तो मेरी सभी ख्वाहिशों का गला घोटा । जो बोलते थे कि लड़का लड़क
लेकिन आदर्शवाद की एक कीमत होती है. उसे वह कीमत चुकानी पड़ी. ३4०० ईसापूर्व, भारत. अलगावों से अयोध्या कमज़ोर हो चुकी थी. एक भयंकर युद्ध अपना कर वसूल रहा था. नुक्सान बहुत गहरा था. लंका का राक्षस राजा, रावण पराजित राज्यों पर अपना शासन लागू नहीं करता
बुंदेलखंड के आधुनिक कवि (संपादक- राजीव नामदेव राना लिधौरी',) टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड के 71कवियों की रचनाएं परिचय व फोटो सहित एक बार जरूर पढ़िएगा
तिच्या मिठीत रात्रं, मस्त निघून जाते........ . चंद्र चांदणी लपून छपून, आमचं प्रेम पहाते......
कोरोना की वैक्सीन बन गयी है, किन्तु हर रोज की तरह आज भी मार्किट में भारी भीड़ लगी हुई थी। उसी भीड़-भाड़ वाले मार्किट में मैं भी था; जहाँ कोई मास्क लगाए नहीं था, वहाँ मैंने मास्क लगा रखा था ! लोग अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे, क्योंकि मैं उन्हें 'मास्क'
बहुत समय पूर्व जब गुरुकुल शिक्षा की प्रणाली होती थी | तब हर बालक को अपने जीवन के पच्चीस वर्ष गुरुकुल में बिताना पड़ता था | उस समय एक प्रचंड पंडित राधे गुप्त हुआ करते थे जिनका गुरुकुल बहुत प्रसिद्ध था | जहाँ दूर-दूर के राज्य के शिष्य शिक्षा प्राप्त करन
कहानियां मनोरंजक और आनंदप्रद दोनों हो सकती हैं। वे अंतर्दृष्टि और ज्ञान से भरी हो सकती हैं, ख़ासकर जब उन्होंने सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी सफ़र किया हो, और हर पुनर्कथन के साथ नए अर्थ अपनाए और छोड़े हों। इस विधा-परिवर्तक, श्रृंखला की पहली किताब में अमीश