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सामाजिक की किताबें

Social books in hindi

विभिन्न विषयों पर सामाजिक पुस्तकों को पढ़ें Shabd.in पर। हमारा यह संग्रह समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। इस संग्रह की मदद से हम पारिवारिक रिश्ते, जात-पात, अमीर-गरीब, दहेज, रंग भेद जैसे कई मुद्दों पर समाज को रौशनी दिखाने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा भी भौगोलिक स्थिति के वजह से हाशिये पर रहे समाज की स्थिति पर भी हम समीक्षा देते हैं। तो चलते हैं समाजिक पहलुओं पर चेतना जगाने Shabd.in के साथ।
जरूरत के रिश्ते

यह एक एक भिखारिन की कहानी है लोग उसका उपयोग कैसे करते हैं

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बिश्रामपुर का संत

बिश्रामपुर का संत' समकालीन जीवन की ऐसी महागाथ है जिसका फलक बड़ा विस्तीर्ण है और जो एक साथ कई स्तरों पर चलती है ! एक ओर यह भूदान आन्दोलन की पृष्ठभूमि में स्वातंत्रयोत्तर भारत में सत्ता के व्याकरण और उसी क्रम में हमारी लोकतान्त्रिक त्रासदी की सूक्ष्म पड़

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11 मई 2022
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श्रीलाल शुक्ल की लोकप्रिय कहानियाँ

श्रीलाल शुक्ल जितने बड़े व्यंग्यकार हैं, उतने ही सशक्त कहानीकार भी, जिनकी कहानियों का बिल्कुल अलग अंदाज है, जिनमें एक धीमा-धीमा व्यंग्य अकसर घुला-मिला होता है। इससे कहानी जो कुछ कहती है, उसके अलावा भी कई और दिशाएँ और आशय खुलते हैं, जिनमें जीवन की विस

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मन की बातें (कहानी संग्रह)

मन से लिखी ,मनो मे घर करने वाली कहानियां।

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8 जून 2022
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मैं हार गई

मैं हार गई इस संग्रह की कहानियाँ मानवीय अनुभूति के धरातल पर रची गई ऐसी रचनाएँ हैं जिनके पात्र वायवीय दुनिया से परे, संवेदनाओं और अनुभव की ठोस तथा प्रामाणिक भूमि पर अपने सपने रचते हैं; और ये सपने परिस्थितियों, परिवेश और अन्याय की परम्पराओं के दबाव के

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एक प्लेट सैलाब

साहस और बेबाकबयानी के कारण मन्नू भंडारी ने हिन्दी कथा-जगत् में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। नैतिक-अनैतिक से परे यथार्थ को निर्द्वन्द्व निगाहों से देखना उनके कथ्य और उनकी कहन को हमेशा नया और आधुनिक बनाता है। मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच

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11 मई 2022
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प्रवासी मजदूरों का दर्द

कोरोनावायरस के चलते देश में लाक डाउन लगा हुआ है। जिसके चलते अन्य राज्यों में बसे हुए मजदूरों का पलायन हो रहा है। और मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं। इन्हीं मजदूरों पर केंद्रित मेरी ये कविता है।                        बस चले जा रहे हैं। बे

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सच्चा दान

एक गरीब आदमी का दिया हुआ दान

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मालगुडी डेज की प्रसिद्ध कहानियाँ

मालगुडी के सुप्रसिद्ध भारतीय लेखक आर के नारायण की अनेक रचनाओं में केंद्रीय महत्व प्राप्त एक काल्पनिक शहर (कस्बा) का नाम है। उन्होंने इस काल्पनिक शहर को आधार बनाकर अपनी अनेक रचनाएँ की हैं। मालगुडी को प्रायः दक्षिण भारत का एक काल्पनिक कस्बा माना जाता ह

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10 अध्याय
31 जुलाई 2022
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ये जीवन है।

यह हमारे दैनिक जीवन से जुड़े छोटे-बडे़ अनुभवों को एक पुस्तक के रूप में की गई प्रस्तुति है..... हमारा जीवन, जो अनेक उतार-चढ़ाव और संघर्षों से ही बनता है, उसी से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर खोजने का एक छोटा सा प्रयास है। आशा करती हूं पाठकों को पसंद

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मेरी आराधना

इस पुस्तक में मैंने जीवन के यथार्थ पहलुओं को एवं मानव मानस के भावो को कविता के माध्यम से आप सभी सुधिजनो के मध्य लाने का प्रयास किया है ।यह मेरा प्रथम काव्य संग्रह है जिसमे मैन अपने जीवन के अनुभवों को शब्दों के रूप में पिरोया है ,दिल से पढियेगा तो अव

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29 अध्याय
4 जून 2022
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"क्या तुम मेरे हो?"

यह कहानी एक घमंडी लड़की फातिहा की है जो विदेश से हिन्दुस्तान अपने दादी के घर आती है।। उसके दिमाग़ मे हिन्दुस्तानी लोगों को जाहिल और अनपढ़ समझती है।। लेकिन उसका सामना होता है अपने ही कजिन उमम से।। दोनों में अपनी अपनी सोच को लेकर नोक झोंक चलती रहती है

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रचनाओं का संसार

रचनाएं बहुत सारी लिखी गई हैं। आगे भी लिखी जाएंगी। कुछ छंद बद्ध,कुछ मुक्त छंद,तुकांत कविता,अतुकान्त कविता अलग अलग छंदों, मुक्त छंद की रचनाओं का प्रकाशन किया जाएगा।

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दुर्योधन कब मिट पाया

जब सत्ता का नशा किसी व्यक्ति छा जाता है तब उसे ऐसा लगने लगता है कि वो सौरमंडल के सूर्य की तरह पूरे विश्व का केंद्र है और पूरी दुनिया उसी के चारो ओर ठीक वैसे हीं चक्कर लगा रही है जैसे कि सौर मंडल के ग्रह जैसे कि पृथ्वी, मांगल, शुक्र, शनि इत्यादि सूर्य

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15 मई 2022
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मेरी शुरूवात

यह पुस्तक लेखक के प्रारंभिक प्रयास को दर्शाएगी l

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2 अध्याय
15 मई 2022
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Stop body shaming... 🙏

कभी कभी हम बिना कुछ सोचें समझे मस्ती मजाक में सामने वाले के शरीर को लेकर टिप्पणी कर देते हैं.... उसका क्या असर पड़ सकता हैं... बस ये ही हैं इस छोटे से लेख में...।

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वृंदावन  लाल वर्मा की रोचक  कहानियाँ

इन्हे बचपन से ही बुन्देलखंड की ऐतिहासिक विरासत में रूचि थी। जब ये 19 साल के किशोर थे तो इन्होंने अपनी पहली रचना ‘महात्मा बुद्ध का जीवन चरित’(1908) लिख डाली थी। उनके लिखे नाटक ‘सेनापति दल’(1909) में अभिव्यक्त विद्रोही तेवरों को देखते हुये तत्कालीन अ

8 पाठक
41 अध्याय
28 जुलाई 2022
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