'बा अदब' एक अदबी शायरी संग्रह है, जिसे ज़िन्दगी जीते हुए, ज़िन्दगी को महसूस करते हुए लिखा गया है. इसे पढ़ते वक्त आपको ऐसा लगेगा जैसे आपकी ही बात को हु -ब -हु कह दी गयी है.
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों एवं संविधान को ताक पर रखकर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। ये भारत समेत अन्य विकासशील देशों में तेजी से फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार
अक्सर हम किसी भी काम को करने के लिए जब सोचते है, और बात आती है उसमें सफलता य असफलता की, तो हम डर जाते है, और हमारे अंदर का संकल्प कमजोर होने लगता है, ऐसे में जब हम अपने काम को शुरू करे य न करें इस विचार से लड़ते है और अपना पहला कदम अपने काम के।लिए बढ़ा
पारिजात में मेरे द्वारा लिखी कुछ कविताओं का संकलन है जो कल्पना के विमान से यथार्थ की भूमि पर उतरता है!!!
यह एक लोकप्रिय धारणा है कि रामायण आदर्शवादी है, जबकि महाभारत यथार्थवादी है। फिर भी ये दो महाकाव्यों में समान निर्माण खंड, समान विषयवस्तु और समान इतिहास है। इस अभूतपूर्व पुस्तक में, भारत के सबसे लोकप्रिय पौराणिक कथाकार, देवदत्त पटनायक ने इसकी पड़त
यहाँ पर ग्लोबल वार्मिग के बारे मे बात करेंगे| इसकी वजह से पूरी पृथ्वी पर आने वाले समय मैं भयंकर तबाही आ सकती है
यह मेरा पहला काव्य संग्रह है आशा आप लोगो को यह अवश्य पसंद आएगा,और इसे आपका भरपूर स्नेह मिलेगा। यह संग्रह मैं अपने कुछ अनुभवों और हिन्दी काव्य के प्रति प्रेम से प्रेरित होकर लिखा है।
तीन निगाहों की एक तस्वीर आपका बंटी और महाभोज जैसे कालजयी उपन्यासों की रचयिता मन्नू भंडारी की कहानियाँ अपने मन्तव्य की स्पष्टता, साफगोई और भाषागत सहजता के लिए खासतौर पर उल्लेखनीय रही हैं। उनकी कहानियों में जीवन की बड़ी दिखनेवाली जटिल और गझिन समस्याओं
गाय माता से जुड़ी जानकारी
परिवर्तन का समय अभी है। विकल्प स्पष्ट और भयानक है। अगर हम वर्तमान ढर्रे पर ही चलते रहे तो विश्व के अन्य लोग हमसे आगे निकल जाएँगे। गरीबी व बेरोजगारी और ज्यादा बढ़ जाएगी, जो हमारे समाज को अंतर्विस्फोट की ओर ले जाएगी। और अगर हम बदलाव लाएँगे तो हम वास्तव
जल जीवन का आधार है और हिमनद जल का स्रोत बड़े-बड़े हिमखंड, जो अपने ही भार के कारण निम्न भूमि की ओर खिसकते रहते हैं, बर्फ के ऐसे ही विशाल संग्रह को हिमनद कहते हैं। यही ठोस बर्फ पिघलकर नदी के रूप में बहती है जो मानव ही नहीं, प्राणिमात्र को शुद्ध और स्वच
नया साल आता है। ये हर साल आता है। कुछ यादें लेकर, कुछ उम्मीदें लेकर ये हर साल आता है। नया साल आता है। कुछ सबक सिखाने, कुछ नया लक्ष्य दिखाने ये हर साल आता है। भूले बिसरे, लोगों को मिलाता है। जब भी नया साल आता है।
वरिष्ठ कवि कुँवर नारायण घनी भूत जीवन-विवेक सम्पन्न रचनाकार हैं। इस विवेक की आँख से वे कृतियों, व्यक्तियों, प्रवृत्तियों व निष्पत्तियों में कुछ ऐसा देख लेते हैं जो अन्यत्र दुर्लभ है। समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गए लेख आदि इसका प्रमाण हैं। ‘रुख’ कुँवर
आसान दीखनेवाली मुश्किल कृति ‘हमारा शहर उस बरस’ में साक्षात्कार होता है एक कठिन समय की बहुआयामी और उलझाव पैदा करनेवाली डरावनी सच्चाइयों से। बात ‘उस बरस’ की है, जब ‘हमारा शहर’ आए दिन साम्प्रदायिक दंगों से ग्रस्त हो जाता था। आगजनी, मारकाट और तद्जनित दहश
Mahashivratri parv Bharat ka bahut purana tyohar hai yah bholenath ke vivah aur is srishti utpati ke roop Mein manaya jata hai Bharat ki logon ka bolenath par atoot vishwas hai Bharat ke log hi Nahin Kai deshon ke log bhi bhagwan Shankar ki puja ka
इसे आप हिंदी की पहली मौलिक डिक्शनरी कहें, थिसॉरस, व्यंग्य निबंधों का संग्रह या कुछ और, लेकिन एक बार पढ़ना शुरू करेंगे तो बिना खत्म किए छोड़ नहीं पाएँगे। हिंदी के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश में इस्तेमाल होनेवाले पचास प्रचलित शब्दों की निहायत ही अप्रचलित