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समसामयिक संदर्भ में भगत सिंह के विचार

30 अक्टूबर 2015

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भगत सिंह को भारत के सभी विचारों वाले लोग बहुत श्रद्धा और सम्मान से याद करते हैं। वे उन्हें देश पर कुर्बान होने वाले एक जज़बाती हीरो और उनके बलिदान को याद करके उनके आगे विनत होते हैं। वे उन्हें देवत्व प्रदान कर तुष्ट हो जाते हैं और अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेते हैं। असल में भगत सिंह क्या थे, क्या चाहते थे, उनका आज़ादी का सपना कैसा था, उनका विज़न क्या था और सर्वोपरि वे आम आदमी को कहां प्रतिष्ठित करना चाहते थे यह जानना आवश्यक नहीं समझते। क्या हम इस दृष्टि से भी भगत सिंह को देख सक सकते हैं ? भगत सिंह ने कहा था- वे (अंग्रेज) सोचते हैं कि मेरे शरीर को नष्ट कर, इस देश में सुरक्षित रह जायेंगे। यह उनकी गलतफहमी है। वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन मेरे विचारों को नहीं। वे मेरे शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर सकते हैं, लेकिन वे मेरी आंकाक्षाओं को दबा नहीं सकते।सचमुच बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक हमारे देश में न अंग्रेज सुरक्षित रह सके और न ही भगत सिंह के विचारों व आकांक्षाओं को दबाया जा सका। इतिहास साक्षी है कि मृत भगत सिंह जीवित भगत सिंह से ज्यादा खतरनाकसाबित हुए और उनके क्रान्तिकारी विचारों से तत्कालीन नौजवान पीढ़ी मदहोशऔर आजादी एवं क्रान्ति के लिए पागलहोती रही। वह लाठियां-गोलियां खाती रही और शहीदों की कतारें सजाती रही। लेकिन 1947 के बाद के भारत की तस्वीर नितांत अलग दिखने लगी। और आज सब कुछ न केवल पूंजीवाद की भेंट चढ़ चुका है बल्कि भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों का भारत के भविष्य का असल सपना भी धूमिल हो गया है। 1947 के सत्ता हस्तान्तरण के बाद जनता के व्यापक हिस्से को लगा था कि देश व उनके जीवन की बदहाली रूकेगी और समृद्धि व खुशियाली का एक नया दौर शुरू होगा। लेकिन मात्र कुछ सालों में ही यह अहसास हो गया कि जो दिल्ली की गद्दी पर बैठे हैं वे उनके प्रतिनिधि नहीं हैं। उन्होंने देश व जनता के विकास की जो आर्थिक नीतियां अपनाईं और उनका जो नतीजा सामने आया, उससे साफ पता चल गया कि वे बड़े जमीन्दारों व बड़े पूंजीपतियों के साथ-साथ साम्राज्यवाद के भी हितैषी हैं। उनका मुख्य उद्देश्य मिहनतकश जनता की गाढ़ी कमाई को लूटना है और शोषक-शासक वर्गों की तिजोरियां भरना है। भगत सिंह देश के विकास की इस प्रक्रिया को अच्छी तरह समझते थे। तभी तो उन्होंने कहा था कि कांग्रेस जिस तरह आन्दोलन चला रही है उस तरह से उसका अन्त अनिवार्यतः किसी न किसी समझौते से ही होगा।उन्होंनेे यह भी कहा था कि यदि लाॅर्ड रीडिंग की जगह पुरूषोत्तम दासऔर लार्ड इरविन की जगह तेज बहादुर सप्रूआ जायें तो इससे जनता को कोई फर्क नहीं पड़ेगा और उनका शोषण-दमन जारी रहेगा। उन्होंने भारत की जनता को आगाह किया था कि हमारे देश के नेता, जो शासन पर बैठेंगे, वे विदेशी पूंजी को अधिकाधिक प्रवेशदेंगे और पूंजीपतियों व निम्न-पूंजीपतियों को अपनी तरफमिलायेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में बहुत शीघ्र हम उस वर्ग और उसके नेताओं को विदेशी शासकों के साथ जाते देखेंगे, तब उनमें शेर और लोमड़ी का रिश्ता नहीं रह जायेगा।सचमुच आजाद भारतके विकास की गति इसी प्रकार रही है। 1947 में 248 विदेशी कम्पनियां हमारे देश में कार्यरत थीं, जिनकी संख्या आज बढ़कर करीब 15 हजार हो गई है। आज विदेशी पूंजी एवं भारतीय दलाल पूंजी का गठजोड़ अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में दिखाई पड़ रहा है। खासकर, 1991 के बाद उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण की जो प्रक्रिया चली उससे हमारे देश के शासक वर्गों का असली साम्राज्यवाद परस्त चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो गया। आज औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ कृषि व सेवा क्षेत्रों में भी विदेशी पूंजी का अधिकाधिक प्रवेशहो रहा है। करोड़ों रू. का लाभ अर्जित करने वाली नवरत्नोंसमेत दर्जनों सार्वजनिक कम्पनियों का विनिवेशीकरण किया जा रहा है और उनके शेयरों को मिट्टी के मोल बड़े-बड़े पूंजीपतियों को बेचा जा रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, सिंचाई, व्यापार, सड़क, रेल, हवाई व जहाजरानी परिवहन, बैंकिंग, बीमा व दूरसंचार आदि सेवाओं का धड़ल्ले से निजीकरण किया जा रहा है और इनमें से अधिकांश क्षेत्रों में 74 से 100 प्रतिशत तक विदेशी पूंजी लगाने की छूट दे दी गई है। कृषि, जो आज भी देश की कुल आबादी के कम से कम 65 प्रतिशत लोगों की जीविका का मुख्य साधन बना हुआ है, को मोन्सेन्टो व कारगिल जैसी विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का चारागाह बना दिया गया है। निगमीकृत खेती’, बड़ी-बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रोंके नाम पर बड़े पैमाने पर किसानों व आदिवासियों की जमीन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को सुपूर्द की जा रही है। पहले ये कम्पनियां खेती में खाद, बीज, कीटनाशक दवाओं व अन्य कृषि उपकरणों की आपूर्ति करती थीं, अब कृषि उत्पादों के खरीद व व्यापार में भी वे अहम् भूमिका निभा रही हैं। आज कृषि समेत हमारी पूरी अर्थव्यवस्था विश्व बैंक, आई.एम.एफ. व विश्व व्यापार संगठन जैसी साम्राज्यवादी संस्थाओं के चंगुल में बुरी तरह फंस गई है। नतीजतन, लाखों कल-करखाने बंद हो रहे हैं, दसियों लाख मजदूरों-कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है और विगत 20 सालों में करीब 5 लाख किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा है। और जब किसान-मजदूर व जनता के अन्य तबके अपने हक-अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष छेड़ते हैं, तो उन पर लाठियां व गोलियां बरसाई जाती हैं और उनकी एकता को खंडित करने के लिए धार्मिक उन्माद, जातिवाद व क्षेत्रवाद को भड़काया जाता है। जाहिर है कि साम्राज्यवादी वैश्वीकरण व लूट-खसोट के इस भयानक दौर में भगत सिंह के विचार काफी प्रासंगिक हो गये हैं। खासकर, साम्राज्यवाद, धार्मिक-अंधविश्वास व साम्प्रदायिकता, जातीय उत्पीड़न, आतंकवाद, भारतीय शासक वर्गों के चरित्र, जनता की मुक्ति के लिए एक क्रान्तिकारी पार्टी के निर्माण व क्रान्ति की जरूरत, क्रान्तिकारी संघर्ष के तौर-तरीके और क्रान्तिकारी वर्गों की भूमिका के बारे में उनके विचारों को जानना और उन्हें आत्मसात करना आज क्रान्तिकारी समूहों का फौरी दायित्व हो गया है। अपने बयानों और लेखों में भगत सिंह ने क्रान्ति की अवधारणा एवं क्रान्तिकारी संग्राम में विभिन्न वर्गों व समूहों की भूमिका के बारे में काफी विस्तार से चर्चा की है। उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार जनता को मूलभूत अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का आवश्यक दायित्व बन जाता है कि वह न केवल ऐसी सरकार को समाप्त कर दे, बल्कि वर्तमान ढांचे के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक क्षत्रों में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने हेतु उठ खड़ी हो। उन्होंने क्रान्ति की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा- क्रांति से हमारा अभिप्राय यह है कि वर्तमान व्यवस्था, जो खुले तौर पर अन्याय पर टिकी हुई है, बदलनी चाहिए।क्रान्ति से हमारा अभिप्राय अन्ततः एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की स्थापना से है जिसमें सर्वहारा वर्ग की प्रभुसत्ता को मान्यता हो, तथा एक विश्व संघ मानव जाति को पूंजीवाद के बंधन से और साम्राज्यवादी युद्धों में उत्पन्न होने वाली बरबादी और मुसीबतों से बचा सके।यह बयान उन्होंने सेशन अदालत में तब दिया था जब जज ने उनसे क्रान्ति का मतलब पूछा था। इस बयान से स्पष्ट होता था कि क्रान्ति के बारे में उनका दृष्टिकोण कितना व्यापक था। क्रान्ति में जनता के विभिन्न वर्गों व समूहों की भूमिका के बारे में भी उनका दृष्टिकोण काफी साफ था। वे ऐसी क्रान्ति करना चाहते थे जो जनता के लिए हो और जिसे जनता ही पूरी करे’, और जिसका मतलब जनता के लिए, जनता के द्वारा राजनीतिक सत्ता पर कब्जाकरना हो। इस तरह भगत सिंह का यह दृष्टिकोण माओ की इस उक्ति से मेल खाती है कि जनता और केवल जनता ही क्रान्ति की प्रेरक शक्ति होती है। भगत सिंह क्रान्ति में किसानों-मजदूरों की महत्वपूर्ण भूमिका को बखूबी समझते थे। वे कहते थे कि गांवों के किसान और कारखानों के मजदूर ही असली क्रान्तिकारी सैनिक हैं।खासतौर पर वे श्रमिकों की भूमिका पर जोर देते थे। उन्होंने कहा कि साम्राज्यवादियों को गद्दी से उतारने का भारत के पास एकमात्र हथियार श्रमिक क्रान्ति है।इसी सन्दर्भ में वे क्रान्ति के बाद सर्वहारा वर्ग की प्रभुसत्ताकी स्थापना करना चाहते थे। वे नौजवानों को भूमिका को भी अच्छी तरह समझते थे। हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन के घोषणापत्र में यह कहा गया कि देश का भविष्य नौजवानों के सहारे है। वही धरती के बेटे हैं। उनकी दुःख सहने की तत्परता, उनकी वेखौफ बहादुरी और लहराती कुर्बानी दर्शाती है कि भारत का भविष्य उनके हाथ सुरक्षित है।इन वर्गों व समूहों के अलावा भगत सिंह ने क्रान्तिकारी कार्यक्रम का मसौदाशीर्षक लेख में बुद्धिजीवियों, दस्तकारों व महिलाओं को भी संगठित करने पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने कांग्रेस के मंच का लाभ उठाने’, ‘ट्रेड यूनियनों में काम करने एवं उन पर कब्जा जमानेऔर सामाजिक व स्वयंसेवी संगठनों (यहां तक कि सहकारिता समितियों) में गुप्त रूप से काम करने का दिशा-निर्देश दिया। भगत सिंह ने अपने अनेक लेखों व वक्तव्यों में साम्राज्यवाद व खासकर ब्रिटिश साम्राज्यवाद के दमनकारी चरित्र के बारे में चर्चा की है, लेकिन लाहौर षड़यन्त्र केस से सम्बन्धित विशेष ट्रिब्यूनल के समक्ष 5 मई, 1930 को दिये गए बयान में उन्होंने साम्राज्यवाद की एक सुस्पष्ट व्याख्या की है। इस बयान में कहा गया- साम्राज्यवाद एक बड़ी डाकेजनी की साजिश के अलावा कुछ नहीं है। साम्राज्यवाद मनुष्य के हाथों मनुष्य के और राष्ट्र के हाथों राष्ट्र के शोषण का चरम है। साम्राज्यवादी अपने हितों और लूटने की योजनाओं को पूरा करने के लिए न सिर्फ न्यायालयों एवं कानूनों को कत्ल करते हैं, बल्कि भयंकर हत्याकांड भी आयोजित करते हैं। अपने शोषण को पूरा करने के लिए जंग जैसे खौफनाक अपराध भी करते हैं।शान्ति व्यवस्था की आड़ में वे शान्ति व्यवस्था भंग करते हैं।खासतौर पर ब्रिटिश साम्राज्यवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा गया कि ब्रिटिश सरकार, जो असहाय और असहमत भारतीय राष्ट्र पर थोपी गई है, गुण्डों, डाकुओं का गिरोह और लुटेरों की टोली है, जिसने कत्लेआम करने और लोगों को विस्थापित करने के लिए सब प्रकार की शक्तियां जुटाई हुई हैं। शांति-व्यवस्था के नाम पर यह अपने विरोधियों या रहस्य खोलने वालों को कुचल देती है।इन पंक्तियों से स्पष्ट है कि भगत सिंह साम्राज्यवाद को मनुष्य व राष्ट्र के शोषण की चरम अवस्था एवं लूट-खसोट, अशान्ति व युद्ध का स्रोत मानते थे। उनकी यह व्यख्या साम्राज्यवाद की वैज्ञानिक व्याख्या के काफी करीब है। क्रान्तिकारी खेमों के बीच भारत के पूंजीपतियों के चरित्र को लेकर काफी विवाद है। कुछ संगठन व दल इसे स्वतंत्र पूंजीपति वर्गकी संज्ञा से विभूषित करते हैं, तो कुछ इसे दलालराष्ट्रीय पूंजीपतियोंके वर्ग में विभाजित करते हैं। इसी तरह कुछ इसे साम्राज्यवाद के सहयोगीएवं आश्रित वर्गके रूप में भी चिह्नित करते हैं। लेकिन भगत सिंह व उनके साथियों ने इसके समझौता परस्त व घुटना टेकु चरित्र को काफी पहले पहचान लिया था। हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशनके घोषणा-पत्र (जिसे मुख्यतः भगवतीचरण बोहरा ने लिखा था) में साफ शब्दों में कहा गया- भारत के मेहनतकश वर्ग की हालत आज बहुत गंभीर है। उसके सामने दोहरा खतरा है-एक तरफ से विदेशी पूंजीवाद का और दूसरी तरफ से भारतीय पूंजीवाद के धोखे भरे हमले का। भारतीय पूंजीवाद विदेशी पूंजी के साथ हर रोज बहुत से गठजोड़ कर रहा है। कुछ राजनैतिक नेताओं का डोमिनियनस्वरूप को स्वीकार करना भी हवा के इसी रूख को स्पष्ट करता है। धार्मिक अंधविश्वास व कट्टरपंथ ने राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन में एक बड़े बाधक की भूमिका अदा की है। अंग्रेजों ने धार्मिक उन्माद फैलाकर साम्प्रदायिक दंगे करवाये और जनता की एकता को खंडित किया। 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ब्रिटिश सरकार ने साम्प्रदायिक दंगों का व्यापक प्रचार शुरू किया। खासकर, 1924 में कोहट में भीषण व अमानवीय हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए तो सभी प्रगतिशील व क्रान्तिकारी ताकतों को इस विषय पर सोचने को मजबूर होना पड़ा। भगत सिंह ने मई, 1928 में धर्म और हमारा स्वतन्त्रता संग्रामशीर्षक एक लेख लिखा जो किरतीमें छपा। इसके बाद उन्होंने जून, 1928 में साम्प्रदायिक दंगे और उसका इलाजशीर्षक लेख लिखा। अन्त में गदर पार्टी के भाई रणधीर सिंह (जो भगत सिंह के साथ लाहौर जेल में सजा काट रहे थे) के सवालों के जबाब में भगत सिंह ने 5-6 अक्तूबर, 1930 को मैं नास्तिक क्यों हूंशीर्षक काफी महत्वपूर्ण लेख लिखा। इन लेखों में उन्होंने ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्न किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर पर विश्वास रहस्यवाद का परिणाम है और रहस्यवाद मानसिक अवसाद की स्वाभाविक उपज है।उन्होेंने धार्मिक गुरूओं से प्रश्न किया कि सर्वशक्तिमान होकर भी आपका भगवान अन्याय, अत्याचार, भूख, गरीबी, शोषण, असमानता, दासता, महामारी, हिंसा और युद्ध का अंत क्यों नहीं करता?’ उन्होंने माक्र्स की विख्यात उक्ति को कई बार दुहराया – ‘धर्म जनता के लिए एक अफीम है।उन्होंने धार्मिक गुरूओं व राजनीतिज्ञों पर आरोप लगाया कि वे अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए साम्प्रदायिक दंगे करवाते हैं। उन्होंने अखबारों पर भी आरोप लगाया कि वे उत्तेजनापूर्ण लेखछापकर साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़काते हैं और परस्पर सिर फुटौवल करवाते हैं। उन्होंने इसके इलाज के बतौर धर्म को राजनीति से अलग रखनेपर जोर दिया और कहा कि यदि धर्म को अलग कर दिया जाये तो राजनीति पर हम सभी इकट्ठे हो सकते हैं, धर्मों में हम चाहें अलग-अलग ही रहें।उनका दृढ मत था कि धर्म जब राजनीति के साथ घुल-मिल जाता है, तो वह एक घातक विष बन जाता है जो राष्ट्र के जीवित अंगों को धीरे-धीरे नष्ट करता रहता है, भाई को भाई से लड़ता है, जनता के हौसले पस्त करता है, उसकी दृष्टि को धुंधला बनाता है, असली दुश्मन की पहचान कर पाना मुश्किल कर देता है, जनता की जुझारू मनःस्थिति को कमजोर करता है और इस तरह राष्ट्र को साम्राज्यवादी साजिशों की आक्रमणकारी यातनाओं का लाचार शिकार बना देता है।आज जब हमारे देश में राजसत्ता की देख-रेख में बाबरी मस्जिद ढाही जाती है और गुजरात जैसे वीभत्स जनसंहार रचाये जाते हैं, तब भगत सिंह की इस उक्ति की प्रासंगिकता सुस्पष्ट हो जाती है। जातीय उत्पीड़न के सम्बन्ध में भगत सिंह ने अपना विचार मुख्य तौर पर अछूत-समस्याशीर्षक अपने लेख में व्यक्त किया है। यह लेख जून, 1928 में किरती’’ में प्रकाशित हुआ था। उस वक्त अनुसूचित जातियों को अछूतकहा जाता था और उन्हें कुओं से पानी नहीं निकालने दिया जाता था। मन्दिरों में भी उनका प्रवेश वर्जित था और उनके साथ छुआछूत का व्यवहार किया जाता था। उच्च जातियों, खासकर सनातनी पंडितों द्वारा किए गए इस प्रकार के अमानवीय व विभेदी व्यवहार का उन्होंने कड़ा विरोध किया। उन्होंने बम्बई काॅन्सिल के एक सदस्य नूर मुहम्मद के एक वक्तव्य का हवाला देते हुए प्रश्न किया- जब तुम एक इन्सान को पीने के लिए पानी देने से भी इन्कार करते हो, जब तुम उन्हें स्कूल में भी पढ़ने नहीं देते-तो तुम्हें क्या अधिकार है कि अपने लिए अधिक अधिकार की मांग करो।छुआछूत के व्यवहार पर भी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा- कुत्ता हमारी गोद में बैठ सकता है, हमारी रसोई में निःसंग फिरता है। लेकिन एक इन्सान का हमसे स्पर्श हो जाये तो बस धर्म भ्रष्ट हो जाता है।जब हिन्दू व मुस्लिम राजनेता अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूत्र्ति के लिए अछूतोंको धर्म के आधार पर बांटने लगे, और फिर उन्हें मुस्लिम या ईसाई बनाकर अपना धार्मिक आधार बढ़ाने लगे, तो उन्हें काफी नाराजगी हुई। उन्होंने अछूत समुदाय के लोगों का सीधा आह्वान किया- संगठनबद्ध हो अपने पैरों पर खड़े होकर पूरे समाज को चुनौती दे दो। तब देखना, कोई भी तुम्हें तुम्हारे अधिकार देने से इन्कार करने की जुर्रत न कर सकेगा। तुम दूसरों की खुराक मत बनो, दूसरे के मुंह की ओर मत ताको।लेकिन साथ ही साथ, उन्होंने नौकरशाही से सावधान करते हुए कहा- नौकरशाही के झांसे में मत पड़ना। यह तुम्हारी कोई सहायता नहीं करना चाहती, बल्कि तुम्हें अपना मोहरा बनाना चहती है। यही पूंजीवादी नौकरशाही तुम्हारी गुलामी और गरीबी का असली कारण है।इसी सिलसिले में उन्होंने उनकी अपनी ताकत का भी अहसास दिलाया। उन्होंने कहा- तुम असली सर्वहारा हो। तुम ही देश का मुख्य आधार हो, वास्तविक शक्ति हो। सोये हुए शेरों उठो, और बगावत खड़ी कर दो।भगत सिंह का यह आह्वान काफी मूल्यवान है-खासकर ऐसे समय में, जब आज भी क्रान्तिकारी ताकतें दलितों पर होने वाले जातीय व व्यवस्था जनित उत्पीड़न के खिलाफ कोई कारगर हस्तक्षेप नहीं कर पा रही हैं।

 

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

अच्छा लेख है | यूं ही लिखते रहिये |

31 अक्टूबर 2015

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रचनाएँ
chakrvuyhnews
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जामा मस्जिद की इमाम बुखारी के दर सर झुकाते हैं बड़े-बड़े नेता?

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तो अब इतिहासकारों ने हालिया घटनाक्रमों पर गंभीर चिंता जताई

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चौथ माता के इस मंदिर में खास चीज बांधने से पूरी होती है मन्नत!

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30 अक्टूबर 2015
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आम आदमी पार्टी ने विरोध स्वरूप लगाया स्टालफैजाबाद 3० अक्टूबर ।दाल की कीमतांे में व्यापक वृद्घि से आम आदमी की थाली से दाल गायब होने के विरोध में आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं नें सिविल लाइन तिराहे पर ''बहुत हुई महंगाई की मार, मुर्गे से महंगी अरहर की दाल विरोध स्वरूप स्टाल लगाया और अरहर की दाल और मुर्गे

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निष्पक्ष इतिहास लिखने की वकालत

30 अक्टूबर 2015
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 डॉ० राम मनोहर लोहिया अवध विवविद्यालय के इतिहास, स्ॉस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अन्तगर्त संचालित श्री राम शोध पीठ में शोध छात्रों के लिए प्रो० किरण कुमार थपलियाल पूर्व विभागाध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, लखनऊ विवविद्यालय, लखनऊ एवं प्रो० अमर सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारती

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क्या नेता जी की मौत के बारे में कोई पांचवा सच कभी सामने आएगा?

30 अक्टूबर 2015
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कुंवर समीर शाहीफैजाबाद। अयोध्या से सटे फैजाबाद में सरयू नदी के तट पर गुमनामी बाबा की समाधि है जिसपर जन्म की तारीख लिखी है 23 जनवरी। संयोग है कि यही तारीख नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जन्मतिथि भी है। जबकि मृत्यु की तारीख के सामने तीन सवालिया निशान लगे हैं। समाधि पर अंकित इन सवालिया निशानों की तरह ही गुमन

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बोर्ड परीक्षा फिर नकल माफिया के हवाले करने की तैयारी

30 अक्टूबर 2015
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 फैजाबाद। नकलविहीन परीक्षा का दावा करने वाली सरकार एक बार फिर नकलमाफिया की जमीन तैयार कर रही है। पिछले साल से ही ऑनलाइन परीक्षा केंद्र निर्धारण का वादा किया लेकिन वक्त आया तो ऑफलाइन तरीके से ही केंद्र बनाने के आदेश जारी कर दिए। परीक्षकों के परीचय पत्र बनाने की भी कोई तैयारी नहीं और न सीसीटीवी कैमरे

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हिंदू हल्ला करने लगा है

30 अक्टूबर 2015
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यह सवाल इसलिए है क्योंकि टि्वटर, फेसबुक, सोशल मीडिया पर हिंदू का बोलना ट्रेंड बनाने लगा है। हिंदू हल्ला करने लगा है। वह अमेरिका, ब्रिटेन सब जगह नरेंद्र मोदी को हीरो बना रहा है। वह सेकुलर लोगों का चेहरा काला करने लगा है। यह विचित्र और डरावना है। डरावना दूसरों के लिए नहीं बल्कि असंख्य हिंदुओं के लिए भ

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नास्त्रेदमस की 10 भविष्यवाणियां, जो सच साबित हुई

30 अक्टूबर 2015
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महान फ्रेंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस का जन्म 14 दिसंबर 1503 को फ्रांस के छोटे से गांव सेंट रेमी में हुआ था। उन्होंने अपनी मशहूर किताब 'द प्रोफेसीज' में 950 भविष्यवाणियों का उल्लेख किया है। उनकी अधिकतर भविष्यवाणियां उनके द्वारा लिखी कविताओं और कोड में छिपी होती थीं। उनकी लिखी कई भविष्यवाणियां बिलकुल स

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जब ऐसे लोग आपको नमस्ते करें तो समझ लें ये है खतरे की घंटी

30 अक्टूबर 2015
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आम तौर पर हम जब भी किसी से मिलते हैं तो नमस्ते करते हैं या हाथ मिलाकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं। कुछ लोग ऐसे बताए गए हैं, जिनका नमस्कार करना हमारे लिए किसी खतरे की घंटी के समान है। जब भी ये लोग नमस्ते करते हैं, तो निकट भविष्य में किसी संकट के आने की प्रबल संभावना बन जाती हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्

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मंत्रियो के खिलाफ मुख्यमंत्री के फैसले पर नेता जी की मुहर

30 अक्टूबर 2015
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सीएम अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपने आठ मंत्रियों को बर्खास्त कर और नौ मंत्रियों से उनके विभाग छीन लिए। ऐसे में अब इन मंत्रियों ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के दरबार में हाजिरी लगाकर अपनी सफाई देने पहुंच गए, लेकिन यहां भी उनके लिए नेताजी का दरवाजा बंद मिला। दूसरी ओर, खाली हुई मंत्री पदों को भरने

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अब संतुलन साधने की चुनौती

31 अक्टूबर 2015
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भाजपा ने मनाया सरदार पटेल की जयंती

31 अक्टूबर 2015
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फैजाबाद 31 अक्टूबर। भाजपा पार्टी कार्यालय पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयन्ती के अवसर पर धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर पटेल के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पजाजलि अर्पित किया गया। जिला अध्यक्ष राम कृष्ण तिवारी ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का पटेल जी का सपना था । उन्होने देा की एकता व अखण्डता को एक स

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सरकार और छुट्टियों की राजनीत

31 अक्टूबर 2015
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कम महत्वपूर्ण नही है 30 अक्तूबर व दो नवम्बर की तिथि

31 अक्टूबर 2015
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आचार्य नरेन्द्र देव की जयंती पर विशेष

31 अक्टूबर 2015
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जातीय आधार पर घटता गया प्रतिनिधित्व

31 अक्टूबर 2015
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रघुराम राजन बर्खास्त करें पीएम- स्वामी

31 अक्टूबर 2015
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देश में असहिष्णुता को लेकर तेज होती चर्चा के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आपसी सम्मान और सहिष्णुता के परिवेश में सुधार लाने का आह्वान करते हुए आज कहा कि राजनीतिक स्तर से चीजों को ठीक करने की अत्यधिक सक्रियता से प्रगति का मार्ग अवरुद्ध होता है। राजन ने कहा कि भारत की प्रगति के लिए सवाल उठ

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बिहार चुनाव के चौथे चरण में बीजेपी को हार का संकट..!

31 अक्टूबर 2015
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बिहार के राजनीतिक गलियारे में बह रही बयार भाजपाके प्रतिकूल दिखाई दे रही है। यह बात विभिन्न रिपोर्टों के जरिये सार्वजनिक हो चुकी है। राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि भाजपा ने बिहार को बिहार नहीं समझने की ऐतिहासिक भूल की ओर है।मसलन उत्तर बिहार के लिहाज से मुजफ्फरपुर सबसे महत्वपूर्ण शहर है। ऐसा इसलिए

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तेजनारायण के पुन: मंत्री बनने पर सपाईयों में हर्ष

31 अक्टूबर 2015
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अयोध्या। नगर विधायक तेजनारायण पाण्डेय को पुन: मंत्री बनाये जाने से सपाईयों में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी। अपने नेता के पुन: मंत्री पद की ताजपोशी से हर्षित सपाईयों ने एक दूसरे को मिठाईयां खिलाकर बधाई दी तथा श्री पवन पाण्डेय के उज्जवल भविष्य की कामना के साथ उम्मीद जतायी कि अब अयोध्या के विकास में तीव्रता आय

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राष्ट्रगान रुकवाने के मामले पर महामहिम की सफाई - नही सुन पाये थे राष्ट्रगान की धुन

31 अक्टूबर 2015
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 यूपी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाइक ने राष्ट्रगान को बीच में ही रोकवा दिया। यूपी में शपथ ग्रहण समारोह खत्म होने के बाद राष्ट्रगान शुरू हुआ इसी बीच राज्यपाल राम नाइक ने राष्ट्रगान को रोकने के लिए कहा। राज्यपाल के आदेश पर राष्ट्रगान को बीच में ही रोक दिया गया। राष्ट्रग

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5000 करोड़ की सम्पत्ति का मालिक है छोटा राजन!

31 अक्टूबर 2015
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अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की संपत्ति को लेकर मुम्बई पुलिस ने अनुमान लगाया है कि वह 4 हजार करोड़ से 5 हजार करोड़ की सम्पत्ति का मालिक हो सकता है। इस संपत्ति का करीब 50 प्रतिशत भारत, खासकर मुम्बई में मौजूद है जबकि बाकी आधा हिस्सा विदेशों में निवेश किया गया है।  पुलिस सूत्रों ने बताया कि छोटा राजन चीन क

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कमलेश देवी ने सच साबित किया करवाचौथ का व्रत

31 अक्टूबर 2015
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एक पत्नी ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखा करवाचौथ का व्रत उस समया सच साबित कर दिया जब उसने अपने पति की जान बचाने के लिए अपना एक किडनी दान में दे दी।  कमलेश देवी ने अपने पति की सलामती के लिए अपनी किडनी देने में जरा भी गुरेज नहीं किया। कमलेश देवी गुरुवार को ही पति को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कराकर लाई

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मंत्रिमंडल का विस्तार मुलायम का असर या चुनाव पर नजर

31 अक्टूबर 2015
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। अखिलेश मंत्रिमंडल में 5 कैबिनेट, 8 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 8 राज्यमंत्रियों सहित कुल 21 नए चेहरे शामिल किए गए। इस मंत्रिमंडल विस्तार में आखिर किसकी छाप है? सपा सुप्रीमों की, अखिलेश यादव या फिर चुनाव के मद्देनजर क्षेत्रीय-

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गरीबो की मदद ईश्वरीय पूजा की तरह करें - राजन

31 अक्टूबर 2015
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कुमारगंज। अमानीगंज ब्लाक के ग्राम सभा पूरेलाल खां के मजरा झाऊ में अचानक लगी आग से जब आठ निषाद परिवार बेघर हो गये तो समाजसेवी राजन पाण्डेय ने उन्हें आर्थिक मदद के साथ ही बस्त्र प्रदान कर यह एहसास कराया कि उनके रहते वह अकेले नही है। श्री पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि हमें अपनी तरह ही इन गरीबो के दु:खो

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सोलह माह बाद पवन के घर लौटी खुशी

1 नवम्बर 2015
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फैजाबाद। सोलह महीने बाद एक बार फिर राज्यमंत्री बने अयोध्या नगर विधायक तेजनारायण पांडेय पवन तो शुक्रवार को करीब तीन बजे ही लखनऊ रवाना हो गये थे। शनिवार को पवन मंत्री पद की शपथ लेंगे, इसकी सूचना घर में रात दो बजे के करीब मिली। यह जानकारी खुद पवन ने पत्नी अत्ति पांडेय को दीं तो वह चहक उठीं। पवन को पुन:

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जनपद में एतिहासिक रही दुर्गापूजा व दशहरा में प्रशासनिक व्यवस्था

1 नवम्बर 2015
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केन्द्रीय समिति ने किया जिलाधिकारी के माध्यम से प्रशासन का सम्मानफैजाबाद, ०1 नवम्बर। 'आप सभी ने जिन कठिन परिस्थितियों में फैजाबाद जनपद में दशहरा व दुर्गापूजा का उत्सव जितने सुन्दर ढंग से सम्पन्न कराया है नि:सन्देह इस उत्कृष्ट कार्य के लिए आप सभी धन्यवाद व बधाई के पात्र है' उक्त उद्गार स्थानीय नाका म

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नव निर्वाचित बीडीसी सदस्य पत्रकार जितेन्द्र यादव को बधाई

2 नवम्बर 2015
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रुदौली क्षेत्र से क्षेत्र पंचायत सदस्य  प्रत्याशी पत्रकार युवा नेता जितेंद्र यादव नीरज  के विजयी होने पर  चक्रव्यूह इंडिया परिवार की ओर से हार्दिक बधाई। खबर है की अब जितेंद्र ब्लॉक प्रमुखी के प्रबल दावेदार होंगे । इस खबर से बिपक्षियो में खलबली मच गयी है । श्री यादव को जिले के सभी पत्रकारो ने जीत की

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मोबाइल एप से अपडेट होगी वैक्सीन की जानकारी

2 नवम्बर 2015
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फैजाबाद। यूनिवर्सल इम्यूनाइजोशन प्रोग्राम के तहत वैक्सीन की निरन्तर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार,उत्तर प्रदेश सरकार एवं यूनाइटेड नेशन्स डेवलेपमेंट प्रोग्राम (यू०एन०डी०पी०) के तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग से राज्य में इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (ई०विन०) कार्यक्रम की शुरूआत की ज

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दिगम्बर अखाड़ा में हुतात्मा कारसेवको को दी गई श्रद्धांजलि

2 नवम्बर 2015
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अयोध्या। बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक राजेश पाण्डेय ने सोमवार को दिगम्बर अखाड़ा में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार भारत कि आजादी में क्रांतिकारीयों ने अपने प्राणों को भारत मां के चरणों में समर्पित कर दिया ठीक उसी प्रकार से भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर के लिए गुलामी के प

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भाजपा ने विजयी जिला पंचायत सदस्यों का कार्यालय पर किया जोरदार स्वागत

2 नवम्बर 2015
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फैजाबाद ०2 नवम्बर। भाजपा ने पार्टी कार्यालय पर जिला पंचायत चुनाव में पांच विजयी प्रत्याशियों का जिला अध्यक्ष राम कृष्ण तिवारी की अगुवाई में माल्यार्पण कर जोरदार स्वागत किया गया। पार्टी प्रवक्ता दिवाकर सिंह ने बताया कि सोहावल प्रथम पुष्पा सिंह, अमानीगंज प्रथम से यमुना देवी, मिल्कीपुर चतुर्थ आरती प्रि

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हनुमत जयंती की तैयारियां जोरो पर ,होंगे विविध आयोजन

2 नवम्बर 2015
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अयोध्या। कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी 1० नवंबर को हनुमत जयंती मनाई जाएगी। बजरंगबली की प्रधानतम पीठ प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी को जयंती को लेकर सजाने के साथ ही विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। हनुमत निवास, हनुमानबाग, हनुमत सदन के साथ अन्य मठ-मंदिरों में जयंती पर्व पर विविध अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा

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कार्तिक मेले की तैयारियों में जुटा जिला प्रशासन

2 नवम्बर 2015
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चौदह कोसी परिक्रमा में 24, पंचकोसी मे 2० और मेले में 4० स्टेटिक मजिस्ट्रेट होगें तैनातफैजाबाद। कार्तिक पूर्णिमा मेले के सुरक्षा की पुख्ता योजना तैयार है। प्रशासनिक स्तर पर मेले की सुरक्षा व्यवस्था का खाका तैयार कर लिया गया है। मेले के दौरान होने वाले सभी कार्यो को समय से पूरा करने का निर्देश भी कार्

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विकलांग की सिसकियों पर भी नही पिघला समाजवाद के पुरोधाओ का दिल

3 नवम्बर 2015
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प्रदेश में पॉलीटिकल पार्टियां हमेशा से यह कहती आई हैं कि वह गरीबों के लिए ही काम करती हैं। वह उनकी सबसे बड़ी पैरोकार हैं, लेकिन हकीकत के पर्दे पर यह बातें दूर के ढोल सुहावने जैसी ही दिखती हैं। कुछ ऐसा ही नजारा दिखा सपा कार्यालय में, जहां एक विकलांग सपा सुप्रीमो से गुहार लगाने पहुंचा कि अगर उसके पैर

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हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष नहीं था अकबर-प्रताप का संग्राम

7 नवम्बर 2015
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भारतीय इतिहास में जो व्यक्ति अपनी बहादुरी और दृढ़ निश्चय के लिए मशहूर हुए हैं, उनमें राणा प्रताप का नाम विशेष आदर से लिया जाता है। इस वर्ष उनकी 475 वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। मेवाड़ के गौरव राणा प्रताप का राजतिलक वर्ष 1572 में हुआ। उस समय भारत का सबसे शक्तिशाली राजा विख्यात मुगल सम्राट अकबर

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गुम होता गांव

7 नवम्बर 2015
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वे  शभूषा, सामूहिकता और सादगी गांवों की पहचान रही है जो कम से कम होती चली जा रही है। ग्रामीण पहचान रही पहनावे से स्त्री हो या पुरुष दोनों दूर से ही पहचाने जाते थे। अंगरकी, धोती और सिर पर पहनी जाने वाली पगड़ी वृद्ध पीढ़ी के साथ ही चली जा रही है। पेंट-बुशर्ट, लहंगा, लेहंगी आम हो चली है। कोई भी उत्सव म

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इंटरनेट: एक नजरिया यह भी

7 नवम्बर 2015
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ढोलक बनाने व कचरा बीनने वाले समुदाय के लिए इंटरनेट लाभदायी हो सकता है या यह उन पर अतिरिक्त आर्थिक भार डालेगा? इसके अलावा इंटरनेट पर बढ़ती अश्लीलता क्या इन युवाओं को और अधिक उग्र व नशे का आदी नहीं बनाएगी? जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं होगी तो क्या उनकी स्थिति और खराब नहीं होगी? परंतु कहा जाता है क

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महज मनोरंजन नहीं : अब 'खेल' बनाते हैं नवाब!

7 नवम्बर 2015
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खेलों में आगे आने का यदि कोई अचूक मंत्र है तो वह है ''कैच देम यंगÓÓ जिसका मतलब है छोटी उम्र में ही खेलों में रुचि रखने वाले, स्वस्थ, मजबूत शरीर च इच्छाशक्ति वाले बच्चों को चुनना । स्कूल स्तर से ही उन्हें अच्छे से अच्छा प्रशिक्षण देना, उन्हें सुविधाएं मुहैया कराना, उन्हें अच्छा कैरियर विकल्प व सुरक्ष

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रिश्वत

7 नवम्बर 2015
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 पं. प्रतापनारायण मिश्रक्या कोई ऐसा भी विचारशील पुरुष होगा जो रिश्वत को बुरा न समझे? एक ने तो सैकड़ों कष्ट उठा के, मर-खप के धन उपार्जन किया है दूसरा उसे सहज में लिए लेता है, यह महा अनर्थ नहीं तो और क्या है? हमारी समझ में तो जैसे चोरी करना, डाका डालना और जुआ खेलना है वैसा ही एक यह भी है। कदाचित कोई क

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वेदों में क्या है!

7 नवम्बर 2015
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वेद देव स्तुति से भरे हैं। देवता माने जो देता है। सुर जो सुरा का सेवन करते हैं असुर जो नहीं करते। वेदों में सर्वाधिक प्रार्थना इंद्र की हुई है। पर इसका मतलब यह नहीं कि इंद्र सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं। इंद्र के बाद सबसे ज्यादा मंत्र अग्नि पर है। ऋग वेद का आरंभ अग्नि पर लिखी ऋचा से होता है। यह सम्मान

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महिलाएं और बच्चे भी पहनें हेलमेट

7 नवम्बर 2015
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हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुकी कुछ बातें हमें शायद ही कभी चौंकाती हैं या गलत लगती हैं। जैसे किसी दो पहिया वाहन पर सवार एक परिवार, जिसमें पुरुष ने तो हेलमेट पहन रखा है लेकिन महिला एवं बच्चे कभी हेलमेट पहने नहीं दिखते। वर्ल्ड हेड इंज्यूरी अवेयरनेस डे (20) के मौके पर चिकित्सकों का कहना है कि

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बिखरने न दें परिवार

7 नवम्बर 2015
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परिवारों का टूटना आज की एक वलंत समस्या है, जिसका हल ढूंढा जाना जरूरी है। दरअसल आज एकल परिवारों में ढेरों सुख-सुविधाओं के बीच पलने वाले बच्चों में सहयोग और समर्पण आदि मूलभूत गुणों का अकसर अभाव होता है। हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें और उन्हें सामाजिक बनाएं तभी परिवारों का टूटना रुक

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पत्नी की कमाई पर हक जताते पति

7 नवम्बर 2015
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अभी तक माना जाता था कि कम पढ़े-लिखे, शराबी, जुआरी या अय्याश किस्म के गरीब पति ही अपनी पत्नी की कमाई को हड़प लेते हैं और यदि वह नहीं देती है तो मार ठोकर उससे छीन लेते हैं। लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा और बर्तन साफ करने वाली बाइयों के साथ तो यह हमेशा होता है कि उनके शराबी पति की नजर सदैव पत्नी की आमदनी प

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गृह लक्ष्मी पर हावी होती लक्ष्मी

7 नवम्बर 2015
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प्राचीन काल में दहेज को स्त्रीधन की संज्ञा दी जाती थी। वह स्त्री का अपना धन हुआ करता था। गांव के गांव पूरा साम्राय तक दहेज में दे दिया जाता था लेकिन कन्या को इसके लिए प्रताड़ित नहीं किया जाता था। यहां तक कि कोई राजा युध्द में पराजित हो जाता था तो वह अपनी पुत्री का विवाह विजेता राजा से करके अपने साम्र

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समाज तन्दुरुस्त और बोध दुरुस्त होना चाहिए

9 नवम्बर 2015
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समाज तन्दुरुस्त और बोध दुरुस्त होना चाहिएआये दिन मीडिया के विभिन्न माध्यमों में नए नए मुद्दों पर चर्चा होती रहती है फिर कुछ दिनों तक उसी की लहर चलती है और उसके शांत होने तक एक नई लहर बन जाती है ... जनमानस में इन लहरों का क्या होता है असर ?....कैसे इसका प्रयोग करते होंगे राजनीती के खिलाड़ी ....  जनमान

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