संदीप की कलम से कविताए ही कविताए। पढिए व जीए सब एहसास । जो है खास। जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण।
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लिखा जिससे ,मेरा नसीब, वो कलम थी क्या ? या कोई तहजीब, क्या उसकी करामात ,है,,कि,,, ,या तकदीर ही ऐसी थी, बात है जी, थोडी सी खुशिया , बहुत पल दुख के , लिखे थे उसने, या मैने खुद से, क्यू मु
वैंपायर, यानि रक्त पिपासू, डरावनी इनकी,स्टोरी धासू। क्या ये सच मे ,ही मौजूद है, सबूत तो है ,फिर ,, क्यू शक मौजूद है ? आप कहोगे सबूत दिखाए, तो चलिए ,कविता मे आए। वैंपायर हर शख्स है वो
पूछ रहे सब , झांक झांक ,कर,, इधर उधर की तांक झांक, पर,, सोच रहे है कैसे, नफरत वाले प्यार , को लिखे वैसे। पहलू है कई कब से ,, छिपा बैठा है यह सब,, मे,, रूप लिए अनोखे ,, देक