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संस्मरण

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22 मार्च 2022   मंगलवार समय- 11:45(रात)मेरी प्यारी सखी,हम सब सीखते कुछ है और उसे व्यवहार जीवन में कुछ और ही तरह से प्रयोग में लाते हैं। बचपन में जब भी मैं विवाद या निबन्ध लिखती थी, जल स

1962 की बात है जब हम नर्सरी क्लास में पढ़ते थे। और हमारी पढ़ाई कॉपी किताब या स्लेट बत्ती से नहीं होती थी। वहाँ पढ़ाई नाटक व कविताओं द्वारा होती थी। जैसे कि राम सीता के पाठ में एक बच्ची सीता और एक को राम

दिन-बदिन,तेरी आदत मुझको लगाए जा रहा है।तुझे पाया नहीं अबतक,तुझे खोने का डर सताए जा रहा है।मेरे हाथों से छीनकर,अपने हिसाब से जिंदगी चलाए जा रहा है।तेरे आने से,दिल मेरा, अब उसको भुलाए जा रहा है।कुछ हुआ

21 मार्च 2022     सोमवार   समय- 11:45 मेरी प्यारी सखी,कई बार हमारे देश की अजीब स्थिति देख कर मन में अजीब सी उलझन पैदा हो जाती है। हमारे देश की प्रतिभा को हम भुनाने की अपे

एक बार की बात है, गई थी मैं अपने गाँव। देखा था मेंने वहाँ, एक अनोखा सा त्योहार। घर के द्वार पर गोबर से, दीवार पर बनीं थीं कुछ कलाकृतियाँ। उसके ऊपर फूल सजे थे, गीत गा रहीं थीं लड़कियाँ। कोई कहता सं

मेरे प्रिय पाठकों नमस्कार प्रणाम कल  रंगों का त्यौहार अर्थात होली हैहोली प्रतीक  है  जीवन में आने जाने वाले कई सारे रंगों  के  और आप सबकी ज़िन्दगी में इन रंगों की कभी भी क

खो तो हर कोई रहा है एक दूसरे की उम्मीदों को ।फ़र्क इतना सा है कि एक की कीमत मित्रता थी दूसरे की जिन्दगी ।

यदि गोविन्द साहिब की समग्र वाणी और उपदेश पर विचार किया जाए तो सिद्ध होता है कि आप गुरु नानकदेव जी, कबीर साहिब, गुरु रविदास जी, दादू साहिब आदि अनेक महापुरुषों की भाँति नामभक्ति द्वारा सुरत-शब्द की साधन

कला दिखावै अमित प्रभु, भला मचा मैदान । जय गोविन्द गुरु ज्ञान को, को करि सकै बयान ।।                                                                           (साखी-6) अगम अगोचर पंथ है, पहुंचे विररा

उपरोक्त सभी प्रसंगों में अनेक विषयों पर हम गोविन्द साहिब की वाणी पर विचार करके आए हैं । आपने बहुत से फुटकल शब्दों, साखियों, छप्पय और सवैयों की भी रचना की है जिनको किसी विषय से सम्बद्ध नहीं किया है ।इस

17 मार्च 2022      गुरुवार समय - 12:20(दोपहर)मेरी प्यारी सखी,             एक चिड़िया के बच्चे चार,           

बसंत का मौसम बड़ा सुहावना होता है तथा इसको सभी मौसमों में अच्छा माना जाता है । पेड़ों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नई कोपलें निकल आती हैं । हर तरफ विभिन्न प्रकार के फूलों की बहार होती है । गर्मी

हिंदू धर्म मे एक त्यौहार होली,,, पुरातन काल से चला आ रहा है,,,, मान्यता कई है,,,, जो कि ग्रंथ पर उललैख है ।।।बुराई का अंत,,,, ।।।।होलिका दहन पर लोग देश के विभिन्न जगह पर अलग अलग पूजन करते है ।।।।होलिक

गोविन्द साहिब ने ‘सत्य सागर’ शीर्षक के अंतर्गत अनेक दोहों और छप्पय की रचना की है । इस प्रसंग में आपने सत्य क्या है?, सत्य की खोज, सत्य की खोज का माध्यम और सत्य की पहचान पर विस्तृत उपदेश दिया है । सार

आज मै आपको एक बहुत ही रोचक बात बताने जा रहा हूं , जी हां जैसा की हमारे आज का शीर्षक देख पाठक महोदय  या महोदया जी आप समझ ही चुके होंगे , की मै आज किनके दुखड़े बताने जा रहा हूं ? कुवारे होने क

15 मार्च 2022     मंगलवार समय- 11:00 (रात) मेरी प्यारी सखी,सवेरे सवेरे ही बहुत भाग दौड़ हो गई। कारण था घर में सांप का निकलना। वैसे तो पतिदेव और बेटी उसे निकालने के लिए पुरजोर

12/3/2022 मेरी डायरी आज मैं बहुत खुश हूं क्योंकि आज मेरे जीवन का सपना पूरा हुआ आज मेरे बेटे ने अपने प्रमोशन की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है अब वह असिस्टेंट अकाउंट्स आफिसर हो गया है पर मुझे अफसोस इ

यह बात उस समय की है जब मेरी शादी हुई थी सन 1993 अप्रैल में मेरी शादी हुई थी , मेरी अर्धांगनी शादी के एक २ हफ्ते बाद मुझ संग अपने मायके गयी । चचेरी साली का व्याह था । व्याह से निपटने के बाद अ

यह बात सन १९८५ की है ,उस समय मैं १५ साल का था ।स्कूल की , छुट्टियां पड़ी हुई थी ।मैं दिल्ली से अपने गांव , छुट्टियां बिताने आया हुआ था ।मेरा गॉव उत्तराखंड के पर्वर्तीयआँचल में है ।दिल्ली या अन्य मैदानी

उड़ जा तूं अनंत क्षितिज मेंवहां का संदेश लेकर आ,धरती जैसा हाल वहां भी हैआकर तूं बतलाता जा,तेरी गति पवन से भी तेज,तूं अंबर तक पहुंचेगाअंबर में सब देवी देवतादेवलोक में तूं विचरेगा ।।हे मन मानव रूप तुम्ह

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