पेट हमारे शरीर का वह अंग होता है जो की हमारे शरीर की पाचन क्रिया को बनाये रखने का काम करता है अगर पेट में आंत होती है जिसमे अगर सूजन आ जाती है तो वह हमारे बहुत सारे रोगो को पेट में उत्पन्न करती है | इ
जब भी मेरा दिल, उदास होता है, मेरी मां और ख्वाबों का, साथ होता है ।जब भी कभी जीवन में, मिली उदासी , मां के आंचल के साया में, मिटती रही उदासी ।आज न मां का
ये कैसी प्रारब्ध की, विडम्बना है ? बड़े महलों में, छोटे लोगों को रहते देखा ।छोटी झोपड़ियों में,बड़े लोगों को रहते देखा । महल लाख बड़ा हो, दिल उनका संकुचित हो चला
लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इस दाल में किशमिश और मिश्री मिलाकर अच्छी तरह से चबा कर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक
एक ऐसा नुख्सा बताने जा रहा हूँ जिसे आप स्वयं बनाकर भी उपरोक्त रोग से मुक्ति पा सकते है।नये जमाने की लाइफस्टाइल में लिवर की बीमारी होना अब आम बात हो चुकी है। गरिष्ठ ऑयली भोजन, मोटापा और शराब का
पित्ताशय में कोलेस्ट्रोल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव होने लगता है या सख्त होने लगता है। तब ये धीरे-धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर सिस्ट या पत्थर का रूप ले लेती है।लक्षण:- रोगी को
Treatment for Paralysisलकवा/फालिज/अर्धांगवात/एकांगवात/पक्षाघात के लिए एक बेमिसाल नुस्खाआमतौर पर लकवा को लोग शारीरिक बीमारी समझते हैं और मालिश वगैरह के चक्कर में पड़ जाते हैं। जबकि ये दिमाग से जुड़ी सम
हमारे भोजन करने के बाद जब भोजन पेट के अंदर पाचन तंत्र में पहुंचता हैं तब इस भोजन को पचाने के लिए एक “Acid” बनता हैं, जो की पेट में भोजन को पचाने का काम करता हैं. जब यह Acid पेट में जरुरत से ज्यादा बनन
बस, इतनी तमन्ना है श्याम तुम्हे देखूँ, घनश्याम तुम्हे देखूँ...शर मुकुट सुहाना हो, माथे तिलक निराला हो गल मोतियन माला हो...श्याम तुम्हे देखूँ, घनश्याम तुम्हे देखूँ...कानो मैं ह
जाग रे मनव अब तो जागजाग रे मनव, जाग रहा संसार, भाग रे मनव भाग रहा संसार। जो सोता है वह खोता है यहां, जागे हुए का लगता बेड़ा पार। जाग रे मनव अब तो जाग अगर करोगे ईश्वर की भक्ति, तुमको मिलेगी अद्भु
-अनिल अनूप चाचा अक्सर हमारे घर आते थे. बहुत हंसमुख और मिलनसार किस्म के थे वो. कभी बच्चों के लिए संतरे लाते तो कभी बेकरी वाले बिस्किट. सभी लोग उन्हें बहुत पसंद करते थे, लेकिन मुझे वो रत्ती भर भी पसंद न
जिन्दगी की दास्तां...!जो पीछे मुड़ के देखा तो,कुछ यादें बुला रही थी।अब तक के सफर की,सारी बातें बता रही थी।।कितनी मुश्किल राहें थीं, हम क्या क्या कर गए।एक सुकून की तलाश में,कहां कहां से गुजर गए।।कि
बरगद ( कहानी प्रथम क़िश्त)मुलायम सिंग पढाई में बहुत तेज़ था । साथ ही वह रिजर्व स्वभाव का था व ज़ेहन से बहुत ही कड़क भी । लोगों को खरी खरी सुना देना फिर वह रोने भी लगे तो मुलायम को कोई फ़र्क नहीं पड़ता
अनिल अनूप उस दिन हिम्मत और डर की गज़ब लड़ाई हुई थी। सुबह उठ के घर के सारे काम किये, बिना किसी को ये एहसास दिलाए की आज उन्हें जाना था किसी को खुद को समर्पित करने, समाज के बंधन तोड़ने। उनके मन में हज़ार सं
सुमी अरी ओ सुमी ! कितनी देर और लगेगी तैयार होने मे लड़के वाले कभी भी आ सकते है।"मां ने नीचे से ही सुमी को आवाज लगाई ।इधर सुमी तैयार तो कभी की हो गयी थी पर उसे नीचे आते हुए डर लग रहा था उसके पैर कांप र
तेरे प्रेम में ,पागल हुआ मन, अब चैन हैं, पाता नहीं ।जिस तरफ देखूं मैं, इक पल , तेरे अश्क से, बच पाता नहीं ।मेरी तो हर सुबह और शाम, &nb
Good Evening friends, I hope you celebrate ambedkar jayanti with lots of enthusiam. 14 April 1891 a great peroson born, Dr.Ambedkar is really inspirational personalit
मौत का तान्ड़व चल रहा है,दोस्तो अब रूठना,लड़ना,गुस्सा बन्द कीजिये , पता नहीं कौनसा Msg,Call या मुलाकात आखिरी हो,, !!!सम्बंधों के ताले को क्रोध के हथोड़े से नहीँ,
जिन्दगी तू भी कच्ची-पेन्सिल की तरह है, हर रोज छोटी होती जा रही है,,!!चेहरे की हँसी से गम को भुला दो, कम बोलो पर सब- कुछ बता दो, खुद ना
कितनी भी महँगी गाड़ी में घूम लो, अंतिम सफर तो बाँस से बनी अर्थी पर ही करना पड़ेगा .!! यही जीवन का सत्य है ...!! पानी अपना पूरा जीवन देकर पेड़ को बड़ा करता है.. इसीलिए शायद पानी लकड़ी को डूब