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दो गुलाब फिजाओं मे फिरती खुशबू ओ आब है, शूल में खिली फिर भी हंसती गुलाब है। बड़ी नेमतों से मिलता ख्वाहिशों का ख्वाब है, हसरतों सी गुलिस्तां मे खूब खिला दो गुलाब है। रोशनाई से नहा रहा रोशन जहां आफ
फिजाओं मे फिरती खुशबू ओ आब है, शूल में खिली फिर भी हंसती गुलाब है। बड़ी नेमतों से मिलता ख्वाहिशों का ख्वाब है, हसरतों सी गुलिस्तां मे खूब खिला दो गुलाब है। रोशनाई से नहा रहा रोशन जहां आफताब