हमारा तन-मन ही हमारा सबसे बड़ा धन है। उसकी सार-सँभाल हम कैसे करें कि वह सदा खिला रहे और हम अपने बड़े-बूढ़ों का ‘चिरंजीव भव’ का आशीर्वचन पूरा कर सकें, यह कृति इसी ओर हमारा मार्ग प्रशस्त करती है। ‘खिला रहे तन-मन’, ‘खान-पान और सेहत’, ‘पर्यावरण और स्वास्थ्य’, ‘मौसम के साथ’, ‘सफ़र और सेहत’, ‘फ़र्स्ट एड’ अध्यायों के ज़रिए जानकारियों से समृद्ध करती अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और संग्रहणीय पुस्तक।
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