सच का आईना सच का आईना देखु कैसे। यहाँ तो आज कल आईना भी धोखा दे जाता है। होता कुछ और है दिखाता कुछ और है। पर इंसानियत खोने लगी है उसकी आँखें भी धोखा खाने लगी है। जब कोई आईना देखता है तो पहले ही अपना अस्तित्व को जाने कहाँ खो देता है। मेकअप के पीछे चेहरे को जब आईना 👀 के शौक सा हो गया तो। इंसान खुद को कैसे अपने को सच्चाई के साथ आये। हर किसी पर प्रभाव हो रहा है। हर कोई सच के आईने से बेदखल हैं किसी को पैसा सहेजें की अनूठी परम्परा हैं। तो किसी को झूठ बोलने में। मैं खुद हैरान हूँ। कैसे करू और कैसे देखु सच का आईना 👀