shabd-logo

शेर, गीदड़ और मूर्ख गधा

19 जनवरी 2022

46 बार देखा गया 46

एक घने जंगल में करालकेसर नाम का शेर रहता था । उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता था । शेर को एक बार एक मत्त हाथी से लड़ना पड़ा था, तब से उसके शरीर पर कई घाव हो गये थे । एक टाँग भी इस लड़ाई में टूट गई थी । उसके लिये एक क़दम चलना भी कठिन हो गया था ।  जंगल  में पशुओं का शिकार करना उसकी शक्ति से बाहर था । शिकार के बिना पेट नहीं भरता था । शेर और गीदड़ दोनों भूख से व्याकुल थे । एक दिन शेर ने गीदड़ से कहा--- "तू किसी शिकार की खोज कर के यहाँ ले आ; मैं पास में आए पशु की मार डालूँगा, फिर हम दोनों भर-पेट खाना खायेंगे ।"
गीदड़ शिकार की खोज में पास के गाँव में गया । वहाँ उसने तालाब के किनारे लम्बकर्ण नाम के गधे को हरी-हरी घास की कोमल कोंपलें खाते देखा । उसके पास जाकर बोला- "मामा ! नमस्कार । बड़े दिनों बाद दिखाई दिये हो । इतने दुबले कैसे हो गये ?"
गधे ने उत्तर दिया - "भगिनीपुत्र ! क्या कहूँ ? धोबी बड़ी निर्दयता से मेरी पीठ पर बोझा रख देता है और एक कदम भी ढीला पड़ने पर लाठियों से मारता है । घास मुठ्ठीभर भी नहीं देता । स्वयं मुझे यहाँ आकर मिट्टी-मिली घास के तिनके खाने पड़ते हैं । इसीलिये दुबला होता जा रहा हूँ ।"
गीदड़ बोला- "मामा ! यही बात है तो मैं तुझे एक जगह ऐसी बतलाता हूँ, जहां मरकत-मणि के समान स्वच्छ हरी घास के मैदान हैं, निर्मल जल का जलाशय भी पास ही है । वहां आओ और हँसते-गाते जीवन व्यतीत करो ।"
लम्बकर्ण ने कहा- "बात तो ठीक है भगिनीपुत्र ! किन्तु हम देहाती पशु हैं, वन में जङगली जानवर मार कर खा जायेंगे । इसीलिये हम वन के हरे मैदानों का उपभोग नहीं कर सकते ।"
गीदड़ - "मामा ! ऐसा न कहो । वहाँ मेरा शासन है । मेरे रहते कोई तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं कर सकता । तुम्हारी तरह कई गधों को मैंने धोबियों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई है । इस समय भी वहाँ तीन गर्दभ-कन्यायें रहती हैं, जो अब जवान हो चुकी हैं । उन्होंने आते हुए मुझे कहा था कि तुम हमारी सच्ची माँ हो तो गाँव में जाकर हमारे लिये किसी गर्दभपति को लाओ । इसीलिए तो मैं तुम्हारे पास आया हूँ ।"
गीदड़ की बात सुनकर लम्बकर्ण ने गीदड़ के साथ चलने का निश्चय कर लिया । गीदड़ के पीछे-पीछे चलता हुआ वहु उसी वनप्रदेश में आ पहुँचा जहाँ कई दिनों का भूखा शेर भोजन की प्रतीक्षा मैं बैठा था । शेर के उठते ही लम्बकर्ण ने भागना शुरु कर दिया । उसके भागते-भागते भी शेर ने पंजा लगा दिया । लेकिन लम्बकर्ण शेर के पंजे में नहीं फँसा, भाग ही गया ।
तब, गीदड़ ने शेर से कहा- "तुम्हारा पंजा बिल्कुल बेकार हो गया है । गधा भी उसके फन्दे से बच भागता है । क्या इसी बल पर तुम हाथी से लड़ते हो ?"
शेर ने जरा लज्जित होते हुए उत्तर दिया- " अभी मैंने अपना पंजा तैयार भी नहीं किया था । वह अचानक ही भाग गया । अन्यथा हाथी भी इस पंजे की मार से घायल हुए बिना भाग नहीं सकता ।"
गीदड़ बोला- "अच्छा ! तो अब एक बार और यत्‍न करके उसे तुम्हारे पास लाता हूँ । यह प्रहार खाली न जाये ।"
शेर - "जो गधा मुझे अपनी आँखों देख कर भागा है, वह अब कैसे आयगा ? किसी और पर घात लगाओ ।"
गीदड़- "इन बातों में तुम दखल मत दो । तुम तो केवल तैयार होकर बैठ रहो ।"
गीदड़ ने देखा कि गधा उसी स्थान पर फिर घास चर रहा है ।
गीदड़ को देखकर गधे ने कहा- "भगिनीसुत ! तू भी मुझे खूब अच्छी़ जगह ले गया । एक क्षण और हो जाता तो जीवन से हाथ धोना पड़ता । भला, वह कौन सा जानवर था जो मुझे देख कर उठा था, और जिसका वज्रसमान हाथ मेरी पीठ पर पड़ा था ?"
तब हँसते हुए गीदड़ ने कहा- "मामा ! तुम भी विचित्र हो, गर्दभी तुम्हें देख कर आलिङगन करने उठी और तुम वहाँ से भाग आये । उसने तो तुम से प्रेम करने को हाथ उठाया था । वह तुम्हारे बिना जीवित नहीं रहेगी । भूखी-प्यासी मर जायगी । वह कहती है, यदि लम्बकर्ण मेरा पति नहीं होगा तो मैं आग में कूद पडूंगी ।
इसलिए अब उसे अधिक मत सताओ । अन्यथा स्त्री-हत्या का पाप तुम्हारे सिर लगेगा । चलो, मेरे साथ चलो ।"
गीदड़ की बात सुन कर गधा उसके साथ फिर जङगल की ओर चल दिया । वहाँ पहुँचते ही शेर उस पर टूट पडा़ । उसे मार कर शेर तालाब में स्नान करने गया । गीदड़ रखवाली करता रहा । शेर को जरा देर हो गई । भूख से व्याकुल गीदड़ ने गधे के कान और दिल के हिस्से काट कर खा लिये ।
शेर जब भजन-पूजन से वापस आया तो उसने देखा कि गधे के कान नहीं थे, और दिल भी निकला हुआ था । क्रोधित होकर उसने गीदड़ से कहा- "पापी ! तूने इसके कान और दिल खा कर इसे जूठा क्यों किया ?"
गीदड़ बोला- "स्वामी ! ऐसा न कहो । इसके कान और दिल थे ही नहीं, तभी तो यह एक बार जाकर भी वापस आ गया था ।"

शेर को गीदड़ की बात पर विश्‍वास हो गया । दोनों ने बाँट कर गधे का भोजन किया । 

12
रचनाएँ
सम्पूर्ण पंचतंत्र भाग 4
4.5
पंचतंत्र नीति, कथा और कहानियों का संग्रह है जिसके मशहूर भारतीय रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा है। पंचतंत्र की कहानी में बच्चों के साथ-साथ बड़े भी रुचि लेते हैं। पंचतंत्र की कहानी के पीछे कोई ना कोई शिक्षा या मूल छिपा होता है जो हमें सीख देती है। पंचतंत्र की कहानी बच्चे बड़ी चाव से पढ़ते हैं तथा सीख लेते हैं। बच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियों से बेहतर और क्या हो सकता है। खासकर, पंचतंत्र की कहानियां, जिसमें बेहतर सीख, संस्कार व जीवन में अच्छी चीजों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मौजूद होती है। पांच भागों में बंटी पंचतंत्र की कहानियां ही हैं, जो दोस्ती की अहमियत, व्यवहारिकता व नेतृत्व जैसी अहम बातों को सरल और आसान शब्दों में बच्चों तक पहुंचा कर उन पर गहरी छाप छोड़ जाती हैं। शायद यही वजह है कि अक्सर बचपन में सुनी कहानियां और उनकी सीख जीवन के अहम पड़ाव में मार्ग दर्शक के रूप में भी काम कर जाती हैं। हम कौआ-उल्लू के बीच का बैर, दोस्ती-दुश्मनी, दोस्तों के होने का लाभ, कर्म न करने से होने वाली हानि, हड़बड़ी में कदम उठाने से होने वाले नुकसान जैसी कई पंचतंत्र की कहानियां आप तक इस प्लेटफॉर्म के जरिए लेकर आ रहे हैं।.
1

बंदर और मगरमच्छ

19 जनवरी 2022
16
1
0

एक नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था। उस पेड़ पर बहुत ही मीठे-मीठे जामुन लगते थे। एक दिन एक मगरमच्छ खाना तलाशते हुए पेड़ के पास आया। बन्दर ने उससे पूछा तो उसने अपने आने की वजह बताई। बन्द

2

मेंढकराज और नाग

19 जनवरी 2022
2
0
0

एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे। उनके राजा का नाम था गंगदत्त। गंगदत्त बहुत झगड़ालू स्वभाव का था। आसपास दो-तीन और भी कुएं थे। उनमें भी मेंढक रहते थे। हर कुएं के मेंढकों का अपना राजा था। हर राजा से कि

3

शेर, गीदड़ और मूर्ख गधा

19 जनवरी 2022
1
0
0

एक घने जंगल में करालकेसर नाम का शेर रहता था । उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता था । शेर को एक बार एक मत्त हाथी से लड़ना पड़ा था, तब से उसके शरीर पर कई घाव हो गये थे । एक टाँग

4

कुम्हार की कहानी

19 जनवरी 2022
1
0
0

युधिष्ठिर नाम का कुम्हार एक बार टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकरा कर गिर गया । गिरते ही वह ठीकरा उसके माथे में घुस गया । खून बहने लगा । घाव गहरा था, दवा-दारु से भी ठीक न हुआ । घाव बढ़ता ही गया । कई

5

गीदड़ गीदड़ है और शेर शेर

19 जनवरी 2022
0
0
0

एक जंगल में शेर-शेरनी का युगल रहता था । शेरनी के दो बच्चे हुए । शेर प्रतिदिन हिरणों को मारकर शेरनी के लिये लाता था । दोनों मिलकर पेट भरते थे । एक दिन जंगल में बहुत घूमने के बाद भी शाम होने तक शेर के ह

6

शेर की खाल में गधा

19 जनवरी 2022
0
0
0

एक शहर में शुद्धपट नाम का धोबी रहता था । उसके पास एक गधा भी था । घास न मिलने से वह बहुत दुबला हो गया । धोबी ने तब एक उपाय सोचा । कुछ दिन पहले जंगल में घूमते-घूमते उसे एक मरा हुआ शेर मिला था, उसकी खाल

7

घमंड का सिर नीचा

19 जनवरी 2022
0
0
0

एक गांव में उज्वलक नाम का बढ़ई रहता था । वह बहुत गरीब था । ग़रीबी से तंग आकर वह गांव छो़ड़कर दूसरे गांव के लिये चल पड़ा । रास्ते में घना जंगल पड़ता था । वहां उसने देखा कि एक ऊंटनी प्रसवपीड़ा से तड़फड़ा रही ह

8

सियार की रणनीति

19 जनवरी 2022
0
0
0

एक जंगल में महाचतुरक नामक सियार रहता था। एक दिन जंगल में उसने एक मरा हुआ हाथी देखा। उसकी बांछे खिल गईं। उसने हाथी के मृत शरीर पर दांत गड़ाया पर चमड़ी मोटी होने की वजह से, वह हाथी को चीरने में नाकाम रह

9

सियार की रणनीति

19 जनवरी 2022
0
0
0

एक जंगल में महाचतुरक नामक सियार रहता था। एक दिन जंगल में उसने एक मरा हुआ हाथी देखा। उसकी बांछे खिल गईं। उसने हाथी के मृत शरीर पर दांत गड़ाया पर चमड़ी मोटी होने की वजह से, वह हाथी को चीरने में नाकाम रह

10

कुत्ते का वैरी कुत्ता

19 जनवरी 2022
0
0
0

एक गाँव में चित्रांग नाम का कुत्ता रहता था । वहां दुर्भिक्ष पड़ गया । अन्न के अभाव में कई कुत्तों का वंशनाश हो गया । अन्न के अभाव में कई कुत्तों का वंशनाश हो गया । चित्रांग ने भी दुर्भिक्ष से बचने के ल

11

स्त्री का विश्वास

19 जनवरी 2022
3
0
0

एक स्थान पर एक ब्राह्मण और उसकी पत्‍नी बड़े प्रेम से रहते थे । किन्तु ब्राह्मणी का व्यवहार ब्राह्मण के कुटुम्बियों से अच्छा़ नहीं था । परिवार में कलह रहता था । प्रतिदिन के कलह से मुक्ति पाने के लिये ब्

12

स्त्री-भक्त राजा

19 जनवरी 2022
0
0
0

एक राज्य में अतुलबल पराक्रमी राजा नन्द राज्य करता था । उसकी वीरता चारों दिशाओं में प्रसिद्ध थी । आसपास के सब राजा उसकी वन्दना करते थे । उसका राज्य समुद्र-तट तक फैला हुआ था । उसका मन्त्री वररुचि भी बड़ा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए