यह उनकी विशेषता है कि उन्होंने कृष्ण-राधा, राम-सीता से संबंधित विषयों के साथ-साथ आधुनिक समस्याओं को भी लिया है और उन पर नवीन ढंग से अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। प्राचीन और आधुनिक भावों के मिश्रण से उनके काव्य में एक अद्भुत चमत्कार उत्पन्न हो गया है।
अपने राष्ट्र फ्रांस की मुक्ति के लिए अपने जीवन की आहुति देने वाली फ्रांस की देवी ”जोन ऑफ आर्क” का नाम विश्व की उन अदम्य साहसी, देशभक्त महिलाओं में बड़े आदर के साथ लिया जाता रहेगा, जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए कठोर, असहनीय यातनाएं सहते-सहते अपना
ये कलम तू है कितना महान तेरे नीचे झुकता सारा संसार तू ही करती सब पर उपकार जिसके पास हो तेरी ताक्कत उसको भला हराये कौन ये कलम तू है कितना महान तुना देखे कोई जात - पात तूझ से करते है सभी प्यार जिंका हो ऊँचा विश्वास उनका करती तू हरदम
मराठी बाल कहानियों का प्रतिनिधि संकलन ‘क़िस्सों की दुनिया’ "अगर आप एक वर्ष की योजना बना रहे हैं तो कोई फसल उगाइए। एक दशक की चिन्ता में हैं तो वृक्ष उगाइए। और यदि एक शताब्दी की फ़िक्र आपको सता रही हो तो बच्चों को शिक्षित कीजिए।" - कन्फ़्यूशियस (चीनी शिक्
सिमरन, कुछ परेशान सी लग रही थी, वह कभी अपनी किताब में कुछ ढूंढती, कभी वह सिहर के ठहर जाती, तभी उनकी दो बेस्ट फ्रेंड राधिका ओर नितिं कमरे में प्रवेश करती है,” “हाय, सिमरन, नीति ने हाथ हिलाते हुए कहा हाय, सिमरन ने भी अपनी सहमति देते हुए, अपनी मुस्कान
वर्तमान में कहानी अब उन लोगों की सोहबत में अधिक है जिन्हें विमर्श करने वाला या विभिन्न सामाजिक विषयों को लेकर प्रतिरोध व आलोचना को व्यक्त करने वाला माना जाता है। समाज में आधुनिकतावाद तथा उस आधुनिकतावाद की आलोचना करने वाले सिद्धान्तों ने दमित परम्परा,
डॉ. कुमार ने 1992 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करके और प्रशिक्षण प्राप्त करके भारत सरकार में पदासीन हुए ।
ज़िन्दगीनामा’—जिसमें न कोई नायक। न कोई खलनायक। सिर्फ़ लोग और लोग और लोग। ज़िन्दादिल। जाँबाज़। लोग जो हिन्दुस्तान की ड्योढ़ी पंचनद पर जमे, सदियों ग़ाज़ी मरदों के लश्करों से भिड़ते रहे। फिर भी फ़सलें उगाते रहे। जी लेने की सोंधी ललक पर ज़िन्दगियाँ लुटात
मुंशी प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं | जिनके युग का विस्तार सन 1800 से 1936 तक है यह कालखंड भारत के इतिहास में बहुत महत्व का है इस युग में भारत का स्वतंत्रता संग्राम नई मंजिलों से गुजरा प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था |
अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म जिला आजमगढ़ के निजामाबाद नामक स्थान में सन् 1865 ई. में हुआ था। हरिऔध के पिता का नाम भोला सिंह और माता का नाम रुक्मणि देवी था। अस्वस्थता के कारण हरिऔध जी का विद्यालय में पठन-पाठन न हो सका, अतः इन्होंने घर पर ही उर्दू, सं
अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी काव्य को लोकगीत एवं मानव कल्याण के साधन के रूप में स्वीकार करते थे | वह कविता को ईश्वर प्रदत्त अलौकिक वरदान समझकर काव्य रचना करते थे | इसीलिए उनके काव्य में सर्व मंगल का स्वर मुखरित होता है उनके काव्य में पौराणिक एवं
स्वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज में हमने जहाँ विकास और प्रगति की कई मंज़िलें तय की हैं, वहीं अनेक व्याधियाँ भी अर्जित की हैं। अनेक समाजार्थिक कारणों से हम ऐसी कुछ बीमारियों से घिरे हैं जिनका कोई सिरा पकड़ में नहीं आता। युवाओं में बढ़ती नशे और ड्रग्स की
श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान कोई शब्दिक चर्चा या सैद्धांतिक ज्ञान नहीं बल्कि रणक्षेत्र में खड़े एक योद्धा के लिए कहे गए शब्द हैं। भगवद्गीता का जन्म किसी शान्त, मनोरम जंगल में नहीं, बल्कि कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। अर्जुन के सामने एक तरफ धर्म था
जरा #मुस्कुरा के देखो, #दुनिया #हँसती नजर आएगी ! #मुस्कराता हुआ #चेहरा कभी भी आउट ऑफ़ फैशन नही होता, इसलिए #मुस्कारते रहो ! मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है, वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है सदा मुस्कुराते रहिये #मुस्कुराने से
हमने अब तक श्रीराम को रामायण से ही जाना है, जिसमें श्रीराम को हमने एक आज्ञाकारी बेटा, एक प्रजाहितैषी राजा और एक मर्यादापुरुष की तरह जाना है। पर क्या हमनें जाना है कि श्रीराम को आध्यात्मिक शिक्षा कहाँ से मिली थी? उनको अवतार क्यों कहा जाता है? वो इत
कठोपनिषद् तेरह प्रमुख उपनिषदों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपनिषद है। यह उपनिषद हमारी वो कहानी कहता है जो प्रतिदिन घटती है। बालक नचिकेता के मृत्यु से किए गए सरल सवालों में जीवन के अनदेखे पक्ष सामने आते हैं। "क्या वाकई कोई मृत्यु के देवता होते हैं?"
‘कोयला और कवित्व' में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की सन् साठ के बाद रची गई ऐसी कविताएँ हैं जो अपने आधुनिकता-बोध में पारदर्शी तो हैं 'कोयला और कवित्व' में संकलित कविताएँ अपने आकार में बहुत बड़ी न होकर भी अपनी प्रकृति में बहुत बड़ी हैं। एक बड़े कालखंड से जुड़
अज्ञेय जी का पूरा नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 में उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के कुशीनगर में हुआ। इस कविता का संदेश है कि व्यक्ति और समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए व्यक्ति का गुण उसका कौशल उसकी रचनात्