इस पुस्तक में गुरु और अध्यापक में अंतर पता चलेगा !
यह पुस्तक केवल ज्ञान को दर्शाता है इसका केवल यही मतलब है
हर घर तिरंगा' आजादी के अमृत महोत्सव का एक अभियान है, जिसका उद्देश्य लोगों को भारत की आजादी के उपलक्ष्य में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित करना है. Azadi Ka Amrit Mahotsav: भारत इस साल 15 अगस्त को अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस मौके पर
इस किताब की सभी कहानियां सभी को एक नसीहत देने वाली हैं इसकी सभी कहानियां अपने अनुभव और नसीहत से भरी हुई हैं ये कहानियां हमे ये बताती हैं कि हमे जीवन में क्या क्या और कैसे करना चाहिए जीवन क्या है ऐसा बहुत कुछ सभी पाठकों को इस किताब से मिलेगा ऐसा ही मे
आखिर यह रामायण है क्या? इससे क्या सीखना है? इसका मनन क्यों करें? राजा दशरथ का अंजाने में श्रवण कुमार की हत्या करना, उनका श्रापित होना, कैकेयी का वचन, राजा दशरथ का अपने प्रिय पुत्र का मरणासन्न वियोग, राम का 14 साल का वनवास, लक्ष्मण का भाई प्रेम, उ
शिक्षा हमें संस्कार और संस्कृति का महत्व और जीवन में समाजिक सुरक्षा और मानक बताती हैं परंतु आज हम सभी शिक्षा को लेकर बस कागज के प्रमाण पत्र एकत्र करना समझते हैं आज हम सभी जानते हैं आओ एक कविता के साथ हम समझते हैं
यह किताब कॉमर्स वर्ग के पाठक के लिए बनायीं जा रही है |
निशा−निमन्त्रण' बच्चन जी का बहुत ही लोकप्रिय काव्य है। इसका पहला संस्करण 1938 में निकला था। निशा निमंत्रण हरिवंशराय बच्चन के गीतों का संकलन है जिसका प्रकाशन १९३८ ई० में हुआ। ये गीत १३-१३ पंक्तियों के हैं जो कि हिन्दी साहित्य की श्रेष्ठतम उपलब्धियों म
अज्ञेय जी का पूरा नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 में उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के कुशीनगर में हुआ। इस कविता का संदेश है कि व्यक्ति और समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए व्यक्ति का गुण उसका कौशल उसकी रचनात्
चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण
आज कल वही पढा और देखा जाता है। जो पैसो से मिले । वरना लोग तो फ्री के नाम से ही खुद अदाजां लगा लेते हैं। कि चीजों में क्या फर्क है। कौन सी अच्छी और कौन सी बेकार है।
यह दुखांत नाटक की परंपरा के नजदीक है । ' भारत दुर्दशा ' में पराधीन भारत की दयनीय आर्थिक स्थिति एवं सामाजिक – सांस्कृतिक अधः पतन का चित्रण है । 'सती प्रताप' सावित्री के पौराणिक आख्यान पर लिखा गया है। भारतेंदु ने अंग्रेजी के ' मर्चेंट ऑफ वेनिस ' नाटक क
।।ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।। मधुरा-मन्दोदरी खण्ड काव्य स्त्री चरित्र पर प्रकाश डालने का एक प्रयास है।मन्दोदरी के सम्पूर्ण जीवन की झलक के माध्यम से उपेक्षित महिलाओं की महत्ता प्रतिपादित किया गया है साथ ही साथ मन्दोदरी के सम्बंध में
वंदे मातरम गूंजे वसुधा पर घाटी से लेकर सागर तक पूर्वोत्तर से लेकर पश्चिम तक चारो ओर लहराए तिरंगा प्यारा तन मन धन जिस पर कुर्बान वो प्यारा हिंदुस्तान देश हमारा वो प्यारा हिंदुस्तान देश हमारा अंखंडता , संप्रभुता की पहचान सवर्धर्मो सर्वोवर
अज्ञेय जी का पूरा नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय है। इनका जन्म 7 मार्च 1911 में उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के कुशीनगर में हुआ। इस कविता का संदेश है कि व्यक्ति और समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए व्यक्ति का गुण उसका कौशल उसकी रचनात्
ये जो शब्द है, ‘माँ’ इसके दो अर्थ हो सकते हैं। दोनों अलग-अलग आयामों के अर्थ हैं। एक अर्थ ज़मीन का है और एक अर्थ आसमान का है। एक अर्थ हो सकता है माँ का वो जिससे एक दूसरा शरीर निर्मित होता है। और सामान्यतया जहाँ कहीं भी हम देखते हैं कि एक व्यक्ति के
जब हम इन वाक्यों या वाक्यांशों को बार बार पढ़ते है तो ये अंतरात्मा तक गहरे उतरकर अपनी छाप अवश्य छोड़ते हैं। जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होता है। इन्सान महान पैदा नहीं होता है, उसके विचार उसे महान बनाते हैं। विचार, काम की शुद्धता और सरलता ही
"मनुसाई" यह 19वां काव्य संग्रह है। मानव का जन्म लेकर अगर मानवता नहीं है...तो मानव जीवन व्यर्थ है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु की पहचान उसके गुणों से होती है..उसी तरह मनुष्यता मनुष्य होने की पहचान है। सुख, समृद्धि एवं शांति से परिपूर्ण जीवन के लिए सच्चरि
आज जिन्हें हम मुनि भर्तृहरि के नाम से जानते हैं वो एक समय पर उज्जैन के राजा भर्तृहरि के नाम से प्रसिद्ध थे। युवा अवस्था में वह एक विलक्षण राजनीतिज्ञ थे लेकिन उन दिनों उनकी कामुकता भी प्रबल थी, वह अपनी पत्नी व अन्य स्त्रियों के मोह से ग्रस्त थे। फि