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श्रुति ने की आत्महत्या

4 मई 2023

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धारणा एक बहुत बड़ी वकील थी ।वह एक क्रिमिनल लॉयर थी। धारणा अधिकतर ऐसे केस लेती थी। जिसमें गरीबों के साथ नाइंसाफी हुई हो और जिनके पास केस लड़ने के पैसे नहीं होते थे। उनके लिए धारणा आगे आती थी ।उसका रिकॉर्ड था कि वह कभी कोई केस नहीं हारी  थी।धारणा एक बहुत बड़ी वकील थी ।वह एक क्रिमिनल लॉयर थी। धारणा अधिकतर ऐसे केस लेती थी। जिसमें गरीबों के साथ नाइंसाफी हुई हो और जिनके पास केस लड़ने के पैसे नहीं होते थे। उनके लिए धारणा आगे आती थी ।उसका रिकॉर्ड था कि वह कभी कोई केस नहीं हारी  थी।
लड़कियों के प्रति हुए  अन्याय को वह जड़ से खत्म करना चाहती थी और हर उस लड़की को इंसाफ दिलाना चाहती थी। जिसके साथ शोषण हुआ हो।
आज कोर्ट में एक लड़की श्रुति का केस था। वह एक गरीब परिवार की बेटी थी ।उसके मां-बाप बड़ी मुश्किल से अपनी बेटी को पढ़ाया लिखाया था। श्रुति एक कॉल सेंटर में काम करती थी और अपने  परिवार का खर्चा भी उठाती थी।
एक दिन वह रात को कॉल सेंटर से वापस आ रही थी। तभी उसे रास्ते से चार गुंडे उठा ले जाते हैं।
वह श्रुति को एक बंद फैक्ट्री में लेकर गए थे। श्रुति उनसे बचने की बहुत कोशिश करती है। लेकिन वह चारों उससे बहुत ज्यादा ताकतवर थे ।इसलिए वह बेचारी उनके चंगुल से अपने आप को नहीं बचा पाती।
उन चारों ने बहुत ही बेरहमी से श्रुति का रेप किया था।
वो चारों श्रुति को धमकी देते हैं कि अगर उसने अपना मुंह खोला तो उसके मां-बाप को मार डालेंगे।
श्रुति पहले तो डर के मारे किसी को कुछ नहीं बताती। लेकिन जब उसे धारणा के बारे में पता चलता है कि वह उसके जैसी मजबूर लड़कियों को इंसाफ दिलाती है। तो उसके अंदर थोड़ी हिम्मत आ जाती है और वह धारणा से मिलने पहुंच जाती है ।धारणा को जब पूरी सच्चाई का पता चलता है। तो उसे बहुत गुस्सा आता है। वह उन चारों के खिलाफ f.i.r. करवाती है वहां पर श्रुति के बयान भी दर्ज होते हैं।
आज कोर्ट में इसी केस की सुनवाई थी। उन चारों मुजरिमों को पुलिस ने पकड़ लिया था। क्योंकि श्रुति के साथ खुद धारणा f.i.r कराने के लिए गई थी और वह बहुत ही बड़ी वकील थी। हैदराबाद में उसका बहुत नाम था।
कोर्ट में सब अपनी अपनी जगह पर बैठ गए थे। श्रुति अकेली बैठी हुई थी। उसके मां-बाप नजर नहीं आ रहे थे। धारणा उससे पूछने की वाली होती है कि तभी जज साहब
आ जाते हैं सब खड़े होकर जज साहब को विश करते हैं। जज साहब  जैसे ही  बैठते हैं ।तो सब लोग बैठ जाते हैं।

कोर्ट की कार्यवाही शुरू की जाती है ।तो धारणा खड़ी होकर कहती है.

" माय लॉर्ड यह केस एक मासूम लड़की के साथ हुई हैवानियत के बारे में है ।वह मासूम लड़की अपने साथ हुई दरिंदगी का इंसाफ चाहती है।"
"मेरी मुवक्किल श्रुति देशमुख के साथ 20 जून की रात को इन चारों ने गैंग रेप किया और धमकाया कि अगर श्रुति ने पुलिस कंप्लेंट की तो यह उसके मां-बाप को मार देंगे।मैं ऐसे हैवानों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा की मांग करती हूं। मेरी अदालत से गुजारिश है कि इन चारों को सख्त से सख्त सजा दें और श्रुति को इंसाफ दें।"

तभी उन चारों गुंडों का वकील शुक्ला खड़े होकर कहता है..

" माय लॉर्ड! मेरी काबिल दोस्त मिस धारणा शर्मा भूल रही हैं की अदालत में फैसले किसी की भावुक अपील पर नहीं लिए जाते ।बल्कि सभी सबूतों के बिनाह पर लिए जाते हैं।"
तभी धारणा कहती है...

माय लॉर्ड ! मुझे अच्छी तरह से पता है कि अदालत सबूतों पर विश्वास करती है। इसलिए मैं अदालत के सामने कुछ सबूत पेश करना चाहती हूं।"
तभी वह उस केस के इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर राकेश को उन चारों की टैस्ट रिपोर्ट पेश करने के लिए कहती है।
इंस्पेक्टर राकेश ..
सॉरी मैम !सॉरी जज साहब !दरअसल जिस कमरे में रिपोर्ट्स रखी गई थी। वहां शॉर्ट सर्किट सर्किट की वजह से आग लग गई और सारे कागज़ जल गए।"
धारणा को बहुत ज्यादा गुस्सा आता है और अब वह यह भी समझ गई थी कि यह पुलिस वाला भी इन से मिला हुआ है।
वह कुछ कहने  ही वाली थी तभी शुक्ला उठकर बोलता है..
" माय लॉर्ड मेरी काबिल दोस्त अदालत का वक्त जाया कर रही है ।अदालत का वक्त बहुत कीमती है ।मैं आपको सारी सच्चाई बताता हूं लेकिन उससे पहले मैं श्रुति देशमुख को कटघरे में भूजल बुलाने की इजाजत चाहूंगा!"
"इजाजत है"
"हां तो मिस देशमुख! आपका कहना है कि 20 जून की रात इन चारों ने आपके साथ शोषण किया!"
"जी"

"तो अगर इन्होंने आपके साथ 20 तारीख को शोषण किया था ।तो आप 22 तारीख तक इंतजार क्यों कर रही थी?? आपने तुरंत पुलिस में कंप्लेंट क्यों नहीं करवाई???"
"क्योंकि इन्होंने मुझे धमकी दी थी। कि अगर मैंने इनके खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट की तो यह मेरे मां बाप को मार डालेंगे।"

झूठ !!! झूठ बोल रही हैं आप!!!
ऐसा कुछ था ही नहीं ।माय लॉर्ड आपको पूरी सच्चाई मैं बताता हूं ।मिस श्रुति देशमुख एक गरीब परिवार से आती हैं। लेकिन उनके शौक काफी बड़े हैं ।यह अपने शौक एक नौकरी से पूरे नहीं कर पा रही थी। इसलिए इसने मेरे मुअक्किलों को फसाया। यह लड़की एक कॉल गर्ल है और पैसे वाले लोगों को गलत इल्जाम में फंसाना इसका काम है।"
"ये अपनी मर्जी से इनके साथ गई थी ।जो कुछ भी हुआ उसने इसकी भी मर्जी थी।"

धारणा को यह सुनकर गुस्सा आ जाता है और वह कहती है ... "जज साहब ! ये  मेरी वकील के ऊपर गलत और झूठे इल्जाम लगा रहे हैं।"

"मैं कोई भी गलत इल्जाम नहीं लगा रहा हूं । मैं सच बोल रहा हूं ।तभी वह श्रुति से पूछता है.
" जो मैंने कहा वही सच है ।तुमने जानबूझकर इन चारों को फसाने के लिए इन पर रेप का झूठा इल्जाम लगाया है। जबकि तुम खुद ही पैसे के लिए इनके साथ गई थी। "बोलो यही सच है ना!"

श्रुति की आंखों में आंसू आ गए थे।
तभी धारणा कहती है ... जज साहब ये  मेरी मुवक्किल पर दबाव बना रहे हैं और उसे एक झूठ को सच बोलने के लिए कह रहे हैं।ये  तो सरासर गलत है।"

तभी धारणा के कानों में श्रुति की आवाज पड़ती है और वह कहती है ...यह सच है !जो बातें शुक्ला जी ने बोली हैं। वह सब सच है। मैं अपनी मर्जी से ही इनके साथ गई थी। जब इन्होंने मुझे मेरी मुंह मांगी पैसे नहीं दिए तो मैंने उन्हें फंसाने के लिए यह साला झूठ बोला।"

उसकी बातें सुनकर धारणा की आंखें बड़ी बड़ी हो जाती है और वह कहती है ..
"श्रुति देखो! तुम्हें झूठ बोलने की कोई भी जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें इंसाफ जरूर दिलवाऊंगी ।सच में तुम्हारे साथ जो भी हुआ था इस अदालत को वह बताओ और तुमने तो पुलिस स्टेशन में बयान भी दिए थे ना!"

वो बयान झूठे थे। मैंने झूठ बोला था और सच थी  है जो मैं अब बोल रही हूं ।जज साहब मुझे यह केस नहीं करना है ।मैं अपनी कंप्लेंट वापस लेती हूं।"

श्रुति की बातें सुनकर जज साहब उन चारों को रिहा कर देते हैं और श्रुति के ऊपर झूठा केस करने का जुर्माना लगाते हैं।
वो चारों एक बहुत ही गंदी हंसी हंसते हुए और धारणा और श्रुति को देखते हुए वहां से चले जाते हैं।
धारणा श्रुति के पास जाकर उसे कुछ कह नहीं वाली होती है कि ,श्रुति वहां से भाग जाती है। वहां से भाग कर सीधा सड़क के बीचो बीच आती है और तभी एक ट्रक जो बहुत तेजी से आ रहा था ।श्रुति उससे टकरा जाती है।
यह श्रुति ने जानबूझकर किया था ।उसकी ऑन द स्पॉट डेथ हो गई थी।
अब  देखते हैं अगले भाग में की श्रुति ने  अदालत से झूठ क्यों बोला और उसने सुसाइड क्यों किया??

 

Monika Garg

Monika Garg

https://hindi.shabd.in/kyaa-yhii-pyaar-hai-bhaag-1-monika-garg/book/10273070 कृपया मेरे नये उपन्यास को पढ़ कर समीक्षा दें।

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