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सोने कि अंगूठी

8 अप्रैल 2022

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सोने कि अंगूठी सआदत हसन मंटो

“छत्ते का छत्ता होगया आप के सर पर मेरी समझ में नहीं आता कि बाल न कटवाना कहाँ का फ़ैशन है ”

“फ़ैशन वेशन कुछ नहीं तुम्हें अगर बाल कटवाने पड़ें तो क़दर-ए-आफ़ियत मालूम हो जाये ”

“मैं क्यों बाल कटवाऊँ”

“क्या औरतें कटवाती नहीं हज़ारों बल्कि लाखों ऐसी मौजूद हैं जो अपने बाल कटवाती हैं बल्कि अब तो ये फ़ैशन भी चल निकला है कि औरतें मर्दों की तरह छोटे छोटे बाल रखती हैं ”

“लानत है उन पर ”

“किस की ”

“ख़ुदा की और किस की बाल तो औरत की ज़ीनत हैं समझ में नहीं आता कि ये औरतें क्यों अपने बाल मर्दों की मानिंद बनवा लेती हैं, फिर पतलूनें पहनती हैं न रहे इन का वजूद दुनिया के तख़्ते पर ”

“वजूद तो ख़ैर आप की इस बद-दुआ से उन नेक-बख़्त औरतों का दुनिया के इस तख़्ते से किसी हालत में भी ग़ायब नहीं होगा वैसे एक चीज़ से मुझे तुम से कुल्ली इत्तिफ़ाक़ है कि औरत को पतलून जिसे सलेकस कहते हैं नहीं पहननी चाहिए और सिगरेट भी न पीने चाहिऐं”

“और आप हैं कि दिन में पूरा एक डिब्बा फूंक डालते हैं ”

“इस लिए कि मैं मर्द हूँ मुझे इस की इजाज़त है”

“किस ने दी थी ये इजाज़त आप को मैं अब आइन्दा से हर रोज़ सिर्फ़ एक डिबिया मंगा कर दिया करूंगी ”

“और वो जो तुम्हारी सहेलियां आती हैं उन को सिगरेट कहाँ से मिलेंगे?”

“वो कब पीती हैं ”

“इतना सफ़ैद झूट न बोला करो उन में से जब भी कोई आती है तुम मेरा सिगरेट का डिब्बा उठा कर अंदर ले जाती हो साथ ही माचिस भी आख़िर मुझे आवाज़ दे कर तुम्हें बुलाना पड़ता है और मेरा डिब्बा मुझे वापिस मिलता है उस में से पाँच छः सिगरेट ग़ायब होते हैं ”

“पाँच छः सिगरेट झूट तो आप बोल रहे हैं वो तो बेचारियाँ मुश्किल से एक सिगरेट पीती हैं ”

“एक सिगरेट पीने में उन्हें मुश्किल क्या महसूस होती है।”

“मैं आप से ब हस करना नहीं चाहती आप को तो और कोई काम ही नहीं, सिवाए बहस करने के ”

“हज़ारों काम हैं तुम कौन से हल चलाती हो सारा दिन पड़ी सोई रहती हो।”

“जी हाँ आप तो चौबीस घुटने जागते और वज़ीफ़ा करते रहते हैं ”

“वज़ीफ़े की बात ग़लत है अलबत्ता मैं ये कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ़ रात को छः घंटे सोता हूँ ”

“और दिन को ”

“कभी नहीं बस आँखें बंद कर के तीन चार घंटे लेटा रहता हूँ कि इस से आदमी को बहुत आराम मिलता है सारी थकन दूर हो जाती है।”

“ये थकन कहाँ से पैदा होती है आप कौन सी मज़दूरी करते हैं ”

“मज़दूरी ही तो करता हूँ सुबह सवेरे उठता हूँ अख़बार पढ़ता हूँ एक नहीं सुपर फिर नाश्ता करता हूँ नहाता हूँ और फिर तुम्हारी रोज़मर्रा की चख़ चख़ के लिए तैय्यार हो जाता हूँ ”

“ये मज़दूरी हुई और आप ये तो बताईए कि रोज़मर्रा की चख़ चख़ का इल्ज़ाम कहाँ तक दरुस्त है ”

“जहां तक उसे होना चाहिए शुरू शुरू में मेरा मतलब शादी के बाद दो बरस तक बड़े सुकून में ज़िंदगी गुज़र रही थी लेकिन फिर एक दम तुम पर कोई ऐसा दौरा पड़ा कि तुम ने हर रोज़ मुझ से लड़ना झगड़ना अपना मामूल बना लिया पता नहीं उस की वजह क्या है ”

“वजह ही तो मर्दों की समझ से हमेशा बाला-तर रहती है आप लोग समझने की कोशिश ही नहीं करते ”

“मगर तुम समझने की मोहलत भी दो हर रोज़ किसी न किसी बात का शोशा छोड़ देती हो भला आज क्या बात थी जिस पर तुम ने इतना चीख़ना चलाने शुरू कर दिया”

“गोया ये कोई बात ही नहीं कि आप ने पिछले छः महीनों से बाल नहीं कटवाए! अपनी उचकनों के कालर देखिए मैले चीकट हो रहे हैं ”

“ड्राई कलीन करा लूं ”

“पहले अपना सर ड्राई कलीन कराए वहशत होती है अल्लाह क़सम आप के बालों को देख कर जी चाहता है मिट्टी का तेल डाल कर उन को आग लगा दूं ”

“ताकि मेरा ख़ातमा ही हो जाये लेकिन मुझे तुम्हारी इस ख़्वाहिश पर कोई भी एतराज़ नहीं लाओ बावर्ची-ख़ाने से मिट्टी के तेल की बोतल आहिस्ता आहिस्ता मेरे सर में डालो और माचिस की तीली जला कर उस को आग दिखा दो ख़स कम जहां पाक ”

“ये काम आप ख़ुद ही कीजीए मैंने आग लगाई तो आप यक़ीनन कहेंगे कि तुम्हें किसी काम का सलीक़ा नहीं ”

“ये तो हक़ीक़त है कि तुम्हें किसी बात का सलीक़ा नहीं खाना पकाना नहीं जानती, सीना पिरोना तुम्हें नहीं आता घर की सफ़ाई भी तुम अच्छी तरह नहीं कर सकतीं, बच्चों की परवरिश है तो उस का तो अल्लाह ही हाफ़िज़ है ”

“जी हाँ बच्चों की परवरिश तो अब तक माशा अल्लाह, आप ही करते आए हैं, मैं तो बिलकुल ही निकम्मी हूँ ”

“मैं इस मुआमले में कुछ और नहीं कहना चाहता तुम ख़ुदा के लिए इस बहस को बंद करो”

“मैं बहस कहाँ कर रही हूँ आप तो मामूली बातों को बहस का नाम दे देते हैं”

“तुम्हारे नज़दीक ये मामूली बातें होंगी! तुम ने मेरा दिमाग़ चाट लिया है मेरे सर पर हमेशा इतने ही बाल रहे हैं और तुम अच्छी तरह जानती हो कि मुझे इतनी फ़ुर्सत नसीब नहीं होती कि हज्जाम के पास जाऊं ”

“जी हाँ आप को अपनी अय्याशियों से फ़ुर्सत ही कहाँ मिलती है ”

“किन अय्याशियों से ”

“आप काम क्या करते हैं कहाँ मुलाज़िम हैं क्या तनख़्वाह पाते हैं। आप को तो हर वो काम बहुत बड़ी लानत मालूम होता है जिस में आप को मेहनत मशक़्क़त करनी पड़े।”

“मैं क्या मेहनत मशक़्क़त नहीं करता अभी पिछले दिनों ईंटें स्पलाई करने का मैंने जो ठेका लिया था, जानती हो मैंने दिन रात एक कर दिया था।”

“गधे काम कर रहे थे। आप तो सोते रहे होंगे।”

“गधहों का ज़माना गया लारियां काम कर रही थीं और मुझे उन की निगरानी करना पड़ती थी दस करोड़ ईंटों का ठेका था मुझे सारी रात जागना पड़ता था ”

“मैं मान ही नहीं सकती कि आप एक रात भी जाग सकें ”

“अब इस का क्या ईलाज है कि तुम ने मेरे मुतअल्लिक़ ऐसी ग़लत राय क़ायम करली है और मैं जानता हूँ कि तुम हज़ार सबूत देने पर भी मुझ पर यक़ीन नहीं करोगी ”

“मेरा यक़ीन आप पर से अर्सा हुआ उठ गया है। आप परलय दर्जे के झूटे हैं।”

“बुहतान तराशी में तुम्हारी हम-पल्ला और कोई औरत नहीं हो सकती मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी झूट नहीं बोला ”

“ठहरिए परसों आप ने मुझ से कहा कि आप किसी दोस्त के हाँ गए थे लेकिन जब शाम को आप ने थोड़ी सी पी तो चहक चहक कर मुझे बताया कि आप एक एक्ट्रेस से मिल कर आए हैं ”

“वो एक्ट्रेस भी तो अपनी दोस्त है दुश्मन तो नहीं मेरा मतलब है अपने एक दोस्त की बीवी है ”

“आप के दोस्तों की बीवियां उमूमन या तो एक्ट्रेस होती हैं, या तवाइफ़ें”

“इस में मेरा क्या क़ुसूर ”

“क़ुसूर तो मेरा है ”

“वो कैसे ”

“ऐसे कि मैंने आप से शादी कर ली में एक्ट्रेस हूँ न तवाइफ़ ”

“मुझे एक्ट्रेसों और तवाइफ़ों से सख़्त नफ़रत है मुझे उन से कोई दिलचस्पी नहीं वो औरतें नहीं सलेटें हैं जिन पर कोई भी चंद हुरूफ़ या लंबी चौड़ी इबारत लिख कर मिटा सकता है ”

“तो उस रोज़ आप क्यों इस एक्ट्रेस के पास गए ”

“मेरे दोस्त ने बुलाया मैं चला गया उस ने एक एक्ट्रेस से जो पहले चार शादियां कर चुकी थी, नया नया ब्याह रचाया था मुझे इस से मुतआरिफ़ कराया गया।”

“चार शादियों के बाद भी वो ख़ासी जवान दिखाई देती थी बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि वो आम कुंवारी जवान लड़कियों के मुक़ाबले में हर लिहाज़ से अच्छी थी।”

“वो एक्ट्रेसें किस तरह ख़ुद को चुस्त और जवान रखती हैं।”

“मुझे इस के मुतअल्लिक़ कोई ज़्यादा इल्म नहीं बस इतना सुना है कि वो अपने जिस्म और जान की हिफ़ाज़त करती हैं ”

“मैंने तो सुना है कि बड़ी बद-किर्दार होती हैं अव्वल दर्जे की फ़ाहिशा ”

“अल्लाह बेहतर जानता है मुझे इस के बारे में कोई इल्म नहीं।”

“आप ऐसी बातों का जवाब हमेशा गोल कर जाते हैं ”

“जब मुझे किसी ख़ास चीज़ के मुतअल्लिक़ कुछ इलम ही ना हो तो मैं जवाब क्या दूं मैं तुम्हारे मिज़ाज के मुतअल्लिक़ भी वसूक़ से कुछ नहीं कह सकता घड़ी में तौला घड़ी में माशा।”

“देखिए! आप मेरे मुतअल्लिक़ कुछ न कहा कीजिए आप हमेशा मेरी बे-इज़्ज़ती करते रहते हैं मैं ये बर्दाश्त नहीं कर सकती ”

“मैंने तुम्हारी बे-इज़्ज़ती कब की है।”

“ये बे-इज़्ज़ती नहीं कि पंद्रह बरसों में आप मेरा मिज़ाज नहीं जान सके। इस का मतलब ये हुआ कि में मख़्बत-उल-हवास हूँ । नीम पागल हूँ, जाहिल हूँ उजड्ड हूँ।”

“ये तो ख़ैर तुम नहीं लेकिन तुम्हें समझना बहुत मुश्किल है। अभी तक मेरी समझ में नहीं आया कि तुम ने मेरे बालों की बात किस ग़र्ज़ से शुरू की इस लिए कि जब भी तुम कोई बात शुरू करती हो उस के पीछे कोई ख़ास बात ज़रूर होती है ”

“ख़ास बात क्या होगी बस आप से सिर्फ़ यही कहना था कि बाल इतने बढ़ गए हैं, कटवा दीजिए हज्जाम की दुकान यहां से कितनी दूर है, ज़्यादा से ज़्यादा दो सौ गज़ के फ़ासले पर होगी जाईए मैं पानी गर्म करती हूँ।”

“जाता हूँ ज़रा एक सिगरेट पी लूं।”

“सिगरेट विगरीट आप नहीं पियेंगे लीजिए अब तक ठहरिए मैं डिब्बा देख लूं मेरे अल्लाह बीस सिगरेट फूंक चुके हैं आप बीस ”

“ये तो कुछ ज़्यादा न हुए बारह बजने वाले हैं ”

“ज़्यादा बातें मत कीजिए सीधे हज्जाम के पास जाईए और ये अपने सर का बोझ उतरवाएँ ”

“जाता हूँ कोई और काम हो तो बता दो ”

“मेरा कोई काम नहीं आप इस बहाने से मुझे टालना चाहते हैं।”

“अच्छा तो मैं चला ”

“ठहरिए ”

“ठहर गया फ़रमाईए ”

“आप के बटवे में कितने रुपय होंगे।”

“पाँच सौ के क़रीब ”

“तो यूं कीजिए बाल कटवाने से पहले अनार कली से सोने की एक अँगूठी ले आईए आज मेरी एक सहेली की सालगिरा है दो ढाई सौ रुपय की हो ”

“मेरी तो वहीं अनार कली ही में हजामत हो जाएगी मैं जाता हूँ ”

 

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कामिनी के ब्याह को अभी एक साल भी न हुआ था कि उस का पति दिल के आरिज़े की वजह से मर गया और अपनी सारी जायदाद उस के लिए छोड़ गया। कामिनी को बहुत सदमा पहुंचा, इस लिए कि वो जवानी ही में बेवा हो गई थी। उस की

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महमूदा

8 अप्रैल 2022
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मुस्तक़ीम ने महमूदा को पहली मर्तबा अपनी शादी पर देखा। आरसी मसहफ़ की रस्म अदा हो रही थी कि अचानक उस को दो बड़ी बड़ी.......ग़ैर-मामूली तौर पर बड़ी आँखें दिखाई दीं.......ये महमूदा की आँखें थीं जो अभी तक कुंवार

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मिसेज़ डी सिल्वा

8 अप्रैल 2022
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बिलकुल आमने सामने फ़्लैट थे। हमारे फ़्लैट का नंबर तेरह था। उस के फ़्लैट का चौदह। कभी कोई सामने का दरवाज़ा खटखटाता तो मुझे यही मालूम होता कि हमारे दरवाज़े पर दस्तक होरही है। इसी ग़लतफ़हमी में जब मैंने एक

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मेरा हमसफ़र

9 अप्रैल 2022
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प्लेटफार्म पर शहाब, सईद और अब्बास ने एक शोर मचा रखा था। ये सब दोस्त मुझे स्टेशन पर छोड़ने के लिए आए थे, गाड़ी प्लेटफार्म को छोड़ कर आहिस्ता आहिस्ता चल रही थी कि शहाब ने बढ़ कर पाएदान पर चढ़ते हुए मुझ से

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मेरा और उसका इंतिक़ाम

9 अप्रैल 2022
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घर में मेरे सिवा कोई मौजूद नहीं था। पिता जी कचहरी में थे और शाम से पहले कभी घर आने के आदी न थे। माता जी लाहौर में थीं और मेरी बहन बिमला अपनी किसी सहेली के हाँ गई थी! मैं तन्हा अपने कमरे में बैठा किताब

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वह लड़की

9 अप्रैल 2022
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सवा-चार बज चुके थे लेकिन धूप में वही तमाज़त थी जो दोपहर को बारह बजे के क़रीब थी। उस ने बालकनी में आ कर बाहर देखा तो उसे एक लड़की नज़र आई जो बज़ाहिर धूप से बचने के लिए एक साया-दार दरख़्त की छांव में आलती पाल

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वो ख़त जो पोस्ट न किये गए

9 अप्रैल 2022
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हव्वा की एक बेटी के चंद ख़ुतूत जो उस ने फ़ुर्सत के वक़्त मुहल्ले के चंद लोगों को लिखे। मगर इन वजूह की बिना पर पोस्ट न किए गए जो इन ख़ुतूत में नुमायां नज़र आती हैं। (नाम और मुक़ाम फ़र्ज़ी हैं) पहला ख़त म

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शादी

9 अप्रैल 2022
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जमील को अपना शैफर लाइफ-टाइम क़लम मरम्मत के लिए देना था। उस ने टेलीफ़ोन डायरेक्ट्री में शैफर कंपनी का नंबर तलाश किया। फ़ोन करने से मालूम हुआ कि उन के एजेंट मैसर्ज़ डी, जे, समतोइर हैं जिन का दफ़्तर ग्रीन

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सड़क के किनारे

9 अप्रैल 2022
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“यही दिन थे......... आसमान उस की आँखों की तरह ऐसा ही नीला था जैसा कि आज है। धुला हुआ, निथरा हुआ......... और धूप भी ऐसी ही कनकनी थी......... सुहाने ख़्वाबों की तरह। मिट्टी की बॉस भी ऐसी ही थी जैसी कि इ

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शारदा

9 अप्रैल 2022
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नज़ीर ब्लैक मार्कीट से विस्की की बोतल लाने गया। बड़क डाकख़ाने से कुछ आगे बंदरगाह के फाटक से कुछ इधर सिगरेट वाले की दुकान से उस को स्काच मुनासिब दामों पर मिल जाती थी। जब उस ने पैंतीस रुपये अदा करके काग़

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सिराज

9 अप्रैल 2022
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नागपाड़ा पुलिस चौकी के उस तरफ़ जो छोटा सा बाग़ है। उस के बिलकुल सामने ईरानी के होटल के बाहर, बिजली के खंबे के साथ लग कर ढूंढ़ो खड़ा था। दिन ढले, मुक़र्ररा वक़्त पर वो यहां आ जाता और सुबह चार बजे तक अपने धंद

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हज्ज-ए-अकबर

9 अप्रैल 2022
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इम्तियाज़ और सग़ीर की शादी हुई तो शहर भर में धूम मच गई। आतिश बाज़ियों का रिवाज बाक़ी नहीं रहा था मगर दूल्हे के बाप ने इस पुरानी अय्याशी पर बे-दरेग़ रुपया सर्फ़ किया। जब सग़ीर ज़ेवरों से लदे फंदे सफ़ैद बुर्र

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सजदा

9 अप्रैल 2022
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गिलास पर बोतल झुकी तो एक दम हमीद की तबीयत पर बोझ सा पड़ गया। मलिक जो उसके सामने तीसरा पैग पी रहा था फ़ौरन ताड़ गया कि हमीद के अंदर रुहानी कश्मकश पैदा होगई है। वो हमीद को सात बरस से जानता था, और इन सात बर

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लाइसेंस

9 अप्रैल 2022
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अब्बू कोचवान बड़ा छैल छबीला था। उस का ताँगा घोड़ा भी शहर में नंबर वन था। कभी मामूली सवारी नहीं बिठाता था। उस के लगे बंधे गाहक थे जिन से उस को रोज़ाना दस पंद्रह रुपय वसूल हो जाते थे जो अब्बू के लिए काफ़ी थ

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हाफ़िज़ हुसैन दीन

9 अप्रैल 2022
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हाफ़िज़ हुसैन दीन जो दोनों आँखों से अंधा था, ज़फ़र शाह के घर में आया। पटियाले का एक दोस्त रमज़ान अली था, जिस ने ज़फ़र शाह से उस का तआरुफ़ कराया। वो हाफ़िज़ साहिब से मिल कर बहुत मुतअस्सिर हुआ। गो उन की

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संतर पंच

9 अप्रैल 2022
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मैं लाहौर के एक स्टूडियो में मुलाज़िम हुआ जिस का मालिक मेरा बंबई का दोस्त था उस ने मेरा इस्तिक़बाल क्या मैं उस की गाड़ी में स्टूडियो पहुंचा था बग़लगीर होने के बाद उस ने अपनी शराफ़त भरी मोंछों को जो ग़ालिबन

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शैदा

9 अप्रैल 2022
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शैदे के मुतअल्लिक़ अमृतसर में ये मशहूर था कि वो चट्टान से भी टक्कर ले सकता है उस में बला की फुर्ती और ताक़त थी गो तन-ओ-तोश के लिहाज़ से वो एक कमज़ोर इंसान दिखाई देता था लेकिन अमृतसर के सारे गुंडे उस से ख़ौ

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राम खेलावन

9 अप्रैल 2022
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खटमल मारने के बाद में ट्रंक में पुराने काग़ज़ात देख रहा था कि सईद भाई जान की तस्वीर मिल गई। मेज़ पर एक ख़ाली फ़्रेम पड़ा था....... मैंने इस तस्वीर से उस को पुर कर दिया और कुर्सी पर बैठ कर धोबी का इंतिज़ार

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रहमत-ए-खुदा-वंदी के फूल

9 अप्रैल 2022
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ज़मींदार, अख़बार में जब डाक्टर राथर पर रहमत-ए-ख़ुदा-वंदी के फूल बरसते थे तो यार दोस्तों ने ग़ुलाम रसूल का नाम डाक्टर राथर रख दिया। मालूम नहीं क्यूँ, इस लिए कि ग़ुलाम रसूल को डाक्टर राथर से कोई निसबत नह

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मिस फ़र्या

9 अप्रैल 2022
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शादी के एक महीने बाद सुहेल परेशान होगया। उस की रातों की नींद और दिन का चैन हराम हो गया। उस का ख़याल था कि बच्चा कम अज़ कम तीन साल के बाद पैदा होगा मगर अब एक दम ये मालूम करके उस के पांव तले की ज़मीन निक

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मिस अडना जैक्सन

9 अप्रैल 2022
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कॉलिज की पुरानी प्रिंसिपल के तबादले का एलान हुआ, तालिबात ने बड़ा शोर मचाया। वो नहीं चाहती थीं कि उन की महबूब प्रिंसिपल उन के कॉलेज से कहीं और चली जाये। बड़ा एहतिजाज हुआ। यहाँ तक कि चंद लड़कियों ने भूक हड़

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बुड्ढ़ा खूसट

9 अप्रैल 2022
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ये जंग-ए-अज़ीम के ख़ातमे के बाद की बात है जब मेरा अज़ीज़ तरीन दोस्त लैफ़्टीनैंट कर्नल मोहम्मद सलीम शेख़ (अब) ईरान इराक़ और दूसरे महाज़ों से होता हुआ बमबई पहुंचा। उस को अच्छी तरह मालूम था, मेरा फ़्लैट कहाँ ह

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शह नशीं पर

9 अप्रैल 2022
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वो सफ़ैद सलमा लगी साड़ी में शह-नशीन पर आई और ऐसा मालूम हुआ कि किसी ने नक़रई तारों वाला अनार छोड़ दिया है। साड़ी के थिरकते हूए रेशमी कपड़े पर जब जगह जगह सलमा का काम टिमटिमाने लगता तो मुझे जिस्म पर वो तमाम

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चुग़द

9 अप्रैल 2022
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लड़कों और लड़कियों के मआशिक़ों का ज़िक्र हो रहा था। प्रकाश जो बहुत देर से ख़ामोश बैठा अंदर ही अंदर बहुत शिद्दत से सोच रहा था, एक दम फट पड़ा। सब बकवास है, सौ में से निन्नानवे मआशिक़े निहायत ही भोंडे और लचर

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