वेणु लो, गूँजे धरा
19 अप्रैल 2022
वेणु लो गूँजे धरा, माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता है. तारकों-सी नृत्य ने बारात साधी है। विश्व-शिशु करता रहा प्रण-वाद जब तुमसे। क्यों विकास करे भड़कता हैं |
वेणु लो गूँजे धरा, माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता है. तारकों-सी नृत्य ने बारात साधी है। विश्व-शिशु करता रहा प्रण-वाद जब तुमसे। क्यों विकास करे भड़कता हैं |
4 फ़ॉलोअर्स
10 किताबें