रांची: आदिवासियों की जमीनों के संरक्षण से जुड़े CNT- SPT एक्ट में संशोधन करना रघुवर दास सरकार को महंगा पड़ सकता है। विपक्षी दल कांग्रेस इस एक्ट में संशोधन को लेकर मुखर हो चुकी है। पार्टी गुरुवार को विधानसभा घेराव की तैयारी कर चुकी है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार पूंजीपतियों से मिलकर आदिवासियों को बेघर करने पर तुली है। ताकि उनकी जमीनें कारपोरेट घरानों को दी जा सके।
कांग्रेस के गोडा जिलाध्यक्ष दीपिका पांडेय सिंह ने इंडिया संवाद से बातचीत में कहा कि रघुवर सरकार किसानों के घर में घुस रही हैं और जबरन बंदूक की नोक पर उनकी जमीन हड़प कर कॉरपोरेट घरानों को देने की तैयारी है।
भाजपा सरकार के इस नापाक इरादे को कांग्रेस पार्टी कभी भी सफल होने नहीं देगी। कांग्रेस जनता के साथ मिलकर सरकार की इस जन-विरोधी नीति के खिलाफ 17 नवंबर को विधानसभा का घेराव करेगी ।
30 फीसदी आदिवासियों की जिंदगी जंगल पर निर्भर
दीपिका पांडे सिंह ने कहा झारखंड के आदिवासी प्रकृति को मां समझते हैं जंगल - जमीन को मां की तरह समझते हैं। लेकिन रघुवर सरकार बंदूक की नोक पर इन्हें उजाड़ने का प्रयास कर रही हैं . उन्होने कहा कि 30 फीसदी आदिवासियों की जिंदगी जंगलो से चलती हैं . ऐसे में सीएनटी- एसपीटी एक्ट आदिवासी मूलवासियो के लिए कागज का टुकड़ा नहीं हैं यह उनकी आत्मा हैं. रघुवर सरकार इन लोगो को विकास का सपना दिखाकर भर्म फैला रही हैं.
नोटबंदी का ड्रामा रचा
नोटबंदी का विरोध करते हुए दीपिका पांडे ने कहा कि गरीबों - मजदूर किसानों को अपने पैसों के लिए मोहताज कर दिया हैं पैसों के अभाव में मजदूर वर्ग अपना इजाज नहीं करवा पा रहे हैं , बच्चे मर रहे हैं . इस सभी के लिए केन्द्र सरकार जिम्मेदार हैं.
क्या है CNT/SPT एक्ट 1908
CNT यानी (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908) छोटानागपुर और संथालपरगना में आदिवासी जमीन के अवैध तरीके से हो रहे खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था. हालांकि समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे हैं. यह एक्ट संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल है और यह जुडिशल रिव्यू से बाहर है. CNT एक्ट की धारा 46 के मुताबिक राज्य के छोटानागपुर और पलामू डिविजंस में ST/SC या OBC की जमीन सामान्य लोग नहीं खरीद सकते. वहीं इन जातियों पर भी बिना उपायुक्त की अनुमति के अपने ही लोगों को जमींन हस्तांतरित करने या बेचने पर पाबंदी है. वहीं दो आदिवासियों के बीच जमीन की बिक्री उपायुक्त की अनुमति से की जा सकती है बशर्ते दोनों एक ही थाना क्षेत्र के रहनेवाले हो. जबकि अफसरों द्वारा गलत शपथ-पत्र के द्वारा जमीन हासिल करने पर IPC की धारा 463 और 466 के तहत दो से 7 साल तक सजा का प्रावधान है. साथ ही खरीदी हुई जमीन भी मूल रैयत को लौटानी होगी.