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विविध कविताएं

रामधारी सिंह दिनकर

19 अध्याय
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6 पाठक
25 अप्रैल 2022 को पूर्ण की गई
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रामधारी सिंह दिनकर साहित्य के वह सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनकी कलम में दिनकर यानी सूर्य के समान चमक थी। उनकी कविताएं सिर्फ़ उनके समय का सूरज नहीं हैं बल्कि उसकी रौशनी से पीढ़ियां प्रकाशमान होती हैं। पढ़ें उनकी लिखी कविताओं में से चुनिंदा 5 प्रसिद्ध कविताएं , उर्वशी हिमालय , प्रेम कुरुक्षेत्र, रेणुका इत्यादि  

vividh kavitayen

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पुस्तक के भाग

1

प्रण-भंग

19 फरवरी 2022
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विश्व-विभव की अमर वेलि पर  फूलों-सा खिलना तेरा।  शक्ति-यान पर चढ़कर वह  उन्नति-रवि से मिलना तेरा।  भारत ! क्रूर समय की मारों  से न जगत सकता है भूल।  अब भी उस सौरभ से सुरभित  हैं कालिन्दी के कल-

2

पूर्वाभास

19 फरवरी 2022
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हाय ! विभव के उस पद में  नियति-भीषिका की मुसकान  जान न सकी भोग में भूली-  सी तेरी प्यारी सन्तान।  सुन न सका कोई भी उसका  छिपा हुआ वह ध्वंसक राग-  ‘‘हरे-भरे, डहडहे विपिन में  शीघ्र लगाऊँगी मैं आ

3

रोटी और स्वाधीनता

19 फरवरी 2022
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 (अय ताइरे-लाहूती ! उस रिज़्क से मौत अच्छी,  जिस रिज़्क से आती हो परवाज़ में कोताही।-इक़बाल)    (1)  आजादी तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जुगाएगा ?  मरभुखे ! इसे घबराहट में तू बेच न तो खा जाएगा ?  आज

4

चांद का कुर्ता

19 फरवरी 2022
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हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला,  सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।     सनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ,  ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ।     आसमान का सफर और

5

सूरज का ब्याह

19 फरवरी 2022
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 उड़ी एक अफवाह, सूर्य की शादी होने वाली है,  वर के विमल मौर में मोती उषा पिराने वाली है।  मोर करेंगे नाच, गीत कोयल सुहाग के गाएगी,  लता विटप मंडप-वितान से वंदन वार सजाएगी!  जीव-जन्तु भर गए खुशी

6

चूहे की दिल्ली-यात्रा

19 फरवरी 2022
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 चूहे ने यह कहा कि चूहिया! छाता और घड़ी दो,  लाया था जो बड़े सेठ के घर से, वह पगड़ी दो।  मटर-मूँग जो कुछ घर में है, वही सभी मिल खाना,  खबरदार, तुम लोग कभी बिल से बाहर मत आना!  बिल्ली एक बड़ी पाजी

7

मिर्च का मज़ा

19 फरवरी 2022
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एक काबुली वाले की कहते हैं लोग कहानी,  लाल मिर्च को देख गया भर उसके मुँह में पानी।    सोचा, क्या अच्छे दाने हैं, खाने से बल होगा,  यह जरूर इस मौसम का कोई मीठा फल होगा।    एक चवन्नी फेंक और झोली

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ध्वज-वंदना

19 फरवरी 2022
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 नमो, नमो, नमो...     नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!  नमो नगाधिराज-शृंग की विहारिणी!  नमो अनंत सौख्य-शक्ति-शील-धारिणी!  प्रणय-प्रसारिणी, नमो अरिष्ट-वारिणी!  नमो मनुष्य की शुभेषणा-प्रचारिण

9

जियो जियो अय हिन्दुस्तान

19 फरवरी 2022
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 जाग रहे हम वीर जवान,  जियो जियो अय हिन्दुस्तान !     हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल,  हम नवीन भारत के सैनिक, धीर,वीर,गंभीर, अचल ।  हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग की लेते

10

एक पत्र

19 फरवरी 2022
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मैं चरणॊं से लिपट रहा था, सिर से मुझे लगाया क्यों?  पूजा का साहित्य पुजारी पर इस भाँति चढ़ाया क्यों?     गंधहीन बन-कुसुम-स्तुति में अलि का आज गान कैसा?  मन्दिर-पथ पर बिछी धूलि की पूजा का विधान कैस

11

बरसों बाद मिले तुम हमको

19 फरवरी 2022
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 बरसों बाद मिले तुम हमको आओ जरा बिचारें,  आज क्या है कि देख कौम को गम है।  कौम-कौम का शोर मचा है, किन्तु कहो असल में  कौन मर्द है जिसे कौम की सच्ची लगी लगन है?  भूखे, अपढ़, नग्न बच्चे क्या नहीं तु

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शक्ति और क्षमा

19 फरवरी 2022
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क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल  सबका लिया सहारा  पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे  कहो, कहाँ, कब हारा?     क्षमाशील हो रिपु-समक्ष  तुम हुये विनत जितना ही  दुष्ट कौरवों ने तुमको  कायर समझा उतना ही।   

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हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियो

19 फरवरी 2022
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 कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो।   श्रवण खोलो¸   रूक सुनो¸ विकल यह नाद   कहां से आता है।   है आग लगी या कहीं लुटेरे लूट रहे?   वह कौन दूर पर गांवों में चिल्लाता है?   जनता की छाती भिदें   और तुम नींद

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विजयी के सदृश जियो रे

19 फरवरी 2022
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वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो  चट्टानों की छाती से दूध निकालो  है रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ो  पीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो  चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रे  योगियों नहीं विजयी के स

15

पढ़क्‍कू की सूझ

19 फरवरी 2022
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एक पढ़क्‍कू बड़े तेज थे, तर्कशास्‍त्र पढ़ते थे,  जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नए बात गढ़ते थे।     एक रोज़ वे पड़े फिक्र में समझ नहीं कुछ न पाए,  "बैल घुमता है कोल्‍हू में कैसे बिना चलाए?"     कई दिन

16

राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी

19 फरवरी 2022
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राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी  लेकिन दोनों की कितनी भिन्न कहानी  राजा के मुख में हँसी कण्ठ में माला  रानी का अन्तर द्रवित दृगों में पानी     डोलती सुरभि राजा घर कोने कोने  परियाँ सेवा में खड़ी

17

हमारे कृषक

19 फरवरी 2022
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जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं है  छूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं है     मुख में जीभ शक्ति भुजा में जीवन में सुख का नाम नहीं है  वसन कहाँ? सूखी रोटी भी मिलती दोनों शाम नहीं है

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मनुष्यता

19 फरवरी 2022
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है बहुत बरसी धरित्री पर अमृत की धार;  पर नहीं अब तक सुशीतल हो सका संसार ।  भोग लिप्सा आज भी लहरा रही उद्दाम;  बह रही असहाय नर कि भावना निष्काम ।  लक्ष्य क्या? उद्देश्य क्या? क्या अर्थ?  यह नहीं य

19

बर्र और बालक

19 फरवरी 2022
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सो रहा था बर्र एक कहीं एक फूल पर,   चुपचाप आके एक बालक ने छू दिया.   बर्र का स्वभाव,हाथ लगते है उसने तो,   ऊँगली में डंक मार कर बहा लहू दिया.      छोटे जीव में भी यहाँ विष की नही कमी है,   टीस स

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