shabd-logo

यादें बचपन की कहानी- 3(वो दिन)

1 नवम्बर 2022

16 बार देखा गया 16
वो दिन,, जो भूले न जा सके,, 

जब हम स्कूल में पढ़ते थे   उस स्कूली दौर में निब पैन का चलन जोरों पर था..!

तब कैमलिन की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी, कोई कोई टिकिया से स्याही बनाकर भी उपयोग करते थे और बुक स्टाल पर शीशी में स्याही भर कर रखी होती थी 5 पैसा दो और ड्रापर से खुद ही डाल लो ये भी सिस्टम था ...जिन्होंने भी पैन में स्याही डाली होगी वो ड्रॉपर के महत्व से  भली भांति परिचित होंगे ! 

कुछ लोग ड्रापर का उपयोग कान में तेल डालने में भी करते थे...

महीने में दो-तीन बार निब पैन को खोलकर उसे गरम पानी में डालकर उसकी सर्विसिंग भी की जाती थी और  लगभग सभी को लगता था की निब को उल्टा कर के लिखने से हैंडराइटिंग बड़ी सुन्दर बनती है। 

सामने के जेब मे पेन टांगते थे और कभी कभी स्याही लीक होकर सामने शर्ट नीली कर देती थी जिसे हम लोग सामान्य भाषा मे पेन का पोंक देना कहते थे...पोंकना अर्थात लूज मोशन...

हर क्लास में एक ऐसा एक्सपर्ट होता था जो पैन ठीक से नहीं चलने पर ब्लेड लेकर निब के बीच वाले हिस्से में बारिकी से कचरा निकालने का दावा  कर लेता था !!

नीचे के हड्डा को घिस कर परफेक्ट करना भी एक आर्ट था !

हाथ से निब नहीं निकलती थी तो दांतों के उपयोग से भी निब निकालते थे...दांत , जीभ औऱ होंठ भी नीला होकर भगवान महादेव की तरह हलाहल पिये सा दिखाई पड़ता था वो दिन

दुकान में नयी निब खरीदने से पहले उसे पैन में लगाकर सेट करना फिर कागज़ में स्याही की कुछ बूंदे छिड़क कर निब उन गिरी हुयी स्याही की बूंदो पर लगाकर निब की स्याही सोखने की क्षमता नापना ही किसी बड़े साइंटिस्ट वाली फीलिंग दे जाता था..!

निब पैन कभी ना चले तो हम सभी ने हाथ से झटका देने के चक्कर में आजू बाजू वालों पर स्याही जरूर छिड़कायी होगी!

कुछ बच्चे ऐसे भी होते थे जो पढ़ते लिखते तो कुछ नहीं थे लेकिन घर जाने से पहले उंगलियो में स्याही जरूर लगा लेते थे, बल्कि पैंट पर भी छिड़क लेते थे ताकि घरवालों  को देख के लगे कि बच्चा स्कूल में बहुत मेहनत करता है!!

भूली हुइ यादें...


14
रचनाएँ
यादें बचपन की
0.0
पुरानी यादें ताजा
1

यादें बचपन की कहानी 1 (शिक्षालय)

30 अक्टूबर 2022
12
1
0

यादें बचपन की चलो देखते हैं फिर एक समय पुराना, शिक्षालय के चारों यार, यारों का था याराना, हाथ में कपड़े के फटे हुए होते थे थैले, खेल खेलकर कपड़े भी होते थे मेले... आज जब पुराने शिक्षा

2

यादें बचपन की कहानी-2 (घरौंदा)

31 अक्टूबर 2022
3
0
0

बचपन मे बहन मिट्टी का घरौंदा बनाती थी। मिट्टी का सात-आठ दिन लगकर फिर दीवाली की रात उसकी पूजा कर उससे मिट्टी के बर्तन( चुकिया) में प्रसाद रखती थी लड्डू, बनिया बगैरह जो कि सुबह

3

यादें बचपन की कहानी- 3(वो दिन)

1 नवम्बर 2022
1
0
0

वो दिन,, जो भूले न जा सके,, जब हम स्कूल में पढ़ते थे उस स्कूली दौर में निब पैन का चलन जोरों पर था..!तब कैमलिन की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी, कोई कोई टिकिया से स्याही बनाकर

4

यादें बचपन की कहानी 4 (पुताई/पेंट)

30 अक्टूबर 2022
4
0
0

यादें बचपन की आज के समय में पेंट करना बहुत आसान काम है, पेंट का डिब्बा खोलो, रोलर डुबाओ और घुमा दो, हो गया पेंट। एक समय था कि हमारे बचपन का कि एक छोटे से घर कि पुताई में पूरे 10,15 दिन लग जाते थे

5

यादें बचपन की कहानी 5 ( रस्सी का बना बीड़ा या चौकी)

30 अक्टूबर 2022
1
0
0

"यादें बचपन की " इस पीले भूरे रंग की वस्तु को देख रहे हैं ना उसे शायद बहुत से लोग पहचान भी रहे होंगे। नई पीढ़ी और शहरों के लोग शायद ना भी पहचान रहे होंगे। तो आइए बताते हैं इसके बारे में। यह हम

6

यादें बचपन की कहानी 6 (दीपावली)

30 अक्टूबर 2022
2
1
0

बचपन वाली दीपावली बचपन की दीपावली का मतलब छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली और उसके बाद गंगा स्नान (कार्तिकी) की तैयारी हुआ करता था। धनतेरस और भैया दूज कम से कम हमारे गांव में तो नहीं मनाया जाता था। यह दो

7

यादें बचपन की कहानी 7 (खाना, मस्ती)

7 मई 2023
1
0
0

हम बचपन में छुट्टी के बाद खाना खाते ही शुरु हो जाते थे..... फिर जब शाम को वापस खाने का समय होता तब ही वापस घरों को रूख करते थे। आजकल के बच्चों का बचपन इंटरनेट ने छीन लिया है... काश वो बिना जि

8

यादें बचपन की कहानी 8 (स्कूल, स्लेट, पेंसिल, थैला)

7 मई 2023
2
0
0

यादें बचपन की पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें... पढ़ाई का तनाव हमने पेन्स

9

यादें बचपन की कहानी 9 (दोस्त का आश्य)

7 मई 2023
1
0
0

दोस्ती एक ऐसा शब्द है जिसके लिए शायद शब्द भी कम पड़ जाय, पर मैं डरता हूँ दोस्ती करने से ऐसा नहीं है कि विश्वास नहीं रहा पर कुछ बचा भी नहीं इस रिश्ते में , जो कि साथ रखा जाए,  मन बहुत होता है  उसे सब

10

अगाध मित्रता

7 मई 2023
1
0
0

मित्रता... सखा सोच त्यागहु बल मोरे । सब विधि घटब काज मैं तोरे ।। मित्र तो राम की तरह होना चाहिए जो ये कहे कि मेरे भरोसे अपनी सारी चिंता छोड़ दो मित्र... अपनी पूरे सामर्थ्य लगा कर

11

सच्चे दोस्त

7 मई 2023
1
0
0

यारों की यारियां... उन तीनों को होटल में बैठा देख, रमेश हड़बड़ाहट सा गया... लगभग 22 सालों बाद वे फिर उसके सामने दिखे थे... शायद अब वो बहुत बड़े और संपन्न आदमी हो गये थे... रमेश को

12

बचपन के दोस्त

7 मई 2023
1
0
0

याद आई मुझे बचपन की दोस्त जो रूठ जाने पर मुझे मना लिया करती थी खाना नहीं खाने पर खिला दिया करती थी बीमार पड़ जाने पर मेरा खयाल रखा करती थी माना की वो गरीब थी पर दिल की वो सबसे अमीर थी

13

बच्चें मन के सच्चे

11 मई 2023
1
0
0

बच्चें मन के सच्चे... बचपन में याद है ….. अब इस तरह का आशीर्वाद कम ही मिलता है….. जब कोई रिश्तेदार व परिवार वाले हमारे घर आते थे तब फल व खिलौने लेकर आते थे और जब उनके वापस लौट

14

दो दोस्त

4 फरवरी 2024
0
0
0

(निकु और नीशू दो दोस्त की दोस्ती) (नीकु और नीशू दोनों दोस्त आपस में वार्तालाप कर रहे हैं)निकु - ये बताओ नीशू दोस्त! आज कई दिनों के बाद हम दोनों दोस्त विद्यालय जा रहे हैं। क्या तुमने गृहकार्

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए