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दिव्य प्रकाश दुबे के बारे में

नाम : दिव्य प्रकाश दुबे जन्म तिथि : 8 मई 1982 जन्म स्थान : लखनऊ शिक्षा : College of Engineering Roorkee (B. Tech, Computer Science Engineering), Symbiosis Institute of Business Management, Pune (MBA) दिव्य प्रकाश दुबे की किताबे : 1 - मुसाफिर कैफ़े 2 - मसाला चाय 3- इब्नेबतूती 4 - आको-बाको 5- अक्टूबर जंक्शन 6 - टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाई वेबसाइट : http://divyaprakash.in/

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दिव्य प्रकाश दुबे की पुस्तकें

आको बाको

आको बाको

दो दोस्त, जो ढूँढ़ने चले हैं कि कविता आख़िर कहाँ से आती है। एक छोटे शहर की सुपर मॉम, जो रोज़ टीवी पर आने का सपना देखती है। भोपाल की वो लड़की, जो अब भी अपने मुंबई के पेन फ़्रेंड को हाथ से लिखी चिट्ठियाँ भेजती है। एक मॉडल, जिसका एक गाना हिट होने के बाद

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आको बाको

आको बाको

दो दोस्त, जो ढूँढ़ने चले हैं कि कविता आख़िर कहाँ से आती है। एक छोटे शहर की सुपर मॉम, जो रोज़ टीवी पर आने का सपना देखती है। भोपाल की वो लड़की, जो अब भी अपने मुंबई के पेन फ़्रेंड को हाथ से लिखी चिट्ठियाँ भेजती है। एक मॉडल, जिसका एक गाना हिट होने के बाद

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अक्टूबर जंक्शन

अक्टूबर जंक्शन

चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में ‍10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं। एक त

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अक्टूबर जंक्शन

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चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में ‍10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं। एक त

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इब्नेबतूती

इब्नेबतूती

होता तो यह है कि बच्चे जब बड़े हो जाते है तो उनके माँ-बाप उनकी शादी कराते हैं लेकिन इस कहानी में थोड़ा-सा उल्टा है, या यूँ कह लीजिए कि पूरी कहानी ही उल्टी है। राघव अवस्थी के मन में एक बार एक उड़ता हुआ ख़याल आया कि अपनी सिंगल मम्मी के लिए एक बढ़िया-सा टिका

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इब्नेबतूती

होता तो यह है कि बच्चे जब बड़े हो जाते है तो उनके माँ-बाप उनकी शादी कराते हैं लेकिन इस कहानी में थोड़ा-सा उल्टा है, या यूँ कह लीजिए कि पूरी कहानी ही उल्टी है। राघव अवस्थी के मन में एक बार एक उड़ता हुआ ख़याल आया कि अपनी सिंगल मम्मी के लिए एक बढ़िया-सा टिका

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मुसाफ़िर Cafe

मुसाफ़िर Cafe

हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब सुधा अपनी लिस्ट पूरी करते हुए लाइफ़ की तरफ़ पहुँच

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मुसाफ़िर Cafe

हम सभी की जिंदगी में एक लिस्ट होती है। हमारे सपनों की लिस्ट, छोटी-मोटी खुशियों की लिस्ट। सुधा की जिंदगी में भी एक ऐसी ही लिस्ट थी। हम सभी अपनी सपनों की लिस्ट को पूरा करते-करते लाइफ गुज़ार देते हैं। जब सुधा अपनी लिस्ट पूरी करते हुए लाइफ़ की तरफ़ पहुँच

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शर्तें लागू

शर्तें लागू

आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज

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शर्तें लागू

शर्तें लागू

आप कह सकते हैं कि 'शर्तें लागू' नई वाली हिंदी की पहली किताब है। इस किताब में आपके स्कूल में पढ़ने वाली वह लड़की है जिसके बारे में सब बातें बनाते थे। मोहल्ले के वह भइया हैं जो कुछ भी हो जाता था तो कहते थे टेंशन मत लो यार सब सही हो जाएगा। वे अंकल हैं ज

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मसाला चाय

मसाला चाय

मसाला चाय आंशिक रूप से संवेदनशील, आंशिक रूप से गहन और पूरी तरह से मंत्रमुग्ध करने वाली कहानियों का एक और वर्गीकरण है जो उनके अत्यधिक चौकस और मेहनती लेखक की पहचान बनने लगी है। हर कहानी की जड़ें सांसारिक हैं। लेकिन यह सरल के गहन और गहन प्रतिपादन का सरल

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मसाला चाय

मसाला चाय आंशिक रूप से संवेदनशील, आंशिक रूप से गहन और पूरी तरह से मंत्रमुग्ध करने वाली कहानियों का एक और वर्गीकरण है जो उनके अत्यधिक चौकस और मेहनती लेखक की पहचान बनने लगी है। हर कहानी की जड़ें सांसारिक हैं। लेकिन यह सरल के गहन और गहन प्रतिपादन का सरल

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दिव्य प्रकाश दुबे के लेख

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