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मीराबाई के बारे में

मीराबाई का जन्म सन 1498 में मेवाड़ के कुर्की गांव में हुआ था। इनके पिता जी का नाम राव रत्नसी एवं उनकी माता जी का नाम वीरकुमारी था । मीराबाई राजपूत परिवार में से थी।मीराबाई को बचपन से ही कृष्ण भक्ति में रुचि थी । मीराबाई की शिक्षा संगीत और धर्म के साथ-साथ राजनीति व प्रशासन भी शामिल थे बचपन में उन्हें एक साधु ने भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति दी और जब से उनकी कृष्ण भक्ति की शुरुआत हो गई जिनकी वह प्रेम पूर्वक रूप से आराधना करती थी।मीरा बाई के पति की मृत्यु के बाद सती जैसी रहने लगी और धीरे-धीरे वे संसार से अलग हो गई और साधु संतो के साथ भजन करते हुए अपना जीवन व्यतीत करने लगी। मीराबाई की भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति- मीराबाई बचपन से ही कृष्ण भक्ति में लीन रहती थी उन्होंने शुरू से ही भगवान कृष्ण को अपना पति स्वीकार कर लिया था।पति के निधन के बाद मीराबाई संसार मोह माया से अलग होकर उन्होंने भक्ति कीर्तन करना चालू कर दिया। सन 1539 में मीराबाई की वृंदावन में गोस्वामी जी से मिली रस-योजना - मीराबाई के काव्य में प्राय: श्रृंगार रस की अभिव्यंजना हुई है। श्रृंगार के दोनों पक्षों संयोग तथा वियोग का अपने पदों में उन्होंने सुंदर निरूपण किया है। उनके भक्ति तथा विनय संबंधी पदों में शांत रस का प्रयोग है। पदों में मुख्य रूप से माधुर्य तथा प्रसाद गुण है ये पद और रचनाएँ राजस्थानी, ब्रज और गुजराती भाषाओं में मिलते हैं। हृदय की गहरी पीड़ा, विरहानुभूति और प्रेम की तन्मयता से भरे हुए मीराबाई के पद अनमोल संपत्ति हैं। आँसुओं से भरे ये पद गीतिकाव्य के उत्तम नमूने हैं। मीराबाई ने अपने पदों में श्रृंगार रस और शांत रस का प्रयोग विशेष रूप से किया है। मीरा बाई भगवान श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी भक्त मानी जाती है। मीरा बाई ने जीवनभर भगवान कृष्ण की भक्ति की और कहा जाता है कि उनकी मृत्यु भी भगवान की मूर्ति में समा कर हुई

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मीराबाई की पुस्तकें

मीराबाई  की प्रसिद्ध  रचनाएँ

मीराबाई की प्रसिद्ध रचनाएँ

मीरा के पदों में कृष्ण लीला एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य मीराबाई द्वारा कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का प्रकटीकरण करना था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की अनन्य भक्तिन थीं। मीराबाई श्रीकृष्ण को ही अपना प्रियतम मान बैठी थीं। रस-योजना - मीराबाई के का

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मीराबाई  की प्रसिद्ध  रचनाएँ

मीराबाई की प्रसिद्ध रचनाएँ

मीरा के पदों में कृष्ण लीला एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य मीराबाई द्वारा कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का प्रकटीकरण करना था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की अनन्य भक्तिन थीं। मीराबाई श्रीकृष्ण को ही अपना प्रियतम मान बैठी थीं। रस-योजना - मीराबाई के का

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मीराबाई के लेख

अब न रहूंगी तोर हठ की

20 जून 2022
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राणा जी...हे राणा जी राणा जी अब न रहूंगी तोर हठ की साधु संग मोहे प्यारा लागे लाज गई घूंघट की हार सिंगार सभी ल्यो अपना चूड़ी कर की पटकी महल किला राणा मोहे न भाए सारी रेसम पट की राणा जी... ह

तेरो कोई न रोकण हार

20 जून 2022
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तेरो कोई न रोकण हार मगन होय मीरा चली लाज सरम कुल की मर्यादा सिर सों दूर करी मान अपमान दोउ धर पटके निकसी हूं ग्यान गली मगन होय मीरा चली तेरो... ऊंची अटरिया लाज किवड़िया निरगुन सेज बिछी पचरं

कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी

20 जून 2022
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कोई कहियौ रे प्रभु आवनकी आवनकी मनभावन की। आप न आवै लिख नहिं भेजै बाण पड़ी ललचावनकी। ए दो नैण कह्यो नहिं मानै नदियां बहै जैसे सावन की। कहा करूं कछु नहिं बस मेरो पांख नहीं उड़ जावनकी। मी

सखी मेरी नींद नसानी हो

20 जून 2022
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सखी मेरी नींद नसानी हो। पिवको पंथ निहारत सिगरी रैण बिहानी हो। सखियन मिलकर सीख द मन एक न मानी हो। बिन देख्यां कल नाहिं पड़त जिय ऐसी ठानी हो। अंग-अंग ब्याकुल भ मुख पिय पिय बानी हो। अंतर बेदन बि

राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री

20 जून 2022
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राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री। तड़पत-तड़पत कल न परत है बिरहबाण उर लागी री। निसदिन पंथ निहारूं पिवको पलक न पल भर लागी री। पीव-पीव मैं रटूं रात-दिन दूजी सुध-बुध भागी री। बिरह भुजं

मैं तो सांवरे के रंग राची

20 जून 2022
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मैं तो सांवरे के रंग राची। साजि सिंगार बांधि पग घुंघरू लोक-लाज तजि नाची॥ ग कुमति ल साधुकी संगति भगत रूप भै सांची। गाय गाय हरिके गुण निस दिन कालब्यालसूं बांची॥ उण बिन सब जग खारो लागत और बात सब

बाला मैं बैरागण हूंगी

20 जून 2022
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बाला मैं बैरागण हूंगी। जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी। सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी। जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी। गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूं

जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन

20 जून 2022
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जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन। रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन॥ गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे। जागो बंसीवारे जागो मोरे ललन॥ उठो लालजी भोर भयो है स

तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर

20 जून 2022
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तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर। हम चितवत तुम चितवत नाहीं            मन के बड़े कठोर। मेरे आसा चितनि तुम्हरी            और न दूजी ठौर। तुमसे हमकूं एक हो जी          हम-सी लाख करोर॥ कब की ठाड़ी

हरि मेरे जीवन प्राण अधार

20 जून 2022
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हरि मेरे जीवन प्राण अधार। और आसरो नांही तुम बिन तीनूं लोक मंझार॥ हरि मेरे जीवन प्राण अधार आपबिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार। हरि मेरे जीवन प्राण अधार मीरा कहैं मैं दासि रावरी दीज्यो

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