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अमृत लाल नागर के बारे में

अमृतलाल नागर जी का जन्म 17 अगस्त 1916 ई को गोकुलपुरा, आगरा में एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम राजाराम नागर था। आपके पितामह पं. शिवराम नागर 1895 से लखनऊ आकर बस गए थे। आपकी पढ़ाई हाईस्कूल तक ही हुई। फिर स्वाध्याय द्वारा साहित्य, इतिहास, पुराण, पुरातत्व व समाजशास्त्र का अध्ययन किया। बाद में हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगला, अंग्रेजी पर अधिकार रखा। पहले नौकरी करते रहे, फिर स्वतंत्र लेखन, फिल्म लेखन काम शुरू किया। नागर जी आकाशवाणी, लखनऊ में ड्रामा प्रोड्यूसर भी रहें। 1932 में निरंतर लेखन किया। शुरूआत में मेघराज इंद्र के नाम से कविताएं लिखीं। 'तस्लीम लखनवी' नाम से व्यंग्यपूर्ण स्केच व निबंध लिखे तो कहानियों के लिए अमृतलाल नागर मूल नाम रखा। अमृत के भाषा सहज, सरल दृश्य के अनुकूल है। मुहावरों, लोकोक्तियों, विदेशी तथा देशज शब्दों का प्रयोग आवश्यकतानुसार किया गया है। भावात्मक, वर्णनात्मक, शब्द चित्रात्मक शैली का प्रयोग इनकी रचनाओं में हुआ है। अमृतलाल नागर हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्हें भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। अमृतलाल नागर जी का जन्म 17 अगस्त 1916 ई को गोकुलपुरा, आगरा में एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम राजाराम नागर था। आपके पितामह पं. शिवराम नागर 1895 से लखनऊ आकर बस गए थे। आपकी पढ़ाई हाईस्कूल तक ही हुई। उन्होंने 31 जनवरी 1932 को प्रतिभा से शादी की। प्रतिभा का वास्तविक नाम सावित्री देवी उर्फ बिट्टो था। उनके चार बच्चे थे उनके नाम कुमुद नगर, शरद नगर, डॉ. अचला नागर और श्रीमती आरती पंड्या है। अमृतलाल नागर ने हाईस्कूल तक शिक्षा प्राप्त की। लेकिन निरन्तर स्वाध्याय द्वारा उन्होंने साहित्य, इतिहास, पुराण, पुरातत्व, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान आदि विषयों पर तथा हिन्दी, गुज

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अमृत लाल नागर की पुस्तकें

 अमृत लाल नागर के प्रसिद्ध निबंध

अमृत लाल नागर के प्रसिद्ध निबंध

अमृत लाल नागर 1932 में निरंतर लेखन किया। अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है। सभी प्रचलित वादों से निर्लिप्त उनका कृतित्व और व्यक्तित्व कुछ अपनी ही प्रभा से ज्योतित है उन्ह

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 अमृत लाल नागर के प्रसिद्ध निबंध

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अमृत लाल नागर 1932 में निरंतर लेखन किया। अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है। सभी प्रचलित वादों से निर्लिप्त उनका कृतित्व और व्यक्तित्व कुछ अपनी ही प्रभा से ज्योतित है उन्ह

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अमृतलाल नागर के बहुचर्चित  उपन्यास

अमृतलाल नागर के बहुचर्चित उपन्यास

अमृतलाल नागर हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनका जन्म '(17 अगस्त, 1916 - 23 फरवरी, 1990) उन्हें भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1932 में निरंतर लेखन किया। अमृतलाल नागर के भाषा सह

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अमृतलाल नागर के बहुचर्चित  उपन्यास

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अमृतलाल नागर हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनका जन्म '(17 अगस्त, 1916 - 23 फरवरी, 1990) उन्हें भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1932 में निरंतर लेखन किया। अमृतलाल नागर के भाषा सह

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अमृत लाल नागर की कहानी संग्रह

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अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है उपन्यासों की तरह उन्होंने कहानियाँ भी कम ही लिखी हैं परन्तु सभी कहानियाँ उनकी अपनी विशिष्ठ जीवन-दृष्टि और सहज मानवीयता से ओतप्रोत होने क

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अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है उपन्यासों की तरह उन्होंने कहानियाँ भी कम ही लिखी हैं परन्तु सभी कहानियाँ उनकी अपनी विशिष्ठ जीवन-दृष्टि और सहज मानवीयता से ओतप्रोत होने क

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अमृत लाल नागर के लेख

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कहते तो आप ठीक ही हैं पंडित जी, मगर मध्यवधि चुनाव के अभी चार-पांच महीने पड़े हैं, आप तत्काल की बात सोचिए। कार्पोरेशन में किसी बड़े अफसर को फोन-वोन करके ये गंदगी ठीक करवाइए जल्दी से, अंदर से मैनहोल उभर

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25 जुलाई 2022
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25 जुलाई 2022
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बाबू पुराण

25 जुलाई 2022
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25 जुलाई 2022
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मिट्टी का तेल और नल क्रान्ति

25 जुलाई 2022
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आर्यसमाज और अखबारों की छत्र-छाया में बाल-विवाह भले ही न रुके हों अथवा विधवा-विवाह भले ही न हुए हों, परन्तु छोटी-मोटी क्रान्तियाँ अवश्य हुई। उनमें अंग्रेजी दवाओं, मिट्टी के तेल और पानी के नल का उपयोग ब

तीतर, बटेर और बुलबुल लड़ाना

25 जुलाई 2022
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यह मुमकिन है कि शान्ति के कबूतर उड़ाते-उड़ाते हम एटम हाइड्रोडन मिज़ाइल किस्म के भयानक हथियारों और आस्मानी और दर आस्मानी करिश्मों के औजारों की लड़ाई बन्द कराने में सफल हो जाएं, मगर यह कि लड़ाई का चलन ह

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25 जुलाई 2022
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बात कुछ भी नहीं पर बात है अहम् की। आज से करीब पचास व साठ बरस पहले तक अहम् पर खुद्दारी दिखलाना बड़ी शान का काम समझा जाता था। रईस लोग आमतौर पर किसी के घर आया-जाया नहीं करते थे। बराबरी वालों के यहां भी ब

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