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Rj अली हाशमी की पुस्तकें

Sykateam

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हमारा मिशन हर हाथ मे हो कलम की ताकत हमे हर उस व्यक्ति को एजुकेशन के प्रति जागरूक करना है लोगो को एजुकेशन से जोड़ना

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<p>हमारा मिशन </p><br><p>हर हाथ मे हो कलम की ताकत </p><p>हमे हर उस व्यक्ति को एजुकेशन के प्रति जागरूक करना है लोगो को एजुकेशन से जोड़ना</p>

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Hashmiali

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बहुत कम लिखता हूंपर जो भी लिखता हूँसारे गम लिखता हूं

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Hashmiali

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<p>बहुत कम लिखता हूं</p><p>पर जो भी लिखता हूँ</p><p>सारे गम लिखता हूं</p>

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Rj अली हाशमी के लेख

आक्रोश

14 अप्रैल 2018
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निर्भया के वक़्त आक्रोश लोगों मे देखा था जलती हुई सैकड़ो मोमबतीया सड़को पर देखा था मिला न इंसाफ उसे भी ये मंजर भी देखा था लोगों को मैंने सड़को पे उतरते देखा था रोती बिलखती मासूम ''आसिफा'' दर्द पुराना उसकी आंखों मे देखा था इधर तड़पती एक और पीड़िता यह भी मैंने देखा था उन्नाव के बेटी का दर्द उसके बाप के आंख

मेरी कहानी

8 अप्रैल 2018
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#मेरी_प्रेम_कहानी आज से कई साल पहले बात है जब मैं किसी से बेइम्तेहा मुहब्बत किया करता था और आज भी करता हूं पर कहते है न की प्यार अधूरा रहता है वही जो सब के साथ होता है वही मेरे साथ भी हुआ पर ऐसा नही था की वह मुझे छोड़ गई वह शायद आज भी प्यार करती होगीबात उस समय की है जब मेरी उम्र 14 साल थी मैं क्लास 8

उदास मत होइये

4 अप्रैल 2018
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जब मैं उदास होता हूँ तो मैं खुद को दूसरों से अलग नहीं करता। हाँ बल्कि अपनी भावनाओं को समझने के लिए और शायद जी-भर के रोने के लिए मुझे अकेले होने की ज़रूरत होती है। लेकिन उसके बाद लोगों से मिलना-जुलना ज़रूरी समझता हूँ ताकि जिस बात से भी मैं दुखी हूँ, उसे अपने दिमाग से हटा सकूँ और हा उनसे बात करने से व

क्या बर्बाद करोगे

28 मार्च 2018
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हमे तुम क्या बर्बाद करोगे साहबहमे तो हमारे लोगों ने बर्बाद कर रखा हैमैं अपनी मौज़ में डूबा हुआ जज़ीरा हूँहमने तो तुम्हे पहले ही आबाद कर रखा हैतुम्हारी नफरतो के बोझ भारी नही हमपेहमने तो नफरतो का हर बोझ उठा रखा हैतुम्हे करना है बर्बाद तो करो शौक से हमने तो हर पंछी को आजाद कर रखा हैतुम हमे क्या बर्बाद

love u

27 मार्च 2018
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बचपन की कुछ यादेआज से 4 साल पहले जब हम साथ थे चेहरे पे मुस्कान थी जब मैं अपने गाँव से मुम्बई रवाना हुआ तो मैंने देखा की मैं बहुत कुछ छोड़ के जा रहा हूं पर कर भी क्या सकता था बस याद बनकर रह सा गया था जब इलाहाबाद स्टेशन पहुँच तो मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ताकि अपने शहर को देख कर वापस न लौट जाऊ आँखे भर स

बचपन की यादे

27 मार्च 2018
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बचपन की कुछ यादेआज से 4 साल पहले जब हम साथ थे चेहरे पे मुस्कान थी जब मैं अपने गाँव से मुम्बई रवाना हुआ तो मैंने देखा की मैं बहुत कुछ छोड़ के जा रहा हूं पर कर भी क्या सकता था बस याद बनकर रह सा गया था जब इलाहाबाद स्टेशन पहुँच तो मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ताकि अपने शहर को देख कर वापस न लौट जाऊ आँखे भर स

माँ

18 मार्च 2018
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माँ तेरी कहानी कुछ नई बात सीखाती रहीहर रोज कुछ नई नई चीज बताती रहीतूने अपने ही हाथो को जलने दियादर्द हो न मुझे तु छुपाती रहीमैंने देखा था तेरे हाथो को जलते हुए माँमाँ तू अपने हाथो को छुपाती रहीमाँ तूने अपने दुआओ से नवाज मुझेअपने हाथो से खाना खिलाया मुझेतन्हाई मे तेरी वह बाते आकर मुझे रुलाती रही माँ

याद आती है

18 मार्च 2018
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माँ तु अबभी याद आती हैतेरी हर कहानी तेरी जुबानीव बचपन के किस्से हमे याद आता हैमाँ तु अब भी याद आती हैतेरी लोरी सुनाना व गुन गुनानाव बचपन मे चलना सीखना याद आता हैमाँ तु अब भी याद आती हैतेरी आँचल मे छुपना तेरी हाथो से खानाव बचपन मे तेरे हाथो से मार खाना याद आता हैमाँ तु अब भी याद आती हैतेरा गिनती सीखन

भुलाये बैठे है

17 मार्च 2018
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वह हमसे न जाने क्यों रूठ बैठे हैमुझे पता है की वह हमको भुलाये बैठे हैगुजारी साथ हमने जो कुछ लम्हे उन लम्हो को भी भुलाये बैठे हैमुझे लगा की आएंगे लौट कर के वहहमारे घर का वह रास्ता भुलाये बैठे हैवह देखते थे जो दिन रात मुझको सपनो मे उन सपनो को भी कैसे भुलाये बैठे हैRj Ali Hashmi

तुझे मुबारक हो

16 मार्च 2018
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रह ही लेंगे बिछड़ कर तुझसेतेरी याद तुझे मुबारक होकर ही लेंगे खुद को काबू सनमतेरी मुहब्बत तुझे मुबारक होसह ही लेंगे गमे जुदाई कातेरी तन्हाई तुझे मुबारक होतु लिखेगी क्या मुझको हरजाईतेरी कलम तुझे मुबारक होंRj Ali Hashmi

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