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सन्ध्या गोयल सुगम्या के बारे में

परिचय- संध्या गोयल सुगम्या सन्ध्या विद्यार्थी जीवन में स्वरचित कविता पर मोदी कला भारती के सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला पुरस्कार से सम्मानित हुईं। कुछ वर्ष पूर्व ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित ई पत्रिका "नींव" में प्रति माह बच्चों के लिए कविता एवं कहानी लिखीं। यह सिलसिला 3 वर्ष तक चला। इनकी बाल कहानियों की प्रथम पुस्तक "नन्हे दोस्त" नाम से प्रकाशित हुई। सम्प्रति स्वतंत्र लेखन में संलग्न। यू ट्यूब एवं Nojoto पर इनकी लिखी कहानियां,इनके ही स्वर में उपलब्ध हैं।

पुरस्कार और सम्मान

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साप्ताहिक लेखन प्रतियोगिता2022-04-24
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-02-18

सन्ध्या गोयल सुगम्या की पुस्तकें

सुनो न!

सुनो न!

अपनी बात मुझमें से गर निकाल दो मेरी लेखनी मेरी ज़िन्दगी से मेरी नहीं निभनी यूँ तो आते हैं सभी जीने के लिये पर ज़िन्दगी न लगती सबको भली इतनी सुख में सखी और दुख में दोस्त मेरी लेखनी ने कभी न होने दी कोफ्त मेरी अनुभूतियाँ ,जो कवित

26 पाठक
61 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 63/-

प्रिंट बुक:

194/-

सुनो न!

सुनो न!

अपनी बात मुझमें से गर निकाल दो मेरी लेखनी मेरी ज़िन्दगी से मेरी नहीं निभनी यूँ तो आते हैं सभी जीने के लिये पर ज़िन्दगी न लगती सबको भली इतनी सुख में सखी और दुख में दोस्त मेरी लेखनी ने कभी न होने दी कोफ्त मेरी अनुभूतियाँ ,जो कवित

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सन्ध्या गोयल सुगम्या के लेख

भूमिका आदरणीया आशा शैली जी

7 मई 2022
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भूमिका सोशल मीडिया को जितना कोसा जाता है, उतना सराहा भी जाता है। निश्चय ही फेसबुक और वाट्सएप ने लेखक जगत के परिचय क्षेत्र को जितना विस्तार दिया है, उतना पुस्तकें और कवि सम्मेलन नहीं दे सकते थे। आज हर

संता बंता

19 अप्रैल 2022
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हास्य रस में रहने दो बंता को बंता और संता को संता जाति धर्म न आए बीच में मज़ा ले सारी जनता☺️😄

"तुम बिन चैन कहाँ"

19 अप्रैल 2022
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"तुम बिन चैन कहाँ" कल तुम मुझसे रूठ गए, लगा कि दुनिया रूठ गई मुँह में नाम भगवान का और मन में उदासी मैं तुम्हारी खुशामद करती रही सब कुछ भूल तुम्हें मनाती रही तुम मान गए, दुनिया खिल उठी मैं बस ज

मेरे प्रिय मोबाइल फोन

13 अप्रैल 2022
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"मेरे प्रिय मोबाइल फोन" तुम से ही पूजा तुम से ही आरती तुम से ही ज्ञान देती माँ भारती प्रियजनों के हमको लेने हों हालचाल या सखियों की बात सुन हों खुशी से मालामाल इमरजेंसी में जाना हो डॉक्टर के

मानो तो सुख

7 अप्रैल 2022
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"मानो तो सुख" सुधिजन हमें लाख समझाए दुनिया में कोई सुख न पाए मानो तो सुख है बस वरना ढूँढे से सुख नजर न आए

धन्यवाद

6 अप्रैल 2022
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धन्यवाद पाकर शुभकामनाएं मन हुआ है गदगद दिल से दी गयी दुआएं करातीं अहसास सुखद मंगल कामनाओं के लिये करते आप सबका आभार आपकी भावनाओं के लिये है बारम्बार नमस्कार ☺️☺️🙏🙏🌻🌻

मैं गौरैया

6 अप्रैल 2022
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"मैं गौरैया" मैं छोटी सी गौरैया साहित्य के उद्यान की इत उत उड़ती,दाना चुगती मंत्रमुग्ध ईश विधान की

आजादी

6 अप्रैल 2022
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"आजादी" नहीं आई आजादी पहनने से खादी कितनी माँओं के लालों ने अपनी जान लुटा दी

"फितरत"

6 अप्रैल 2022
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"फितरत" होती है कुछ लोगों की ऐसी ही फितरत मिल जाए माइक तो निकालेंगे ज़िंदगी भर की हसरत जब माइक पर आता है कोई नया वक्ता बड़े ध्यान से सुनते हैं उसको सारे श्रोता कुछ देर तक रहता है माइक उसके ह

"स्त्री थोड़ी पागल होती है न"

6 अप्रैल 2022
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"स्त्री थोड़ी पागल होती है न" चली आती है अपना घर छोड़कर पति का घर बसाने के लिए स्त्री थोड़ी पागल होती है न ओढ़कर सारी जिम्मेदारियां खुद ही बना लेती है निर्भर, पति को स्वयं पर स्त्री थोड़ी पागल ह

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लेख पढ़िए