नई दिल्ली : यूपी में सीएम अखिलेश यादव की सरकार ने अपने चहेतों को सम्मानित करने के लिए एलडीए के खजाने से 5 करोड़ रुपये लुटा दिए. हालांकि कागजी दस्तावेजों में तो सरकार ने सीएम के इस विभाग से यह रकम बतौर कर्जा लिया हैं, लेकिन यह रकम सरकार लखनऊ विकास प्राधिकरण को भविष्य में कब तक लौटा देगी. इस बात का कहीं जिक्र ही नहीं किया गया हैं.
सरकार ने LDA से लिया 5 करोड़ रुपये का कर्ज
सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके इस विभाग के पास अब कोई कामकाज पहले से ही नहीं बचा हैं. जिसके चलते प्राधिकरण के अफसरों और कर्मचारियों को कुछ साल बाद वेतन दिए जाने के लाले पड़ने वाले आसार पहले से ही दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी की सरकार ने अपने चहेतों को सम्मानित और पुरस्कृत करने के लिए उसके खजाने से 5 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर उसे और संकट में डाल दिया है.
बीजेपी नेता ने ट्वीट कर जताया खेद
यूपी बीजेपी के महासचिव विजय बहादुर पाठक ने इस बात का उल् लेख बकायदा अपने ट्वीटर अकॉउंट पर ट्वीट करते हुए यूपी सरकार के इस नए कारनामे का खुलासा किया है. सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण ने पिछले कई सालों से अपनी किसी नई योजना को शुरू करने के लिए कोई जमीन अधिगृहित नहीं की है. और जो योजनाएं थीं. वह भी कभी की खत्म हो चुकी है. यही नहीं गोमती नगर योजना के फेज -2 में जो प्रापर्टियां प्राधिकरण की बची थीं. उनमें भी प्राधिकरण के अफसरों और बाबुओं ने दलालों से सांठगांठ कर अपनी जमकर जेबें गरम कर ली हैं.
दो जोड़ी कपड़ों में चलने वाले अफसरों के पास कई संपत्तियां
सूत्रों के मुताबिक कल तक दो जोड़ी कपड़ों में चलने वाले अफसरों और बाबुओं ने प्राधिकरण की इस योजना में गड़बड़झाला कर अरबों-खरबों कमाए ही नहीं बल्कि हर योजना के प्राइम लोकेशन में अपनी बेनामी प्रापर्टियां इसी दौलत से खड़ी कर ली हैं. बताया जाता है कि प्राधिकरण कि गोमती नगर योजना के फेज-2 में किये गए अन्य योजनाओं के भूखण्डों की पत्रावलियों की यदि सीबीआई से जांच कराई जाये तो दूध का दूध पानी का पानी साफ हो जायेगा.
सपा ने भी कर दिया LDA का खजाना खाली
सूत्रों के मुताबिक यूपी में बसपा की सरकार से लेकर सपा की सरकार बनने के बाद तक यह खेल खुलेआम चलता रहा है. प्राधिकरण के जानकारों के मुताबिक इस खेल का अंत प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष रहे राजीव अग्रवाल को जब इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने प्राधिकरण के अफसरों और कर्मचारियों को डांट लगाते हुए इस पर रोक लगायी थी. लेकिन उनके जाते ही फिर खेल शुरू हो गया था. खबर है कि इस घोटाले को अंजाम देने वाले प्रापर्टी अफसरों ने पूर्व सचिव रामविलास के कुछ पत्रावलियों में खुद ही हस्ताक्षर बना लिए हैं. बहरहाल विभागीय अफसरों और कर्मचारियों के घोटालों की भेंट चढ़ चुके प्राधिकरण की माली हालत पहले से ही ख़राब चल रही है. ऐसे में सपा सरकार ने उसके खजाने से 5 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर उसके खजाने को और खाली कर दिया है.