नई दिल्ली: मुंबई की सड़क पर एक घायल घोड़ा रोज़ सवारी कराने को मजबूर हो गया। घोड़े का शरीर पूरी तरह से घायल था, पैरों से खून भी रिसता रहा लेकिन घोड़े के मालिक ने चूना पत्थर लगाकर घाव ही छिपा दिया। मुंबई का मतलब वैसे तो सपनों का शहर और चकाचौंध के रूप में होता है लेकिन मुंबई की बेदर्दी का ज़रा आलम देखिये कि आलीशान सड़क पर शाही सवारी करने वाले लोगों को एक घोड़े के दर्द का अंदाज़ा भी नहीं था। जिस सड़क ने 26/11 देखा, मुंबई की नाईट लाईफ देखी, लोगों की भीड़ देखी उसे नहीं दिखी तो बस घोड़े की पीड़ा। दरअसल बात गेटवे आफ इंडिया की जहां पर एक घोड़ा जो कि घोड़ा बग्गी के लिए इस्तेमाल किया जाता था उसकी हालत बेहद ही नाज़ुक थी। घोड़े के शरीर में कई जगह घाव थे और घोड़े को उसका मालिक न तो अच्छा खाना देता ता और न ही उसकी देखभाल करता था। बल्कि घाव छिपाने के लिए घोड़ा मालिक चूना पत्थर को घोड़े के घावों में लगा दिया करता था।
पुलिस ने लिया ग़िरफ़्त में
दरअसल एनीमल वेलफेयर ग्रुप और मुंबई पुलिस ने विक्टोरिया घोड़ा गाड़ी को अपने क़ब्ज़े में लिया और पाया कि घोड़े की हालत बहुत नाज़ुक है। घोड़े के पूरे शरीर में कई जगह घाव थे जिसे उसके मालिक ने चुने लगाकर ढक रखा था। एनिमल वेलफेयर बोर्ड और पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट आफ एनिमल्स यानी पेटा के द्वारा कोलाबा पुलिस को सूचित किया गया। घोड़े के जिस वक़्त अस्पताल ले जाया गया तो वेटनरी डॉक्टर बेहद हैरान थे। उसके पैरों में कई जगह गंभीर घाव थे, पैरों से खून रिस रहा था। घोड़े के मालिक महेंद्र और अशोक ने घाव को छिपाने के लिए चूना पत्थर का इस्तेमाल भी किया। पुलिस ने इसे ग़ैर संज्ञेय अपराध (non congnizable) के तहत दर्ज किया है।
जारी हुई मेडिकल रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार घोड़ा बुरी तरह से घायल था। आमतौर पर घाव के निशान बेहद आसानी से नज़र आ जाते हैं लेकिन मालिक के लाइम पॉउडर लगाने की वजह से केवल पेच नज़र आ रहा था। जिससे घोड़ा अथाय दर्द के बाद भी लोगों को सवारी कराने के लिए मजबूर था। ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने के लिए इसे जारी रखने की बात कही थी लेकिन जब बारीकि से इसकी पड़ताल की तो पता चला कि घोड़े की देखभाल करने वाले के पास उसे खिलाने तक के पैसे नहीं थे।