घड़ी की सुई
एलार्म की सोर ने,,मुझको झकझोर दिया,,उठ जा प्यारे सुबह हुई,,कह कर मेरे सपनों को तोड़ दिया,,रूष्ट हो क्रोध से,,जब घड़ी को देखा,,सिहर उठी घड़ी,,कांप कर उसके सुईयों ने दर्शाया,,कांपते कदमों से चलकर,,टिक टिक कर बोली,,रुष्ट क्यों होते हो प्यारे,,भूलकर अपने अतीत को,,अधीर हो कर अपने वर्तमान में,,हमने तो अपन