कश्मीर: ऋषि कश्यप की भूमि जो लगभग पूरी तरह से अपने वास्तविक निवासियों का कत्लेआम कर उनसे विहीन कर दी गई थी और जेहादियों के शिकंजे में जकड़ी हुई थी,
कांग्रेस के सहयोग से दो परिवारों का एकछत्र राज चला करता था, एक बार यह सत्ता में, फिर एक बार वह सत्ता में, जेहाद के उद्योग के समानांतर ही इन दो जेहादी परिवारों के लूट की दुकानें भी चल रही थी, भारत के साथ बने रहने का एहसान दिखाकर भारतीय टैक्सपेयर्स के धन की निर्दयता पूर्वक लूट का खेल फलफूल रहा था, मात्र 1% की आबादी वाले प्रदेश पर पूरे देश के राज्यों पर खर्च होने वाले धन का अकेला 10% खर्च हुआ करता था,
राज्य के संसाधनों की लूट और बंदरबांट पूरे चरम पर चल रही थी प्रदेश की महिलाओं और काफिर निवासियों के अधिकारों का दमन पूरी क्षमता से किया जा रहा था और वहाबी जिहादी कट्टरवाद की मानसिकता पूरे राज्य में निरंतर फैलाई जा रही थी,
किंतु फिर देश में नरेंद्र मोदी नीत भाजपा की सरकार बहुमत के संग सत्ता में आ गई, और अवसर का महत्व समझकर कश्मीर के एकमात्र हिंदू बहुल क्षेत्र जम्मू ने लगभग अपने सभी मत भाजपा को दे दिए, परिस्थिति कुछ ऐसे बन गई कि भाजपा के सहयोग के बिना नई सरकार बनना संभव हो गया, यह ऐसा अवसर था जिसकी प्रतीक्षा कश्मीर की भूमि पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के बाद से भाजपा कर रही थी,
फिर भाजपा ने वह कदम उठाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी और वह था अपने से एकदम विपरीत विचारधारा रखने वाले दल पीडीपी की तरफ गठबंधन का हाथ बढ़ाना, जिसका भारी स्तर पर विरोध हुआ यहां तक कि स्वयं भाजपा के समर्थक तक भाजपा के प्रति आक्रामक हो गए,
वहीं कश्मीर में कुछ समय से सत्ता सुख से दूर में बैठी पीडीपी ने इसे सत्ता में वापसी के अवसर के रूप में देखा, और पीडीपी निकट के लाभ के चक्कर में दूर की हानि वाले सिद्धांत पर चिंतन न कर सकी क्योंकि सत्ता की हवस का पलड़ा समझ से भारी हो चला था,
पीडीपी ने भाजपा के आगे शर्त रखी कि मुख्यमंत्री हमारी पार्टी का होगा नरेंद्र मोदी व् भाजपा ने वह सहर्ष स्वीकार कर लिया, सरकार बन गई मुख्यमंत्री तो पीडीपी का रहा परंतु भाजपा को राज्य की कार्यपालिका, सरकारी दस्तावेजों, राज्य के अधिकारियों के बीच बैठी काली भेड़ों और ईमानदार भेड़ों तक सीधी पहुंच मिल गयी, जिनके माध्यम से भाजपा ने राज्य में धीमी का स्तर तक घुस चुकी है अध्ययन कर आकलन आरंभ किया, दूसरी और पीडीपी को सत्ता सुख भोगने दिया, लंबे समय बाद सत्ता का स्वाद चखने वाली पीडीपी सत्ता और पावर के नशे में रमी रही और भाजपा द्वारा धीरे-धीरे राज्य के लूप होल्स की स्टडी की जाती रही और उनके सॉल्यूशन पर चिंतन भी किया जाता रहा,
जब भाजपा लगा कि सभी आवश्यक बिंदु कवर किए जा चुके हैं, और अब इस बेमेल गठबन्धन को और ढोने कि आवश्यकता नहीं है तब पीडीपी के पैरों के नीचे से वह मखमली लाल कालीन खींच दिया गया, सरकार गिरा दी गई, वह सम्भवतः भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसा पहला अवसर था जब अपनी ही सरकार गिरने पर भाजपा और भाजपा के समर्थक भी हर्षोल्लास से भरे हुए उस डेवलपमेंट का उत्सव मना रहे थे, राज्य में पहले राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति शासन लगा,
तब तक 2019 लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके थे, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पुनः सत्ता में थी, कशमीर में राष्ट्रपति शासन लागू था, भाजपा जानती थी लोहा गरम हो चुका है, हथौड़ा मारने का समय आ चुका था और हथोड़ा मार भी दिया गया, कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 समाप्त कर दी गई, राज्य को बाइफर्केट कर दिया गया, स्वयं को कश्मीर के खलीफा समझने वाले परिवारों को उठाकर नजरबंद कर दिया गया और इस अंतराल पर राज्य में फैल चुकी आतंकवाद की जड़ों को तेजी से काटा गया, और दोनो लुटेरे परिवारों के राज में हुए घोटालों को खंगाला जाने लगा।
और अब फिलहाल हालत ऐसी है कश्मीर को अपनी बपौती समझने वाले कश्मीर के तथाकथित बेताज बादशाह में से एक जम्मू में सरकारी जमीन हड़प बनाया अपना आलीशान बंगला और दूसरा सरकारी जमीन हथिया कर बनाए अपने कार्यालय के डिमोलिश किए जाने की प्रतीक्षा कर रहे है और कश्मीर में ग्रास रूट लेवल के चुनाव लड़ने की तैयारियां कर रहे हैं, इन लुटेरे परिवारों द्वारा 25 हजार करोड़ की जमीनों की बंदरबांट इन्हें भारी पड़ने वाली है, सरकारी जमीन तो वापस लेने की प्रक्रिया चालू हो चुकी है परंतु उस घोटाले की जांच यह सुनिश्चित करेगी कि इनका आने वाला समय इन्हें इनके पापों की सजा देने वाला साबित हो,
फिलहाल ये दोनों परिवार खिसीयाकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं और दूसरी ओर एनआईए इन दोनों परिवारों की पार्टियों में घुसे बैठे आतंकवादी तत्वों को चुन चुनकर उठा रही है।
यह सब कुछ संभव हो सका जम्मू के हिंदुओं द्वारा भाजपा को दिए वोट के कारण, हम सभी लोगों की दृष्टि के समक्ष घटित हुए इस पूरे घटनाक्रम से सीख यह मिलती है कि छोटी असहमतियों और समस्याओं को दरकिनार कर बड़ी पिक्चर पर फोकस करने की आवश्यकता है, यह सिद्धांत ठीक हम स्टॉक ट्रेडर्स की कम्युनिटी के पहले नियम सरीखा है जो कहता है कि "ट्रेड में कॉल गलत हो तो स्टॉप लॉस वाला छोटा घाटा सहकर कैपिटल बचाओ, तभी उस कैपिटल द्वारा सही ट्रेड पर बड़ा मुनाफा कमा सकोगे,
देश के हिंदू समाज को भी आज इसी मानसिकता को अपनाने की आवश्यकता है, ये समय केकड़ों वाली मानसिकता का प्रदर्शन कर अपने ही हित और उद्देश्य के प्रति कार्य कर रहे व्यक्ति की टांग खींच कर गिराने का नहीं, बल्कि आने वाले दशकों में अपना अस्तित्व बचाने और प्रभुत्व बनाए रखने जैसे बड़े विषयों पर ध्यान केंद्रित करने का समय है और उसका मार्ग है उस एक राजनीतिक दल का पूर्ण सहयोग व् समर्थन करना जो वास्तव में हिंदू समाज की रक्षा और उसके उत्थान हेतु गंभीरतापूर्वक कार्यरत है।
🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳