प्रिय बंधुओं जैसा कि आपको ज्ञात ही होगा कि उत्तर प्रदेश के संदर्भ में आजकल समाज में एक विमर्श बहुत तेजी से बनाया जा रहा है कि एक ठाकुर के मुख्यमंत्रित्व में ब्राह्मणों पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं।
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इसमें सबसे अधिक मजे की बात यह है, कि यह विमर्श उन तथाकथित लिवरल, सेक्युलर और वामपंथी लोगों द्वारा बनाया जा रहा है जो आज तक ब्राह्मणों के ऊपर पूरे हिंदू समाज का शोषण करने का जबरदस्त आरोप जड़ते रहे हैं।
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पहली बात तो यह है कि इन महान बुद्धिजीवियों को यही नहीं पता, कि हमारे हिंदू धर्म और संस्कृति में संत का कोई वर्ण या जाति नहीं होती। (वैसे पता इनको सब कुछ है, लेकिन यह लोग जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न करने का हमेशा प्रयास करते हैं, कि जिससे हिंदू समाज विघटित हो और इन्हें अपना एजेंडा आसानी से लागू करने का मौका मिल सके।)
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और दूसरी यह, कि अगर मान भी लिया जाए कि वो संत नही ठाकुर है, तो इससे इन तथाकथित लिवरलों, सेक्युलरों और वामपंथियों द्वारा पिछले 80-90 साल से बनाया गया वह विमर्श स्वतः ही झूठा साबित हो जाता है। जिसमें उन्होंने पूरे देश को यह रटाने का प्रयास किया कि ब्राह्मणों ने हिंदू समाज का विघटन कर उसका हमेशा शोषण किया।
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ऐसा इसलिए, क्योंकि इन्हीं लोगों के अनुसार राजतंत्रीय शासन व्यवस्था में देश पर ज्यादातर क्षत्रियों ने शासन किया, तो ब्राह्मणों ने शोषण कैसे कर लिया होगा? क्योंकि आज की वैश्विक परिस्थितियों तक में जब एक ठाकुर मुख्यमंत्री, ब्राह्मणों पर इतना जबरदस्त अत्याचार कर रहा है, तब पूर्व के समय में तो क्षत्रिय राजाओं में पूर्णरूपेण सारी शक्तियां निहित होती थी। तब उन्होंने ब्राह्मणों पर कितने अत्याचार किए होंगे??? और जब ब्राह्मणों पर ही स्वयं अत्याचार हो रहे थे, तो उन्होंने दूसरों पर अत्याचार कैसे किए होंगे??? इस तथ्य से इन लोगों द्वारा बोया गया ब्राह्मणवाद का जहरीला सिद्धांत स्वतः ही ध्वस्त हो जाता है।
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मित्रों असल बात तो यह है के यदि छोटे से कालखंड को छोड़ दिया जाए तो हिंदू संस्कृति के मानने वालों ने कभी भी एक दूसरे पर कोई भी अत्याचार नहीं किया। और एक दूसरे पर ही क्यों उन्होंने अन्य किसी पर भी, कभी भी, कैसा भी अत्याचार नहीं किया। क्योंकि हिंदू संस्कृति का मूल सिद्धांत है -
सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दु:खभाग् भवेत॥
ॐ शांति: शांति: शांति:।।
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और जिस छोटे कालखंड का मैंने उल्लेख किया है, उसकी भी परिस्थितियों का अगर जरा सी भी बुद्धि लगा कर आप विश्लेषण करेंगे, तो आसानी से समझ जाएंगे कि उन अत्याचारों की जड़ में भी कौन-कौन से तत्व थे। इस विश्लेषण के परिणाम स्वरूप आप उन्हीं तत्वों को पाएंगे जो आज हिंदुओं के सभी वर्गों को एक दूसरे के खिलाफ भड़काकर पूर्व की भांति आज भी अपनी स्वार्थ पूर्ति करना चाहते हैं।
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वैसे अगर आप समझदार हैं और अपनी बुद्धि का प्रयोग करना जानते हैं, तो इस विमर्श के मजे लीजिए। और जो भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति बना रहा है, तो कोई अन्य उससे भी ऊंची और भव्य मूर्ति बनाने की बात कर रहा है।
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उनसे प्रश्न कीजिये कि उनके कार्यकाल में ब्राह्मणों के सर क्यों काटे गए और दूसरे के कार्यकाल में तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार वाले नारे क्यों लगाए गए। और आज ब्रह्मा-विष्णु-महेश तथा उनके सभी अवतारों को ना मानने की बात करने वाले उनके ही एक अवतार की भव्य 108 फीट ऊंची मूर्ति क्यों लगवाना चाह रहे हैं?
Sanjeev somvanshi