आदरणीय,
Narendra Modi PMO India
सही बिल के विषय में मिथ्या प्रचार कर एंटी CAA प्रोटेस्ट हुए, शाहीन बाग हुआ,
हम यह सोच बैठे रहे कि इनपर कड़ी कार्यवाही करेंगे तो हमपर अल्पसंख्यकों व् युवाओं के दमन के आरोप लग जाएंगे, हमारी स्वच्छ निर्मल छवि पर दाग लग जाएंगे, वे जो कर रहे हैं करने दो, कुछ समय बाद थककर अपने आप चले जाएंगे
वे प्रधानमंत्री गृहमंत्री को मारने की धमकियां देते रहे, उन्होंने हिन्दू समाज के प्रति विषवमन किया, हिन्दू देवी देवताओं का अपमान किया, भारत के उत्तरपूर्वी राज्यो को भारत से अलग करने की बातें की,
हम सब चुप बैठे रहे की वे स्वयं एक्सपोज़ हो रहे हैं, PFI द्वारा उनकी फंडिंग तक का खुलासा हुआ हम सब चुप बैठे रहे,
सड़क अवरुद्ध होने के कारण कई मरीजों की एम्बुलेंस उन्हें समय से हॉस्पिटल न पहुंचा सकी वे अपने प्राण गंवा बैठे, हम सब चुप रहे उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार का उत्सव जश्न-ए-शाहीन तक मनाया हम चुप रहे,
हमने सोचा दिल्ली चुनाव से पहले हुई इस धृष्टता ने इन्हें और इनकी सहयोगी पार्टियों को एक्सपोज़ कर दिया है हमे चुनावी लाभ तो मिलेगा,
अंत में उस खेल का अंत दिल्ली की सड़कों पर हिन्दू नरसंहार के रूप में हुआ, और दिल्ली के चुनाव में कोई सहानुभूति भी न मिली और वह भी हार गए, न खुदा मिला, न विसाले सनम,
गलती हुई थी, इंटेलिजेंस इनपुट भी मिले थे, दर्जनों पत्रकार व् विपक्षी नेता और पार्टियां उस आग को भड़काते हुए रँगे हाथ पकड़े गए थे, किन्तु फिर भी राजधानी में युवाओं व् महिलाओं को ढाल बना बैठे जेहादियों पर सीधे कड़ी कार्यवाही से कहीं छवि धूमिल न हो का संशय ही भारी पड़ गया,
अब महाराष्ट्र की बात करें तो क्षद्म सहयोगी ठाकरे जो पूर्व में भी रंग दिखा चुका था हमारे ही चेहरे को इस्तेमाल कर औकात से बढ़कर सीटें बटोर लाया और फिर हमारी ही पीठ में ख़ंजर घोंप गया,
चलो कोई बात नही, हमारी गलती नहीं थी, आस्तीन का सांप था, डस गया,
महाराष्ट्र का युवा सेनापति भी कुछ घण्टों का मुख्यमंत्री बन राजनीति के मंझे हुए शत्रु के जाल में फंस गया, उपहास भी खूब हुआ, किंतु खून का घूंट था पीना पड़ा,
परन्तु अब जब उस मंझे हुए शत्रु और आस्तीन के सांप की धृष्टता जब इतनी हो गयी है की उनके कुकर्मों का सत्य उजागर करने पर वे एक चैनल के एडिटर व् पत्रकारों पर अत्याचार कर रहे हैं, नेवी वेटरन्स को पीट रहे हैं, सोशल मीडिया पर मौजूद हमारे समर्थकों को उठाकर टॉर्चर कर रहे हैं,
और आपका एक एक समर्थक ऐसे में असहाय महसूस कर आपकी ओर कातर दृष्टि से आपसे इंटरवीन करने की अपेक्षा कर रहा है, तो ऐसे में यदि आप सीधे नियमों को मरोड़ते हुए नहीं दिखना चाहते, सरकार भंग करने का पाप भी नही लेना चाहते तो भी आप कई ऐसे कार्य कर सकते हैं की औकात से अधिक उछल रहे लोग धरातल पर आ जाएं,
आप कोर्ट का सम्मान करते रहिये, सरकार भंग मत करिए, बस याद रखिये की यदि एक क्षण के लिए उस राज्य को एक राक्षस की टेरिटरी मान लें, तो उस राक्षस की जान वोहरा कमिटी की रिपोर्ट में फंसी है,
उस गिरोह के छुट्भइयों से बाद में समय लेकर निपटियेगा, परंतु दो बार गलतियां कर चुके अपने राज्य के युवा सेनापति को कुछ समय के लिए युद्ध भूमि से पीछे खींचिए, और उस गिरोह के सरगना के पर कतरने हेतु जरा एक बार वोहरा कमिटी की रिपोर्ट पर चढ़ी धूल तो बस एक बार झाड़ कर देखिए,
आपकी सहृदयता, नियम कानून व् राष्ट्रहित के प्रति आपके समर्पण पर कोई संशय नहीं है, किन्तु कई बार परिस्थितियों के कारण अपने तय मानकों से इतर जाकर आपको भी अपने पुराने ऑर्थोडॉक्स तरीकों को त्यागकर उंगली टेढ़ी करनेकी आवश्यकता पड़ जाती है,
दूसरों का आपके प्रति विश्वास आपकी बहुत बड़ी संपदा है, और जब आपके समर्थन में बोलने व् लिखने वाले राजनीतिक कारणों से टारगेट किये जाने लगें, तो उन समर्थकों का आपके प्रति वह विश्वास टूटने लगता है, केरल, बंगाल, दिल्ली में वे रिसीविंग एन्ड पर रहे हैं, अब महाराष्ट्र में यह विश्वास खण्डित मत होने दीजिये।
🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳