असली सच्चे हिन्दू अग्रिम पंक्ति के सैनिक कौन थे जिनके कारण हिन्दू धर्म बचता रहा और कौन हैं जिन्होंने सच्चे हिन्दू अग्रिम पंक्ति के इन सैनिकों को प्रताड़ित कर शोषण किया और
उन्हें मजबूर किया ताकि वह कभी ऊपर दोबारा न उठ सके. मक्कार इस्लामी इतिहास लेखक अपने को हिन्दू जातियों के प्रवक्ता बता कर दिखाते थे जैसे वह निम्न जातियों को ऊपर उठाने वाले थे जबकि असली सच्चाई ये है की आज जिन्हे भंगी, दलित और चूड़ा कहा जाता है वह वास्तव में भारत के वह हिन्दू थे जिन्हे सलामी आक्रांता सबसे अधिक सताते थे. चूड़ा पहनने वाली महिलाओं और भांग पीने का इल्जाम लगाकर भंगी कहने वाले वास्तव में आक्रांता ही है. दलित नामक कोई शब्द नहीं था. पीसी हुई दाल से दलित शब्द का प्रयोग अंग्रेज ने किया और उसका प्रयोग अमरीका के एक अश्वेत ग्रुप के लिए किया लेकिन वामपंथी और हरामी इतिहासकार ने इसे कई जातियों के साथ जोड़ कर नयी कहानिया फैलायीं की हिन्दू जाति पाती में विभाजित लोग हैं और इन्होने इस मिथक का प्रयोग हिन्दू समाज को तोड़ने के लिए किया ताकि आसानी से हिन्दुओ को तोड़ कर विभाजित कर उन्हें कलमा पड़वा कर अरबी नाम दिए जाएँ.
भंगी कोई भारतीय जाति या कोई जाति कभी नहीं थी जिसे पारंपरिक रूप से अछूत इस्लामी काल में बनाया गया , और ऐतिहासिक रूप से तीन व्यवसायों तक सीमित था: शौचालय, सफाई, और मैला ढोना।
कोई भी हिन्दू किसी भी रूप में न दलित है न पिछड़ा है ये सब विदेशी कुरूपता का षड्यंत्र है. इस षड्यंत्र और फैलाये गए मिथ्या प्रचार की आड़ में जितने जुल्म और धर्मान्तर हुए किसी इतिहास कार ने नहीं लिखा. आज पाक्स्तान और भारत के ७५% मुसलमान किसी समय सबसे सच्चे, धर्म में पूरी तरह समर्पित लोग थे पर उन पर जो जुल्म और आक्रमण हुए उनसे बचने के लिए उन्होंने मजबूरी में अपने नाम बदले.
क्यूं मारा जाता था?
इसलिए क्यूंकि ये हिन्दू धर्म कर्म संस्कृति के रक्षक थे, इन्हे सबसे पहले निशाना बनाया गया जब मंदिर , मूर्ति, संगीत और नृत्य को जीवित रखने वाले ही नहीं बचेंगे तो हिन्दू धर्म मिट जाएगा। आज भी भारत के कितने ही मूर्तिकार, शिल्पी, संगीत घराने आज अरबी नाम रखकर मुस्लिम ऊपर से लगते हैं, पर ये वो है जो बच गए।
कितने ही संगीत घराने जो मंदिरों में शास्त्रीय भक्ति संगीत का गान करते, देव स्थानों के रक्षक, सरंक्षक, लेखक, कवि , गुरुकुल चलाने वाले, हास्य व्यंग रस के कलाकार, मैरासी, विवाह उत्सव मंदिर में नाद, सुर नाल, सुरनाई (शहनाई,) बजाने वाले , बैंड, नृत्य कलाकार, मूर्तिकार, शिल्पी, बुनकर, कलाकृति बनाने में निपुण, मंदिर और गुरुकुल भवनों के पत्थर और ईंट पर आकार देने वाले, भारत के प्राचीन संगीत २५६ राग को जीवित रखने, प्राचीन ग्रंथो के लिए ताड पत्र बनाने वाले, गौ रक्षक, गौ भैंस को चारा देने वाले, हर युद्ध में अग्रिम रहने वाले वीर और कितने ही दूसरे व्यवसायों में लगें इन हिन्दू परिवारों और समाजों को हारकर अपना नाम अरबी रखना पड़ा पर इसके बावजूद लाखों और अधिकांश अपने धर्म की रक्षा के लिए अपना त्याग देते रहे. सबसे वीर हिन्दू रहे मार सहते रहे पर विदेशी बल के नीचे नहीं झुके।
जब १९४७ में षड्यंत्र द्वारा पाक्स्तान बनाया गया तो इस क्षेत्र के जो हिन्दू जिन्हे भंगी कहा जाता था वह या तो मजबूरी में मुसलमा बने या उन्होंने क्रिश्चन रिलिजन अपना लिया और आज भी वहां उन्हें बुरी तरह से रखा जाता है उनका शोषण आप जानेंगे तो रूह काँप जायेगी सिंध और पंजाब में लगभग सारा सफाई का काम ये कथित क्रिस्चन या हिन्दू ही करते हैं.
पुराने समय में कुछ लोगों को भंगी कहने वाले कौन थे? वह और कोई नहीं धर्मांतरित राक्षस थे जिन्होंने भारत के सच्चे बहादुर हिन्दुओ को प्रताड़ित किया. जब कुछ स्थानीय चालाक विदेशी आक्रांताओं के साथ मिलकर गद्दी हथिया लेते सबसे पहले लोगो को उच्च नीच मे जान बूझ कर बांट देते थे विषेश रूप से जो हिन्दू धर्म के दीवार थे। उन पर थूकने और नीच कहने से उन्हें ब्लैकमेल कर तोड़ा जाता था। ध्यान से देखें आज के राजनीति करने वाले इसी फार्मूले पर अपना व्यापार चला रहे हैं।
आज भी ये बदनीयत, हिन्दू को दलित कह, उन्हें बदनाम कर रहे हैं, उनको समूल रूप से विनाश कर उन्हें अपने जैसे अंधकारमय गलीच बनाना चाहते हैं और यह पिछले ९०० वर्ष से चल रहा है. अब इस प्रथा को रोकना है.
जिन्हें आज भंगी, मेहतर, चूहड़ा या बाल्मीकि, जो भी कहिये. सर पर मैला ढोने वाली जातियां कह कह के अज्ञानी लोगों ने अछूत कहा उनको दुत्कारा. वे क्षत्रिय सैनिक और हिन्दू समाज की दीवारें हुआ करते थे.. उन्होंने हार जाने और बंदी बनने के बाद भी सर पर मैला ढोया.कोड़े खाए. मगर इस्लाम नहीं कबूला. जो मजबूरी में कबूले उनकी संतान को आंखे खोल अपने पूर्वज पर हुए जुल्म को अनुभूत अनुभव कर सोचना है और उस तिलस्मी जाल को काटना है।
गांधी अज्ञानी क्रॉस धर्मांतरित भारतीय ब्रिटिश था जो नाटक करता था और हिन्दू एक है कहने की अपेक्षा हरिजन कहने लगा अर्थात वह भेदभाव को आगे बढ़ाता रहा और इसके बेईमान दोस्त जो सब अंग्रेजी वकील थे जान बूझ कर हिन्दू जान जाति scheduled caste tribe में विभाजित करने का षड्यंत्र कर स्वतंत्र भारत को बर्बाद कर गए। सब एक नागरिक एक अधिकार के स्थान पर इन लोगों ने भारत को एक घटिया अंग्रेज़ी संविधान दिया। असली कहानी मुगलई कहानी जैसे छिपा दी गई। उच्च नीच जाति की लोककथा बना दी। ये सब षड्ंत्रपूर्वक किया गया।
इस सबको इस लिए बांटा गया ताकि धीरे धीरे हिन्दू ख़तम कर सबको christ aur quranic बनाया जाए। ये सब दलित फलित नीच कह उसी षड्यंत्र को बेच रहे महा राक्षस है। इनके अपराध बड़े हैं। इन्हे क्षमा नहीं करें।
कथित निम्न और नीच वास्तव में हिन्दू समाज के नींव और धरातल हैं, सच्चे राष्ट्रवादी और धर्मनिष्ठ थे और इन्होने विदेशी आतंकियों का अत्याचार सहा। मुगल और ब्रिट्स के एजेंट वकील के नाम को भी मिटा दें और भारत के नागरिकों को एक धरातल पर समतुल्य बना दें। यही ईश्वर अल्लाह और राम कृष्ण का संदेश है। हिन्दू का अर्थ जोड़ना और जुड़ना है।
नीच कहे जाने पर भी उपहास सहा मगर न राम को भूले न कृष्ण को.। इनके बहुत से पूर्वज मजबूरियां में मुसलमान बने अपनी जान बचाने के लिए सात पीढ़ियों से पहले तक इनमे से अघिकांश पुराने नाम ही रखते थे पर औरंगज़ेब तक आते इन्हे झूट मूठ के अरबी नाम धरा दिए गए। इनके आत्मा पर राम कृष्ण अंकित है और रहेगा। इनके पूर्वज की आत्मा चीख चीख कर इन्हे अपने मूल धर्म और संस्कारो कि रक्षा को पुकारती है।
इन पर इतना जुल्म हुआ कहावत ही बन गयी. मार मार के भंगी बना देंगे.! इन्होने अपनी बस्तियों के पास सूअर पाले. विदेशी और कन्वर्ट सूअरों के डर से इनकी बस्तियों पर हमला नहीं करते थे. इनको अंत तक आतंकित किया जाता रहा जब तक कलमा नहीं पड़ लेते थे।
झूठ और मक्कारी भरे इतिहास से अपने को उच्च जाति कहने वाले इन लाखों लोगो को स्वयं भ्रम में नीच कहते रहे। ये नीच निम्न नहीं है, ये सम्पूर्ण सत्य हिन्दू है, ऋषिओ के बीज है। इन्हे इनका उच्च स्थान दिलाने से भारत श्रेष्ठतर होगा।
इस सत्य को उजागर करने में मेरी सहायता करे, मैंने पूरा जीवन उस भारत के वास्तविक स्वरूप के अध्ययन अनुसंधान पर लगाया है। ये हिन्दू मुसलमां का नाटक नहीं है सत्यता के ऊपर अस्त्य मिथ्या के जाली परत को हटाने का विनम्र प्रयास है। इतिहास की हजार वर्ष की भूलो और उन पर कालिख पोती गई उस अंधकार को दूर आपको ही करना है। copy paste share करे अपने नाम या पेज से लिखे पर लोगो को जागृति दें।
कोई हिन्दू नीच नहीं था ना है ना होगा। सब एक ही बीज है। धर्म की जय ही होगी अगर धर्म पालकों को स्वीकार करें। शरीर के रंग भेद में ना पड़ें ।
ये पूज्य नहीं तो और कौन हैं. इनसे बढ़ के हिन्दू कौन है? आप पढ़े लिखे संभ्रांत है ये नाम पर ना जाएं मूल षड्यंत्र को समझ लें। जो समझ गया ना मुसलमान रहेगा ना नीच ना उच्च, केवल चेतन स्वरूप जागृत मनुष्य।
सेवा करने के लिए इनकी जाति में ही जन्म लेना जरूरी नहीं. उत्तिष्ठ हिन्दू उत्तिध्ठ भारत।
Think and revise your mind set. Let us rectify history