#क्या_आप_जानते_हैं? \ud83d\ude4c
आप यह जानकर हैरान होंगे कि 1974-75 में इनकम टैक्स की सबसे ऊंची दर 97.75 फीसदी थी और उस वक्त 11 प्रकार के टैक्स स्लैब थे। इंदिरा गांधी सरकार की इस नीति से कर चोरी और काले धन की शुरुआत हुई, व्यापारी अपनी कमाई छिपाने लगे, टैक्स से बचने के विभिन्न उपाय खोजने लगे।
आज इनकम टैक्स की सबसे ऊंची दर 30 फीसदी है और सिर्फ तीन प्रकार के टैक्स स्लैब रह गए हैं।
आइए भारत के इनकम टैक्स इतिहास पर डालें एक मोटी नजर।
\ud83d\udccc 1949-50 में पहली बार भारत में घटाया गया था टैक्स :
\ud83d\udc49 इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1949-50 में पहली बार 10,000 रुपए तक की इनकम पर टैक्स की दर को एक चौथाई आना घटाया गया था।
\ud83d\udc49 पहले भारत व पाकिस्तान की मुद्रा आना थी। एक रुपया 16 आना के बराबर हुआ करता था। एक आना में चार पैसा या 12 पाई होती थी।
\ud83d\udccc 1974-75 में 6,000 रुपए तक की आय पर टैक्स खत्म किया गया :
\ud83d\udc49 1974-75 में 97.75 फीसदी की सर्वोच्च टैक्स दर को घटाकर 75 फीसदी किया गया था।
\ud83d\udc49 सभी स्लैब में टैक्स घटाए गए थे और 6,000 रुपए तक की आय पर टैक्स खत्म किया गया था।
\ud83d\udc49 उस समय 70,000 रुपए से अधिक की आय सर्वोच्च टैक्स स्लैब हुआ करता था।
\ud83d\udccc 1985-86 में टैक्स स्लैब की संख्या 8 से 4 पर आई, टॉप टैक्स रेट 50 फीसदी :
\ud83d\udc49 1985-86 में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने टैक्स स्लैब की संख्या आठ से घटाकर चार कर दी।
\ud83d\udc49 इनकम टैक्स की सर्वोच्च दर को 61.875 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी कर दिया गया।
\ud83d\udc49 18,000 रुपए तक की आय पर टैक्स नहीं।
\ud83d\udc49 18,001 रुपए से 25,000 रुपए तक की आय पर 25 फीसदी टैक्स।
\ud83d\udc49 25,001-50,000 रुपए पर 30 फीसदी।
\ud83d\udc49 50,001 रुपए-1 लाख रुपए पर 40 फीसदी।
\ud83d\udc49 1 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 50 फीसदी।
\ud83d\udccc 1992-93 में 4 से घटकर 3 स्लैब रह गया :
\ud83d\udc49 पूर्व प्रधानमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने स्लैब की संख्या 4 से घटाकर 3 कर दी।
\ud83d\udc49 30,000-50,000 रुपए के स्लैब पर 20 फीसदी टैक्स।
\ud83d\udc49 50,001 रुपए-एक लाख रुपए की आय पर 30 फीसदी।
\ud83d\udc49 1 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 40 फीसदी टैक्स।
\ud83d\udccc 1994-95 में टैक्स फ्री इनकम को बढ़ाकर 35,000 रुपए तक कर दिया गया :
\ud83d\udc49 मनमोहन सिंह ने 1994-95 में टैक्स फ्री इनकम को बढ़ाकर 35,000 रुपए तक कर दिया। टैक्स की दर नहीं बदली।
\ud83d\udc49 35,001-60,000 रुपए के स्लैब पर 20 फीसदी।
\ud83d\udc49 60,001 रुपए - 1.20 लाख रुपए के स्लैब पर 30 फीसदी।
\ud83d\udc49 1.2 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 40 फीसदी।
\ud83d\udccc 1997-98 में पी. चिदंबरम ने ड्रीम बजट पेश किया :
\ud83d\udc49 पी. चिदंबरम ने ड्रीम बजट में 15, 30 और 40 फीसदी की दर को और घटाकर 10, 20 और 30 फीसदी कर दिया।
\ud83d\udc49 40,001-60,000 रुपए के स्लैब पर 10 फीसदी।
\ud83d\udc49 60,001 रुपए से 1.5 लाख रुपए पर 20 फीसदी।
\ud83d\udc49 1.5 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 30 फीसदी।
\ud83d\udc49 उन्होंने स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 20,000 रुपए कर दिया।
\ud83d\udc49 साथ ही 75,000 रुपए तक का वेतन पाने वाले जो लोग पीएफ में 10 फीसदी अंशदान करते हैं, उनके लिए टैक्स खत्म कर दिया गया।
\ud83d\udccc 2005-06 में एक लाख तक की आय पर टैक्स खत्म :
\ud83d\udc49 पी चिदंबरम ने एक लाख की आय पर टैक्स खत्म कर दी।
\ud83d\udc49 1-1.5 लाख तक की आय पर 10 फीसदी टैक्स कर दिया।
\ud83d\udc49 1.5-2.5 लाख रुपए के स्लैब पर 20 फीसदी और 2.5 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 30 फीसदी टैक्स कर दिया गया।
\ud83d\udccc 2010-11 में 1.6 लाख रुपए तक शून्य टैक्स :
\ud83d\udc49 प्रणब मुखर्जी ने 2010-11 में 1.6 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स खत्म कर दिया।
\ud83d\udc49 इसके बाद उन्होंने 1.6-5 लाख के स्लैब पर 10 फीसदी, 5-8 लाख पर 20 फीसदी और 8 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 30 फीसदी टैक्स कर दिया।
\ud83d\udccc 2012-13 में दो लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री :
\ud83d\udc49 प्रणब मुखर्जी ने 2012-13 में दो लाख रुपए तक की आय को टैक्स फ्री कर दी।
\ud83d\udc49 2-5 लाख के स्लैब पर 10 फीसदी, 5-10 लाख के स्लैब पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर के स्लैब पर टैक्स दर 30 फीसदी निश्चित किया गया।
\ud83d\udccc 2014-15 में संपत्ति कर समाप्त :
\ud83d\udc49 अरुण जेटली ने 2016-17 से संपत्ति कर समाप्त करने की घोषणा की।
\ud83d\udc49 इसकी जगह एक करोड़ रुपए से ऊपर की कर योग्य आय वालों पर दो फीसदी का सरचार्ज लगाया।
\ud83d\udc49 इसके बाद 2016-17 से संपत्ति कर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत खत्म हो गई।
\ud83d\udccc 2017-18 में 2.5-5 लाख के स्लैब पर टैक्स रेट 10 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हुआ :
\ud83d\udc49 अरुण जेटली ने इस बजट में 2.5-5 लाख के स्लैब पर टैक्स रेट को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया।
\ud83d\udc49 इसके अलावा उन्होंने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 87ए के तहत 2.5-3.5 लाख रुपए तक की आय वालों के लिए रिबेट को 5,000 रुपए से घटाकर 2,500 रुपए कर दिया।
\ud83d\udc49 रिबेट और न्यूनतम टैक्स स्लेब की दर घटाए जाने के सम्मिलित प्रभाव से 3 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स शून्य हो गया और 3-3.5 लाख की आय वालों पर टैक्स 2,500 रुपए हो गया।
\ud83d\udccc अभी 5 लाख तक की कर योग्य आय पर टैक्स नहीं :
\ud83d\udc49 अभी 2.5 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स नहीं है। 2.5-5 लाख रुपए के स्लैब में 5 फीसदी टैक्स है। 5-10 लाख के स्लैब पर 20 फीसदी और 10 लाख से ऊपर की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है।
\ud83d\udc49 2019-20 में 5 लाख रुपए तक की सालाना आय वाले करदाताओं को 12,500 रुपए तक का टैक्स रीबेट दे दिया। इससे 5 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स खत्म हो गया।
\ud83d\udc49 इसके अलावा 2.5 लाख रुपए से ऊपर के सभी टैक्स स्लैब में 4 फीसदी सेस भी देना होता है।
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