मोदी सरकार द्वारा किसानों की हालत सुधारने के लिये तीन अध्यादेश लाएं गये हैं,जिसमे निम्नलिखित सुधार किए गए हैं...
👉1. अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी फसल बेच सकता है और मंडी के अंदर भी ।
👉2. किसान का सामान कोई भी व्यक्ति संस्था खरीद सकती है जिसके पास पैन कार्ड हो ।
👉3. अगर फसल मंडी के बाहर बिकती है तो राज्य सरकार किसान से कोई भी टैक्स वसूल नहीं सकती ।
👉4. किसान अपनी फसल किसी राज्य में किसी भी व्यक्ति को बेच सकता है ।
👉5. किसान contract farming करने के लिये अब स्वतंत्र है ।
कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष इन कानूनों के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहें है,जोकि निम्नलिखित हैं...
👉1. आरोप :- सरकार ने मंडीकरण खत्म कर दिया है..?
जवाब :-सरकार ने मंडीकरण खत्म नहीं किया, मण्डियां भी रहेंगी लेकिन किसान को एक विकल्प दे दिया कि अगर उसको सही दाम मिलता है तो वह कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है ।
👉2. आरोप :- सरकार MSP समाप्त कर रही है..?
जवाब :- मंडीकरण अलग चीज़ है,MSP न्यूनतम समर्थन मूल्य अलग चीज़ है, सारी फसलें,सब्ज़ी,फल मंडीकरण में आते हैं...MSP सब फसलों की नहीं है ।
👉3. आरोप :- सारी फसल अम्बानी खरीद लेगा..?
जवाब :- वह तो अब भी खरीद सकता, आढ़तियों को बीच में डालकर ।
यह तीन कानून किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुक्ति के कानून हैं, और सरकार के इस निर्णय से किसान बिचौलिए में चंगुल से मुक्त हो जाएंगे..!
👉क्या कांग्रेस का इन तीनों अध्यादेश के विरुद्ध किसानों को गुमराह करके भड़काना उचित है भी या नहीं..??
सन 1960-70 के आसपास देश में "कांग्रेस सरकार" ने एक कानून पास किया जिसका नाम था APMC Act,
इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया कि किसान अपनी उपज केवल सरकार द्वारा तय स्थान अर्थात सरकारी-मंडी में ही बेच सकता है, इस मंडी के बाहर किसान अपनी उपज नहीं बेच सकता,और इस मंडी में कृषि उपज की खरीद भी वो ही व्यक्ति कर सकता था जो APMC Act में रजिस्टर्ड हो, दूसरा नही...इन रजिस्टर्ड इंसानों को देशी भाषा में कहते हैं आढ़तिया यानि कमीशन एजेंट..!
इस सारी व्यवस्था के पीछे कुतर्क यह दिया गया कि व्यापारी किसानों को लूटता है इसलिये सारी कृषि उपज की खरीद बिक्री सरकारी ईमानदार अफसरों के सामने हो, जिससे सरकारी ईमानदार अफसरों को भी कुछ हिस्सा पानी मिलें..!
इस एक्ट आने के बाद किसानों का शोषण कई गुना बढ़ गया, इस एक्ट के कारण हुआ यह कि कृषि उपज की खरीदारी करनें वालों की गिनती बहुत सीमित हो गई,
मार्किट का नियम है कि अगर अपने "उत्पादक" का शोषण रोकना है तो आपको ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसमें "खरीददारों" की संख्या "अनगिनत" हो...
APMC Act से हुआ यह कि अगर किसी व्यापारी या उधोग वाले को किसी मंडी से किसान की फसल खरीदनी है तो वह किसान से सीधा नहीं खरीद सकता,उसे आढ़तियों से ही समान खरीदना पड़ता है, इसमें आढ़तियों की होती है चाँदी ही चाँदी और किसान और उपभोक्ता दोनो लुटे जाते हैं...
जब मंडी में किसान अपनी वर्ष भर की मेहनत को मंडी में लाता है तो "आढ़तिये" आपस में मिल जाते हैं,और बहुत ही कम कीमत पर किसान की फसल खरीद लेते हैं, बाद में यही फसल ऊचें दाम पर उपभोक्ता को उपलब्ध होती है, यह सारा गोरखधंधा ईमानदार अफसरों की नाक के नीचे होता है, एक टुकड़ा मंडी बोर्ड के अफसरों को डाल दिया जाता है...इस तरह की व्यवस्था में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त "मंडी बोर्ड का चेयरमैन" पूरी मलाई चाटने का काम करता था...
और यह पूरी लूट AMPC Act की आड़ में हो रही थी..!
तो डियर पप्पू जी, इस अध्यादेश से आपका दुखी होना तो लाजमी है,क्योकिं इस कानून के कारण आपकी दलाली, कमीशन, आढ़तिये की मनमानी और बेवजह की नेतागिरी का समूल नाश जो कर दिया...
आप जम के होइए दुखी,क्योकिं आपके दुखी होने से जनता को घंटा🔔 फर्क नहीं पड़ता...!!l
Aanand Sonkar