परम आदरणीय श्री अशोक जी गहलोत
मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार
आदरणीय
मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँ जो आप इस राज्य के मुख्यमंत्री
पद पर नवाजे है हमारे रक्षक बन हमारे कवच बने है आपकी संवेदनशीलता की जितनी तारीफ करूं कम ही कम लगती है देश में एक बिमारी आई कुछ समय पहले, नाम है कोरोना कहाँ से आई किसने भेजी कैसै आई पता नहीं, पर आई अब इस बिमारी में आपने अपने तन मन धन से जनता की सेवा की और जनता ने जनता की सेवा की आपकी संवेदनशील सरकार उसके मंत्री विधायक 24 घंटे जन सेवा में लगे रहे और आज भी लग रहे है, खैर वो आपका आपकी सरकार का दायित्व था उसका निर्वहन करना ही आपकी जिम्मेदारी थी | जनता ने दान देने चंदा देने मे कोई कमी तो शायद नहीं की जिससे जितना बना दिया सेवा की अब आपने एक कोष में दान लिया लोगो ने दिया पर आप भी क्या करते अब घर घर रसीद बुक लेकर तो चंदा दान इकठ्ठा कर नहीं सकते थे इसी बीच आपकी सरकार की नाव डोली, अपनो के सितम से आप को गहरे घाव लगे करोडों के कर्ज मे राज्य डूबा कभी जयपुर तो कभी जैसलमेर होटलों का खर्च, गाड़ियों का खर्च खैर आपने उसको भी बचाया, जनता पर बंदिशे डाली गयी पर आप खुले रहे | कोई नहीं अब सरकार बचाने का खर्च हो या विधायकों की विदेश यात्रा या नई गाड़ियां उनके बंगलों के खर्च जो भी पैसा तो पैसे का काम करेगा आखिर आए कहाँ से, तो आपकी सरकार ने चुना एक रास्ता जो जनता की जेब से होकर गुजरता है बिजली के बिल के जरिये, अच्छा ये आप भलिभांति जानते है की जनता बिजली प्रकाश ठंडी हवा गरम पानी टी वी मोबाइल चार्ज की इतनी आदि हो चुकी है की वो एक पल इसके बिना नहीं रह सकती भले एक टाइम खाना ना मिले कपड़े फटे हो रहने को मकान छोटा हो पर बिजली चाहिए इसे कहते हैं, संवेदनशीलता आपने जो चुना वो ऐसा चुना की कितनी हथोडे की मार मारो ये उफ्फ तक नहीं करेंगे|
शुरू हुआ ये बिजली के बिलों का खेल बिजली खर्च 500 रूपये और बिल 1500 ऱूपये रोज नये चार्ज, सर चार्ज और गलती आपकी नहीं|
महोदय मुर्दा जो होता है उसको कीडे खाए गिद्ध नोचें उसको जलाओ दफनाओ या कुछ भी करो वो उफ्फ तक नहीं करता ना ही आहें भरता है, तो आपने देख लिया, ये जनता तो मुर्दे समान है ये कभी कुछ नहीं बोलेंगी भले कैसै भी नोचें और मैं तो खुश हूँ की मेरा कुछ अंश आपके काम आ रहा है उसे आप चंदा माने दान माने हमारा क्या है सांस है तो जी रहे हैं, मर गये तो राम नाम सत्य पर आपकी संवेदनशीलता की पराकाष्ठा के आगे नत मस्तक हो गया |
आदरणीय बीते साल अक्टूबर से दिसम्बर बिलों पर फ्यूल सरचार्ज की आज घोषणा पढी़ मानो मन में मयूर नाच उठे, करतल ध्वनि से हाथों में छाले पड़ गयी चारों ओर आपकी जय जयकार से गुजंयामन सा प्रतीत हुआ बस इंतजार है आपके पिछले कार्यकाल के बिलों पर भी कोई कमी हो तो पूरी हो जाए तो मानो चार धाम की यात्रा सा सुख मिल जाए, ऐसे ही बढा़ बढा़ कर बिल आप देते रहे और हम बच्चों के पेट काट काटकर आपको देते रहें| विधुत नियामक बोर्ड ऐसे ही सुदंर सुदूर दूरगामी फैसले हमारे हित मे लेते रहें ओर हमें स्वर्ग का सुख देते रहे |
आभारी है आपके की आपकी संवेदनशील सरकार के, जो वादे तो कर गयी जब आपको गद्दी पर विराजमान होना था, पर सत्तासुख आते ही वादे हवा हो गये बिजली के बिलों के करंट ने खून में एक रवानी सी ला दी, हमें और अधिक मेहनत करने, काम करने को मजबूर कर दिया वरना हम आलसी से हो गये थे | आप आपकी सरकार समय समय पर ऐसे ही करंट के शाट लगाते रहें, जागरूक करते रहें, जिंदा तो हम है नहीं हम मुर्दों में जान डालते रहें ताकि हम ओर अधिक क्षमता से काम कर आपकी सरकार के खर्च की पूर्ति समय समय पर तय तारीख के अनुसार करते रहें और निरन्तर आपका गुणगान करते रहें |
आपके राज्य का एक निवासी आपका कमाऊ मतदाता
Gimmy chauhan