प्रफुल्ल नागडा (जैन):
Ghanshyam Prasad
#अष्टांग_योग
हमारे ऋषि मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताएँ हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं।
ये इस प्रकार हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रात्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि।
अष्टांग योग का उद्देश्य होता है शरीर के अंदर स्थित सात अदृश्य चक्रों का जागरण करना।
सात चक्र होतें हैं- मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार।
पहला चक्र है मूलाधार, जो गुदा और जननेंद्रिय के बीच होता है।
स्वाधिष्ठान चक्र जननेंद्रिय के ठीक ऊपर होता है।
मणिपूरक चक्र नाभि के नीचे होता है।
अनाहत चक्र हृदय के स्थन में पसलियों के मिलने वाली जगह के ठीक नीचे होता है।
विशुद्धि चक्र कंठ के गड्ढे में होता है।
आज्ञा चक्र दोनों भवों के बीच होता है।
जबकि सहस्रार चक्र, जिसे ब्रह्मरंध भी कहते हैं, सिर के सबसे ऊपरी जगह पर होता है, जहां पंडित जी लोग चोटी (चुंडी) रखते हैं।
इन्ही चक्रों के जागृत होने से समस्त शारीरिक और अध्यात्मिक उपलब्धियां प्राप्त होती हैं और जब इन चक्रों से होते हुए कुंडलिनी महा शक्ति गुजरती है तब सब कुछ प्राप्त हो जाता है। योग व प्राणायाम दोनों माध्यमों से चक्रों व कुण्डलिनी शक्ति का जागरण संभव होता है इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में थोड़ा समय निकालकर प्रतिदिन योग प्राणायाम जरूर करना चाहिए।
प्राणायाम के लाभ
●योग में प्राणायाम क्रिया सिद्ध होने पर पाप और अज्ञानता का नाश होता है।
●प्राणायाम की सिद्धि से मन स्थिर होकर योग के लिए समर्थ और सुपात्र हो जाता है।
●प्राणायाम के माध्यम से ही हम अष्टांग योग की प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और अंत में समाधि की अवस्था तक पहुंचते हैं।
●प्राणायाम से हमारे शरीर का संपूर्ण विकास होता है। फेफड़ों में अधिक मात्रा में शुद्ध हवा जाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
●प्राणायाम से हमारा जबरदस्त मानसिक विकास होता है। प्राणायाम करते हुए हम मन को एकाग्र करते हैं। इससे मन हमारे नियंत्रण में आ जाता है।
●प्राणायाम से शरीर की सभी बीमारियों में 9 महीने में निश्चित आराम मिलने लगता हैं।
●सुबह-सुबह थोड़ा सा व्यायाम या योगासन करने से हमारा पूरा दिन स्फूर्ति और ताजगीभरा बना रहता है। यदि आपको दिनभर अत्यधिक मानसिक तनाव झेलना पड़ता है तो यह क्रिया करें, दिनभर चुस्त रहेंगे। इस क्रिया को करने वाले व्यक्ति से फेफड़े और सांस से संबंधित बीमारियां सदैव दूर रहेंगी। हर समय अपने अंदर सुखद पाजीटिव एनर्जी महसूस होने लगती है।
सावधानियाँ - अगर आप कोई प्राणायाम या एक्सरसाइज करते है तो नीचे लिखे कुछ बातो पर जरूर ध्यान दे, नहीं तो फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है...
◆अगर आपने कोई लिक्विड पिया है चाहे वह एक कप चाय ही क्यों ना हो तो कम से कम 1 से डेढ़ घंटे बाद प्राणायाम करे और अगर आपने कोई सॉलिड (ठोस) सामान खाया हो तो कम से कम 3 से 4 घंटे बाद प्राणायाम करे।
◆अगर पेट में बहुत गैस हो या हर्निया या अपेण्डिस्क का दर्द हो या आपने 6 महीने के अंदर पेट या हार्ट का ऑपरेशन करवाया हो तो प्राणायाम न करे।
◆प्राणायाम व योग को करने के कम से कम 7 मिनट बाद ही कोई हार्ड एक्सरसाइज (जैसे दौड़ना, जिम की कसरतें आदि) करनी चाहिए !
◆प्राणायाम करते समय रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रखे और चेहरे को ठीक सामने रखे (कुछ लोग चेहरे को सामने करने के चक्कर में या तो चेहरे को ऊपर उठा देते है या जमींन की तरफ झुका देते है जो की गलत है )
◆कोई ऊनी कम्बल या सूती चादर बिछाकर ही प्राणायाम करे (जमींन पर बैठ कर प्राणायाम ना करे और प्राणायाम के 5 मिनट बाद ही जमींन पर पैर रखें)
हजारो लोग मामूली सावधानियों का पालन नहीं करते और प्राणायाम से उनको फायदे के जगह नुकसान पहुचता है। प्राणायाम एक बहुत दिव्य क्रिया है और हठ योग के अनुसार प्राणायाम करने से भी पाप जलते है जैसे की भगवान का नाम जपने से इसलिए अगर आप बहुत कमजोर नहीं है तो आप प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट कपाल भाति और 10 मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम जरूर करे। प्राणायाम का समय धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए ना कि पहले ही दिन से 15 मिनट प्राणायाम शुरू कर देना चाहिए अन्यथा गर्दन की नली में खिचाव या कोई अन्य समस्या पैदा होने का डर रहता है।
●सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन किसी भी आसन में बैठें, मगर जिसमें आप अधिक देर बैठ सकते हैं, उसी आसन में बैठें।
●प्राणायाम करते समय हमारे शरीर में कहीं भी किसी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए, यदि तनाव में प्राणायाम करेंगे तो उसका लाभ नहीं मिलेगा।
●प्राणायाम करते समय अपनी शक्ति का अतिक्रमण ना करें।
●हर साँस का आना जाना बिलकुल आराम से होना चाहिए।
●जिन लोगो को उच्च रक्त-चाप की शिकायत है, उन्हें अपना रक्त-चाप साधारण होने के बाद धीमी गति से प्राणायाम करना चाहिये।
●हर साँस के आने जाने के साथ मन ही मन में ओम् का जाप करने से आपको आध्यात्मिक एव
ं शारीरिक लाभ मिलेगा और प्राणायाम का लाभ दुगुना होगा।
●साँसे लेते समय मन ही मन भगवान से प्रार्थना करनी है कि “हमारे शरीर के सारे रोग शरीर से बाहर निकाल दें और ब्रह्मांड की सारी ऊर्जा, ओज, तेजस्विता हमारे शरीर में डाल दें”।
●ऐसा नहीं है कि केवल बीमार लोगों को ही प्राणायाम करना चाहिए, यदि बीमार नहीं भी हैं तो सदा निरोगी रहने की प्रार्थना के साथ प्राणायाम करें।