सट्टेवाज जॉर्ज सोरेस का 7 हज़ार करोड़ रूपया और भारत में जातिवादी राजनीति का संबंध...
.मित्रों क्या आपको इस बात का जरा भी एहसास हो रहा है कि आज भारत के सारे तथाकथित उदारवादी, कांगी, वामी एवं उनकी विचारधारा के मीडिया समूह सिर्फ और सिर्फ हाथरस केस में ही तांडव क्यों कर रहे हैं? जबकि उसमें सामने आ चुके कई प्रारंभिक वीडियो के आधार पर कई चीजें संदिग्ध नजर आ रही हैं। जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान में बलात्कार जैसे जघन्य और बर्बर अपराध की दर उत्तर प्रदेश से 5 गुना ज्यादा है और जिनमें से ज्यादातर में एक शांतिप्रिय समुदाय के लोग ही आरोपी होते हैं।
पिछले 15 दिन में ही वहां बलात्कार की कई बर्बर घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें से ज्यादातर नाबालिक बच्चियां हैं। लेकिन हाथरस पर नंग-नाच कर रहा यह समूह और न्यूज़ चैनल राजस्थान में हो रही घटनाओं पर एक उंगली तक नहीं उठाते...क्या आप सभी इतने विचारशून्य हैं कि ऐसी परिस्थितियां क्यों है, इस पर आपके मस्तिष्क में एक भी प्रश्न नहीं उठता!!!और जब आपके दिमाग में कोई प्रश्न ही नहीं उठेगा, तो आप उसकी तह तक जाने का प्रयास कैसे करेंगे? और जब उसकी तह तक जाने का प्रयास नहीं करेंगे तो स्वयं भ्रमित हो पूरे समाज को भी भ्रमित करते रहेंगे...
मित्रों हाथरस केस में ये तथाकथित उदारवादी एवं उनके अनुगामी न्यूज चैनल आजतक, इंडिया टीवी, NDTV या ABP न्यूज आदि नहीं बल्कि जॉर्ज सोरेस का 7 हज़ार करोड़ रूपया बोल रहा हैं...
केवल सवा 4 महीने पहले दावोस में वामपंथी लॉबी का एक अरबपति गुर्गा, सटोरिया जॉर्ज सोरोस जो फ्रांस में अनाधिकृत व्यापार की सजा भुगत चुका है, ने बाकायदा प्रेसवार्ता कर के अंतरराष्ट्रीय मीडिया के समक्ष य़ह ऐलान किया था कि वो दक्षिणपंथी ट्रंप और मोदी सरीखे राजनेताओं के खिलाफ़ अभियान चलाकर उस अभियान पर 7.1 हजार करोड़ रुपये की रकम खर्च करने जा रहा है।
उसने कहा था कि दुनिया के लिए खतरनाक भारत में राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व के उभार को दबाने कुचलने के लिए वो और ज्यादा रकम भी खर्च करने की तैयारी कर रहा है। ध्यान रहे कि मोदी के खिलाफ वो पहले से भी मोटी रकम खर्च कर रहा है और संयुक्त राज्य अमेरिका में, 2004 में राष्ट्रपति जॉर्ज डबल्यू. बुश को उनके पुनर्निवार्चित होने के प्रयास को मात देने के अभियान के लिए चंदे में एक बड़ी रकम देने के लिए भी मशहूर है। पूरी दुनिया के हिंदुत्व विरोधियों, या कह सकते हैं आज के छद्म वामपंथी और उदारवादी कहने को तो नास्तिक हैं, लेकिन उनमें से 99% किसी एक ईश्वर या किसी एक किताब के ही कट्टर अनुयायी हैं। इसके बावजूद उनके संप्रदायों या समूहों में जबरदस्त मतभेद हैं और उनके सारे गुट आपस में एक दूसरे के खून के प्यासे हैं। इनमें जबरदस्त दंगा फसाद अनवरत चलते रहते हैं, जिनमें आज तक करोड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
दूसरी तरफ हिंदुत्व है जो करोड़ों देवी-देवताओं सैकड़ों धर्म ग्रंथों के होते हुए भी किसी अदृश्य शक्ति से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हिंदू संस्कृति के पूरे इतिहास में अन्य संप्रदायों जैसे दंगे फसाद कभी नहीं हुए जिनमें सैकड़ों, हजारों और लाखों की जान गई हो। यही इन संप्रदायों के तथाकथित उदारवादी समर्थकों की सबसे बड़ी पीड़ा है, क्योंकि इस एकजुटता के चलते ही आज तक वह हिंदुओं पर पूरी तरह से हावी नहीं हो पाए हैं। इन परिस्थितियों के चलते इन लोगों ने एक षड्यंत्र के तहत भारत में जातीय वैमनस्यता बढ़ाने का लगभग डेढ़ सौ साल पहले से ही प्रयास शुरू कर दिया था। इतने सालों के प्रयासों के बावजूद भी अभी तक अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाए हैं। इसलिए यह अपने प्रयासों को लगातार बढ़ा रहे हैं, जॉर्ज सोरोस जैसे लोग उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा मात्र है।
आज उत्तरप्रदेश में इन कांगियों, वामियों और उनके द्वारा समर्थित न्यूजचैनलों का नंगनाच यह बता रहा है कि जॉर्ज सोरोस की थैली का सिक्का भारत में चलना शुरू हो चुका है। इसका प्रचंड प्रतिवाद करिए। इस सच्चाई से हर देशवासी को परिचित कराईए, ये लड़ाई केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नहीं बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज पूरी दुनिया में मोदी जी के बाद हिन्दुत्व का सबसे दमकता हुआ चेहरा बन चुके हैं। इसलिए यदि आप अपने समाज और संस्कृति का भला चाहते हैं तो अति सतर्क रहिए क्योंकि आने वाले समय में ऐसी-ऐसी चालें चली जाएंगी कि उनको समझते हुए अगर हमने पूरे होशोहवास में उनका प्रतिवाद नहीं किया तो हम शरण लेने के लिए दुनिया के किस देश में जाएंगे उसका विचार अभी से कर लेना पड़ेगा। क्योंकि कहने को तो यह लोग उदारवादी होते हैं, लेकिन जहां इनकी चालें सफल हो जाती हैं, वह क्षेत्र और देश मारकाट के ऐसे युद्ध क्षेत्र में बदल जाता है जहां सिर्फ और सिर्फ मौत का ही तांडव होता है। दुनिया में आज ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं
वंदेमातरम्