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बाल कहानियां के बारे में

इस कहानी से सीख मिलती है कि माता-पिता का कर्तव्य है कि बच्चों को बचपन से थोड़ा- थोड़ा काम करने की आदत डालें। तभी वे बड़े होकर निपुण बन सकते हैं। बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा र्हुई? बच्चों को जब घर के कार्य करने के लिए कहा गया तो वे करने के लिए तैयार तो हो गए लेकिन उन्हें कुछ भी न आता था।

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बाल कहानियां की पुस्तकें
सिंहासन बत्तीसी

सिंहासन बत्तीसी

सिंहासन बत्तीसी/सिंघासन बत्तीसी एक लोककथा संग्रह है। प्रजा से प्रेम करने वाले,न्याय प्रिय,जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी महाराजा विक्रमादित्य भारतीय लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। उनके इन अद्भुत गुणों का बखान करती अनेक कथाएं हम बचपन से

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सिंहासन बत्तीसी

सिंहासन बत्तीसी

सिंहासन बत्तीसी/सिंघासन बत्तीसी एक लोककथा संग्रह है। प्रजा से प्रेम करने वाले,न्याय प्रिय,जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी महाराजा विक्रमादित्य भारतीय लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। उनके इन अद्भुत गुणों का बखान करती अनेक कथाएं हम बचपन से

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अकबर बीरबल

अकबर बीरबल

अकबर बीरबल की कहानियां हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। बादशाह अकबर के दरबार में कई बार ऐसे पेचीदा मामलों को बीरबल ने अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई के कारण बहुत ही आसानी से सुलझाया। इनके साथ ही बीरबल ने बादशाह अकबर के द्वारा दी गई सभी चुनौतियों को सम्मान

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अकबर बीरबल

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बेताल पच्चीसी

बेताल पच्चीसी

ये कथाएं राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं। बेताल प्रतिदिन एक कहानी सुनाता है और अन्त में राजा से ऐसा प्रश्न कर देता है कि राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। उसने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो वह उससे रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेग

3 पाठक
26 रचनाएँ

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बेताल पच्चीसी

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शेखचिल्ली

शेखचिल्ली

एक बार मियां शेख चिल्ली अपने मित्र के साथ जंगल में लकड़ियाँ कांटने गए। एक बड़ा सा पेड़ देख कर वह दोनों दोस्त उस पर लकड़ियाँ काटने के लिए चढ़ गए। मियां शेख चिल्ली अब लकड़ियाँ काटते-काटते लगे अपनी सोच के घोड़े दौड़ने। उन्होने सोचा कि मै इस जंगल से ढेर

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शेखचिल्ली

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मुल्ला नसरुद्दीन

मुल्ला नसरुद्दीन

मुल्ला नसरुद्दीन के किस्सों में एक तरफ तो समूची शैली में शासकों द्वारा जनता के शोषण-उत्पीड़न और अधिकारियों की मूर्खता, लालच व बेईमानियों पर तीखे प्रहार हैं, तो दूसरी तरफ सीधे-सादे किसान, मज़दूर और आम जनता की ज़िन्दगी की कशमकश है, साथ ही निकम्मेपन,

3 पाठक
5 रचनाएँ

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मुल्ला नसरुद्दीन

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मुल्ला नसरुद्दीन के किस्सों में एक तरफ तो समूची शैली में शासकों द्वारा जनता के शोषण-उत्पीड़न और अधिकारियों की मूर्खता, लालच व बेईमानियों पर तीखे प्रहार हैं, तो दूसरी तरफ सीधे-सादे किसान, मज़दूर और आम जनता की ज़िन्दगी की कशमकश है, साथ ही निकम्मेपन,

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अलिफ लैला

अलिफ लैला

अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजा

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अलिफ लैला

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तेनालीराम

तेनालीराम

तेनाली 16वीं सदी में विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में कवी और विदूषक थे। वो बहुत ही बुद्धिमान थे और अपनी चतुराई से अपने राज्य की कई मुश्किलों को दूर भी करते थे। लोग तेनालीराम / तेनाली रमन की तुलना राजा अकबर के सलाहकार बीरबल से की जाती है जिनक

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