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भारतीय धार्मिक ग्रंथ के बारे में

साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य' सबसे उचित धारणा, अर्थात जिसे सबको धारण करना चाहिए, यह मानवधर्म हैं। "धर्म" एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। ऐसा माना जाता है कि धर्म मानव को मानव बनाता है। यह “धृ” धातु से बना है जिसका अर्थ होता है ” धारण करने वाला ” इस तरह हम कह सकते हैं कि “धार्यते इति धर्म:” अर्थात, जो धारण किया जाये वह धर्म है। हिन्दू धर्म के अनुसार लोक परलोक के सुखों की सिद्धि हेतु सार्वजानिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन करना ही धर्म है। इस दृष्टि से धर्म मनुष्य में सहिष्णुता, दया, धर्म, स्नेह, सेवा आदि सामाजिक गुणों को विकसित करता है। इसके परिणामस्वरूप समाज की व्यवस्था में शक्ति एवं क्षमता का विकास होता है। धर्म व्यक्ति के व्यवहारों को भी नियन्त्रित कर, सामाजिक नियन्त्रण में महत्वपूर्ण योगदान देता है वास्तव में धर्म का उद्देश्य सद्गति अर्थात मोक्ष प्राप्त करना है लेकिन मोक्ष प्राप्ति से पहले धर्म का उद्देश्य सभी व्यक्तियों को प्रत्येक प्राणी के प्रति संबंध,दया का ‌‌‌‌‌भाव एवं प्रत्येक के प्रति व्यवहार के बारे में ज्ञान देना है।

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भारतीय धार्मिक ग्रंथ की पुस्तकें

चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

चाणक्य का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और उन्होंने तक्षशिला में अपनी शिक्षा प्राप्त की, जिसे कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वह मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (आरसी 321-सी.297 ईसा पूर्व) के श

29 पाठक
60 रचनाएँ

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चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

चाणक्य का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और उन्होंने तक्षशिला में अपनी शिक्षा प्राप्त की, जिसे कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वह मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (आरसी 321-सी.297 ईसा पूर्व) के श

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चाणक्य के  प्रेरणात्मक सुविचार

चाणक्य के प्रेरणात्मक सुविचार

चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण

11 पाठक
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चाणक्य के  प्रेरणात्मक सुविचार

चाणक्य के प्रेरणात्मक सुविचार

चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण

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श्रीमद्भगवत गीता

श्रीमद्भगवत गीता

गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि जो भी मनुष्य भगवद गीता की अठारह बातों को अपनाकर अपने जीवन में उतारता है वह सभी दुखों से, वासनाओं से, क्रोध से, ईर्ष्या से, लोभ से, मोह से, लालच आदि के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आगे जानते हैं भगवद

7 पाठक
18 रचनाएँ

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श्रीमद्भगवत गीता

श्रीमद्भगवत गीता

गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि जो भी मनुष्य भगवद गीता की अठारह बातों को अपनाकर अपने जीवन में उतारता है वह सभी दुखों से, वासनाओं से, क्रोध से, ईर्ष्या से, लोभ से, मोह से, लालच आदि के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आगे जानते हैं भगवद

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 आरती और स्तुतियों  का  संकलन

आरती और स्तुतियों का संकलन

भारत का सर्वप्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है, 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। प्रमुख देवता शिव, विष्

7 पाठक
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 आरती और स्तुतियों  का  संकलन

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भारत का सर्वप्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है, 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। प्रमुख देवता शिव, विष्

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 व्रत कथाओं का संकलन

व्रत कथाओं का संकलन

यह संसार, यह शरीर, सुख-दुख सब परिवर्तनशील हैं। इस कारण मानव को व्रत और वेदांत दोनों की आवश्यकता होती है और होती रहेगी। व्रत और वेदांत हर परिस्थिति में मानव का संबल बनते हैं। आपने पढ़ा कि-वर्ष में २४ एकादशी व्रत होता है और २४ प्रदोष व्रत होता है। जिनम

2 पाठक
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 व्रत कथाओं का संकलन

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यह संसार, यह शरीर, सुख-दुख सब परिवर्तनशील हैं। इस कारण मानव को व्रत और वेदांत दोनों की आवश्यकता होती है और होती रहेगी। व्रत और वेदांत हर परिस्थिति में मानव का संबल बनते हैं। आपने पढ़ा कि-वर्ष में २४ एकादशी व्रत होता है और २४ प्रदोष व्रत होता है। जिनम

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भारतीय धार्मिक ग्रंथ के लेख

वह व्यक्ति विशेष है।

12 मई 2022
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सरल को कठिन बनाना आसान है, परंतु कठिन को सरल बनाना मुश्किल, और जो कठिन को सरल बनाना जानता है, वह व्यक्ति विशेष है। – आचार्य चाणक्य

दुख का कारण

12 मई 2022
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वो जो अपने परिवार से अति लगाव रखता है भय और दुख में जीता है। सभी दुखों का मुख्य कारण लगाव ही है, इसलिए खुश रहने के लिए लगाव का त्याग आवशयक है। – आचार्य चाणक्य

अहंकार किसके लिए

12 मई 2022
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जीत किसके लिए, हार किसके लिए, ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए, जो भी आया है वो जायेगा एक दिन, फिर ये इतना अहंकार किसके लिए। आचार्य चाणक्य  

दिल से उतर ही जाता है.

12 मई 2022
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मुश्किल में साथ छोड़ देने वाला चाहे कितना भी अपना क्यों न हो, दिल से उतर ही जाता है!!

लोगों से उम्मीद

12 मई 2022
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आधे दुखः गलत लोगों से उम्मीद रखने से होते हैं, और बाकी आधे सच्चे लोगों पर शक करने से होते हैं !!

लोगों से उम्मीद

12 मई 2022
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आधे दुखः गलत लोगों से उम्मीद रखने से होते हैं, और बाकी आधे सच्चे लोगों पर शक करने से होते हैं !!

चाणक्य के अनमोल विचार

12 मई 2022
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1). मित्रता बराबरीवालों से करना ठीक रहता है. सरकारी नोकरी सर्वोत्तम होती है और अच्छे व्यापार के लिए व्यवहार-कुशल होना आवश्यक है| इसी तरह सुंदर व सुशील स्त्री घर में ही शोभा देती है. 2). बुरे चरित्रवा

सुविचार (भाग 16)

12 मई 2022
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“जो समय बीत गया, उसे याद कर पछताना बेकार है अगर कोई गलती हुई भी है तो उससे सबक लेकर वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए।” आचार्य चाणक्य

सुविचार (भाग 15)

12 मई 2022
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“कोई भी व्यक्ति अपने कार्यो से महान होता है, अपने जन्म से नहीं। उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहुत निचे या बहोत उपर हो, इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकती। “एक बार यदि आपने क

सुविचार (भाग 14)

12 मई 2022
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“नौकर को बाहर भेजने पर, भाई बंधू को संकट के समय, दोस्तों को विपत्ति में और अपनी स्त्री को धन का नष्ट हो जाने पर ही परखा जा सकता हैं। हंस वही रहते है जहा पानी हो, और वो जगह छोड़ देते है जहा पानी खत्म ह

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