![मैथिली शरण गुप्त](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fusers%2F%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4_6256870e0988877e0384c7f4_1650604188928.jpg&w=384&q=75)
मैथिली शरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त जी हिंदी साहित्य के प्रथम कवि के रूप में माने जाते रहे हैं. बाल कविताओं के प्रमुख कवि और खड़ी बोली को अपनी कविताओं का माध्यम बनाने वाले प्रमुख महत्वपूर्ण कवि मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म सन 3 अगस्त 1886 ई. को झाँसी जिले के चिरगांव नामक स्थान पर एक संपन्न वैश्य परिवार में हुआ था.पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा आदि मैथिलीशरण गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हुआ करते थे. गुप्त जी की कीर्ति भारत में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय बहुत ही प्रभावशाली सिद्ध हुईं थी. इसी कारण से महात्मा गांधी जी ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानित किया था और आज भी हम सब लोग उनकी जयंती को एक कवि दिवस के रूप में मनाते हैं. सन् 1954 ई. में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. इन्होंने मात्र 9 वर्ष की आयु में शिक्षा छोड़ दी थी. इसके उपरांत इन्होने स्वाध्याय द्वारा अनेक भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया था. गुप्त जी का मार्गदर्शन मुंशी अजमेरी जी से हुआ और 12 वर्ष की आयु में ब्रजभाषा में ‘कनकलता’ नाम से पहली कविता लिखना आरंभ किया था. महादेवी वर्मा जी के संपर्क में आने से उनकी कवितायेँ खाड़ी बोली सरस्वती में प्रकाशित होना प्रारम्भ हो गया था. प्रथम काव्य संग्रह “रंग में भंग” तथा बाद में “जयद्रथ वध” प्रकाशित हुई. |
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भारत-भारती
भारत भारती, मैथिलीशरण गुप्तजी की प्रसिद्ध काव्यकृति है जो १९१२-१३ में लिखी गई थी। यह स्वदेश-प्रेम को दर्शाते हुए वर्तमान और भावी दुर्दशा से उबरने के लिए समाधान खोजने का एक सफल प्रयोग है। भारतवर्ष के संक्षिप्त दर्शन की काव्यात्मक प्रस्तुति "भारत-भारती
![भारत-भारती](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650299182729_1650299182730.jpg&w=256&q=75)
भारत-भारती
भारत भारती, मैथिलीशरण गुप्तजी की प्रसिद्ध काव्यकृति है जो १९१२-१३ में लिखी गई थी। यह स्वदेश-प्रेम को दर्शाते हुए वर्तमान और भावी दुर्दशा से उबरने के लिए समाधान खोजने का एक सफल प्रयोग है। भारतवर्ष के संक्षिप्त दर्शन की काव्यात्मक प्रस्तुति "भारत-भारती
![सैरन्ध्री](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A7%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390506443_1650390506444.jpg&w=384&q=75)
सैरन्ध्री
साहित्यकारों के लेखकीय अवदानों को काव्य हिंदी हैं हम श्रृंखला के तहत पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। हिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- मुदित, जिसका अर्थ है प्रसन्न होना, खुशी। प्रस्तुत है मैथिलीशरण गुप्त के काव्य सैरंध्री (द्रौपदी
![सैरन्ध्री](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A7%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390506443_1650390506444.jpg&w=256&q=75)
सैरन्ध्री
साहित्यकारों के लेखकीय अवदानों को काव्य हिंदी हैं हम श्रृंखला के तहत पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। हिंदी हैं हम शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- मुदित, जिसका अर्थ है प्रसन्न होना, खुशी। प्रस्तुत है मैथिलीशरण गुप्त के काव्य सैरंध्री (द्रौपदी
![मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख कविताएँ](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2596--%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%258F%25E0%25A4%2581--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390448964_1650390448964.jpg&w=384&q=75)
मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख कविताएँ
गुप्त जी कवि की यह भी अधिमान्यता है कि उसकी मातृभूमि की धूल परम पवित्र है। यह धूल शोकदार में दहते हुए प्राणी को दुःख सहने की क्षमता देती है। पाखण्डी-ढोंगी व्यक्ति भी इस धूली को तन-माथे लगाकर साधु-सज्जन बन जाता है। इस मिट्टी में वह शक्ति है जो क्रूर ह
![मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख कविताएँ](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2596--%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%258F%25E0%25A4%2581--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390448964_1650390448964.jpg&w=256&q=75)
मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख कविताएँ
गुप्त जी कवि की यह भी अधिमान्यता है कि उसकी मातृभूमि की धूल परम पवित्र है। यह धूल शोकदार में दहते हुए प्राणी को दुःख सहने की क्षमता देती है। पाखण्डी-ढोंगी व्यक्ति भी इस धूली को तन-माथे लगाकर साधु-सज्जन बन जाता है। इस मिट्टी में वह शक्ति है जो क्रूर ह
![साकेत](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390373828_1650390373828.jpg&w=384&q=75)
साकेत
'साकेत महाकवि' मैथिलीशरण गुप्त का लिखा महाकाव्य है जो 12 सर्गों में लिखा गया है। शुरुआती सर्गों में श्रीराम को वनवास का आदेश, अयोध्यावासियों का करुण-रुदन और वनगमन की झांकियां हैं। अंत के सर्गों में लक्ष्मण की पत्नी व राजवधू उर्मिला के वियोग का वर्णन
![साकेत](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390373828_1650390373828.jpg&w=256&q=75)
साकेत
'साकेत महाकवि' मैथिलीशरण गुप्त का लिखा महाकाव्य है जो 12 सर्गों में लिखा गया है। शुरुआती सर्गों में श्रीराम को वनवास का आदेश, अयोध्यावासियों का करुण-रुदन और वनगमन की झांकियां हैं। अंत के सर्गों में लक्ष्मण की पत्नी व राजवधू उर्मिला के वियोग का वर्णन
![झंकार](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%259D%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390590812_1650390590812.jpg&w=384&q=75)
झंकार
राष्ट्रकवि मैथिलीशरधा गुप्त की प्रस्तुत कविता 'झंकार' में भारतीय स्वतंत्रता-संघर्ष का स्वर नि-संदेह गुंजारित है। इस कविता में कवि की देशभक्ति स्वतंत्रता प्राप्ति की उत्कृष्ट आकांक्षा तथा भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की उत्प्रेरणा का स्वर अनुगुजित है।
![झंकार](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%259D%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390590812_1650390590812.jpg&w=256&q=75)
झंकार
राष्ट्रकवि मैथिलीशरधा गुप्त की प्रस्तुत कविता 'झंकार' में भारतीय स्वतंत्रता-संघर्ष का स्वर नि-संदेह गुंजारित है। इस कविता में कवि की देशभक्ति स्वतंत्रता प्राप्ति की उत्कृष्ट आकांक्षा तथा भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की उत्प्रेरणा का स्वर अनुगुजित है।
![पंचवटी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AA%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%259F%25E0%25A5%2580--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390621637_1650390621637.jpg&w=384&q=75)
पंचवटी
सन्दर्भ- प्रस्तुत पद 'हिन्दी काव्य' में संकलित एवं मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित खण्डकाव्य 'पंचवटी' से लिया गया है। प्रसंग- यहाँ कवि ने पंचवटी के प्राकृतिक सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया है। व्याख्या- गुप्त जी कहते हैं कि सुन्दर चन्द्रमा की किरणें जल और
![पंचवटी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AA%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%259F%25E0%25A5%2580--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390621637_1650390621637.jpg&w=256&q=75)
पंचवटी
सन्दर्भ- प्रस्तुत पद 'हिन्दी काव्य' में संकलित एवं मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित खण्डकाव्य 'पंचवटी' से लिया गया है। प्रसंग- यहाँ कवि ने पंचवटी के प्राकृतिक सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया है। व्याख्या- गुप्त जी कहते हैं कि सुन्दर चन्द्रमा की किरणें जल और
![जयद्रथ-वध](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A5-%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25A7--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2588%25E0%25A4%25A5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A3-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A4-1650390680266_1650390680266.jpg&w=384&q=75)
जयद्रथ-वध
मैथिलीशरण गुप्त की प्रारम्भिक रचनाओं में 'भारत भारती' को छोड़कर 'जयद्रथ वध' की प्रसिद्धि सर्वाधिक रही। हरिगीतिका छंद में रचित यह एक खण्ड काव्य है। कथा का आधार महाभारत है। एका दिन युद्ध निरत अर्जुन के दूर निकल जाने पर द्रोणाचार्य कृत चक्रव्यूह भेदन के
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जयद्रथ-वध
मैथिलीशरण गुप्त की प्रारम्भिक रचनाओं में 'भारत भारती' को छोड़कर 'जयद्रथ वध' की प्रसिद्धि सर्वाधिक रही। हरिगीतिका छंद में रचित यह एक खण्ड काव्य है। कथा का आधार महाभारत है। एका दिन युद्ध निरत अर्जुन के दूर निकल जाने पर द्रोणाचार्य कृत चक्रव्यूह भेदन के