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मुंशी प्रेमचंद
प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद की आरम्भिक शिक्षा का आरंभ उर्दू, फारसी से हुआ और जीवनयापन का अध्यापन से पढ़ने का शौक उन्हें बचपन से ही लग गया। 13 साल की उम्र में ही उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्यासों से परिचय प्राप्त कर लिया । १८९८ में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।१९१० में उन्होंने अंग्रेजी, दर्शन, फारसी और इतिहास लेकर इंटर पास किया और १९१९ में बी.ए. पास करने के बाद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए। प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर उनकी पहली हिन्दी कहानी सरस्वती पत्रिका के दिसम्बर अंक में १९१५ में सौत नाम से प्रकाशित हुई और १९३६ में अंतिम कहानी कफन नाम से प्रकाशित हुई। बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। प्रेमचन्द की रचना-दृष्टि विभिन्न साहित्य रूपों में प्रवृत्त हुई। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। प्रमुखतया उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्यास सम्राट’ की उपाधि से सम्मानित हुए। उन्होंने कुल १५ उपन्यास, ३०० से कुछ अधिक कहानियाँ, ३ नाटक, १० अनुवाद, ७ बाल-पुस्तकें तथा हजारों पृष्ठों के लेख, सम्पाद
![मानसरोवर भाग 1](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B0-%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2597-1--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6--1646842871173_1646842871173.jpg&w=384&q=75)
मानसरोवर भाग 1
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहा
![मानसरोवर भाग 1](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B0-%25E0%25A4%25AD%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%2597-1--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6--1646842871173_1646842871173.jpg&w=256&q=75)
मानसरोवर भाग 1
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहा
![शहीद-ए-आज़म (निबंध)](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B6%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25A6-%25E0%25A4%258F-%25E0%25A4%2586%25E0%25A5%259B%25E0%25A4%25AE--%2528%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A7%2529--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6--1647066727868_1647066727869.jpg&w=384&q=75)
शहीद-ए-आज़म (निबंध)
मुंशी प्रेमचंद भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं | जिनके युग का विस्तार सन 1800 से 1936 तक है यह कालखंड भारत के इतिहास में बहुत महत्व का है इस युग में भारत का स्वतंत्रता संग्राम नई मंजिलों से गुजरा प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था |
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![कर्बला (नाटक)](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F-%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BE-%2528%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259F%25E0%25A4%2595%2529--%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%259A%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25A6--1647067365263_1647067365263.jpg&w=384&q=75)
कर्बला (नाटक)
अमर कथा शिल्पी मुंशी प्रेमचंद द्वारा इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत का सजीव एवं रोमांच विवरण का एक ऐतिहासिक नाटक है | इस मार्मिक नाटक में यह दिखाया गया है कि उस काल के मुसलिम शासकों ने किस प्रकार मानवता प्रेमी व असहायों
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प्रेम की वेदी (नाटक)
प्रेम की वेदी प्रेमचंद का एक सामाजिक नाटक है। वैसे तो प्रेमचंद मूलतः उपन्यासकार, कहानीकार हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे हैं। प्रेमचंद स्वभावतः सामाजिक-चेतना के लेखक हैं। यही सामाजिक-चेतना उनकी रचनाओं में अलग-अलग रूप में चित्रित हुई है। प्रेम क
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