असम में जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NRC लागू हुआ तो उसके पहले राजीव गाँधी ने वहाँ के आंदोलन करियों से इसे लागू करने का समझौता किया था पर इस केस में कोई काम न करने की वजह से वहां के लोगों ने SC का रुख किया और सबूतों के आधार पर SC को 2014 में चुनी गई सरकार को इसे लागू करने का फरमान जारी करना पड़ा।
हालांकि ये :point_up_2: भी एक षड्यंत्र के तहत ही हुआ था। राजीव गांधी के जमाने से लेकर 2014 तक जो SC अपने मुंह में उनके अब्बा का दही जमाये बैठी थी उसको अब तुरंत ही NRC लागू करवाना था। षड्यंत्र ये किया गया कि कांग्रेस के हिन्दू नाम धारी गुलामों ने अपने पेपर नहीं दिए और जिन हिंदुओं ने अपने पेपर दिए उनको तीन-2 वार पेपर देने के बाद भी अपना रिकॉर्ड अपडेटेड नहीं मिला। जो भी टीम असम में NRC लागू कर रही थी उसने पूरे सधे हुए अंदाज में मोदी सरकार के खिलाफ हिंदुओं को लामबंद करने के लिए हरामीपन की हर हदें पार कर दीं।
जब NRC बनकर तैयार हुआ तो 19 लाख हिंदु जिसमें कांग्रेसी षड्यंत्रकारियों के साथ पेपर देने वाले भी शामिल थे, पर उनके पेपर, NRC बनाने वालों ने तीन-2 वार लेने के बाद भी अपडेट नहीं किये थे, घुसपैठिये साबित हो गए। अब या तो NRC वापस लिया जाता या फिर करीब 15 करोड़ घुसपैठियों को जोकि अधिकतम कांग्रेस के वोटबैंक हैं उनको भी नागरिकता दी जाती। और कांग्रेसी वोटरों को तो आप जानते ही हैं - सारे आतंकवादी, लुटेरे, षड्यंत्रकारी, देशद्रोही, पाक-प्रेमी, चोर, लव जेहादी, जनसंख्या बढाने वाले, 4 शादी वाले, सरिया मांगने वाले, रेल ट्रैक से लेकर सभी सरकारी जमीन कब्जा करने वाले, ट्रेन लूटने वाले, बलात्कारी, हरामजादे, आदि-आदि टाइप के सारे कुकर्मी ही अब कांग्रेस के वोटर बचे हैं और इन सबसे उग्रवाद/आतंकवाद करवा के खुद की राजनीति चमकाने वाले कुछ सफेदपोश, कुछ रेनकोट धारी और कुछ अनर्थशास्त्री कम एरोनॉटिकल इंजीनियर कम आलू वैज्ञानिक कम फटे तम्बू सिलने वाले सुरजेवाला टाइप रफूगर गुलाम ही अब डकैतों को मॉनिटर करते हैं, उनको काम देते हैं और उनका संरक्षण भी करते हैं .. !!
खैर, षड्यंत्र इतना गहरा था कि असम में NRC लागू कराने के लिए SC अपने बिस्तर के आकाओं के हुक्म के कारण अपने पिछवाड़े का जोर लागाये पड़ी थी और यदि मोदी सरकार उसे मजबूरी में लागू करती तो अपने ही हिन्दू भाईयों को पाकिस्तान भेजना पड़ता ऐसा षड्यंत कांग्रेस ने प्लान कर दिया था। एक पल को मान भी लेते हैं कि दाऊ को खुद प्रियंका भौजी अपने हनी ट्रैप में फंसाकर (हालांकि मुझे मादा हिजड़ा जैसी ही लगती हैं भौजी) अपने षडयंत्र से रचे NRC को लागू क़रवा देतीं तो आज कांग्रेस क्या कर रही होती भला?? कांग्रेस तब भी ऐसे ही देशभर में दंगे कराने की नाकाम कोशिश कर रही होती जो आज कर रही है बस फर्क इतना होता कि तब वो जबरन हिंदुओं की ठेकेदार बनती जैसे कि आज मुसरमानों की ठेकेदार बनी हुई है।
कोशिश तो बहुत अच्छी की थी कांग्रेसी मांकड़ों ने पर सामने दाऊ हैं ये भूल गए थे। दाऊ ने इन हरामजादों को भांप लिया था इसलिए NRC टीम पर वो कुछ भी कर लेते पर परिणाम लगभग ऐसा ही आना था क्योंकि तब लोगों के पेपर भले अपडेट हो जाते पर हिन्दू नामधारी कांग्रेसी जो पेपर दे ही नही रहे थे उनका कैसे जुगाड़ करते?, ये बात वो जान गए थे। अतः उन्होंने असम से फोकस हटा कर CAA पर ध्यान केंद्रित किया और कांगी वामी महामदरजात कुकुरमुत्तों की बाजी पलट गई। जिन हिंदुओं को ये सुअर के पिल्ले दाऊ के खिलाफ करना चाहते थे वो तो हुआ नहीं उल्टे दादी की नाक वाली भौजी के इशारे पर आतंक मचाने की वजह से अब्दुल का घर कुर्की पे आ गया तो भौजी गुपचुप तरीके से उसको मनाते घूम रही हैं।
ऐसा ही घिनौना खेल इन हरामजादों ने मीलड़वों के साथ मिलकर आरक्षण के नाम पर भी खेला था और दाऊ को दलित विरोधी साबित करने के लिए पूरे देश में अपने गुर्गों से दलितों पर अत्याचार करके स्थानीय बीजेपी सरकार या दाऊ को इसका अपराधी घोषित करा दिया था।जिसके बाद दाऊ को बिना जांच के गिरफ्तारी वाला बिल सदन में पास करना पड़ा था और ऐसा होते ही दाऊ को सवर्ण विरोधी घोषित कर दिया गया था। षड्यंत्र बहुत बड़ा था पर दाऊ ने 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण देकर इन हरामियों के मुंह पर रेडचीफ का जूता मार दिया और ये मुद्दा ही हमेशा के लिए विष की तरह शंकर बन निगल गए.. !!
CAA एक बिल नहीं है बल्कि सांपों को बिल से बाहर निकलने वाला बिजली का करंट है।
स्वागत कीजिये इस अमोघ अस्त्र का ...
भानु प्रताप सिंह