![रामधारी सिंह दिनकर](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fusers%2F61fa3920ff38892584c95918_1650364704447.jpg&w=384&q=75)
रामधारी सिंह दिनकर
दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में एक सामान्य किसान ‘रवि सिंह’ तथा उनकी पत्नी ‘मनरूप देवी’ के पुत्र के रूप में हुआ था। दिनकर दो वर्ष के थे, जब उनके पिता का देहावसान हो गया। परिणामत: दिनकर और उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी विधवा माता ने किया। दिनकर का बचपन और कैशोर्य देहात में बीता, जहाँ दूर तक फैले खेतों की हरियाली, बांसों के झुरमुट, आमों के बग़ीचे और कांस के विस्तार थे। प्रकृति की इस सुषमा का प्रभाव दिनकर के मन में बस गया, पर शायद इसीलिए वास्तविक जीवन की कठोरताओं का भी अधिक गहरा प्रभाव पड़ा। दिनकर जी की गणना आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ कवियों में की जाती है हिंदी काव्य जगत में क्रांति और और प्रेम के संयोजक के रूप में उनका योगदान अविस्मरणीय है विशेष रूप से राष्ट्रीय चेतना एवं जागृति उत्पन्न करने वाले कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है। इनकी इन्ही दो प्रवृतियों का समावेश इनकी उर्वशी और कुरुक्षेत्र नामक कृति में देखने को मिलता हैं. इनकी कृतियों के विषय खण्डकाव्य, निबंध, कविता और समीक्षा रहा हैं. तथा उन्होंने अपनी रचनाओं में वीरों के लिए क्रांति गीत वीर रस से सम्बंधित रचनाएँ लिखी।
![रश्मिरथी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A5%25E0%25A5%2580---%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647443345207_1647443345208.jpg&w=384&q=75)
रश्मिरथी
इसमें कुल ७ सर्ग हैं, जिसमे कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे स
![रश्मिरथी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25A5%25E0%25A5%2580---%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647443345207_1647443345208.jpg&w=256&q=75)
रश्मिरथी
इसमें कुल ७ सर्ग हैं, जिसमे कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है। रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और वफादारी की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है। रश्मिरथी में दिनकर ने सारे स
!['कुरुक्षेत्र'](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%2527%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B7%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%2527--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938405172_1647938405172.jpg&w=384&q=75)
'कुरुक्षेत्र'
'कुरुक्षेत्र' का प्रतिपाद्य यही है कि मनुष्य क्षुद्र स्वार्थों को छोड़कर, बुद्धि और हृदय में समन्वय स्थापित करे तथा प्राणपण से मानवता के उत्थान में जुट जाए। युद्ध एक विध्वंसकारी समस्या है, जिससे त्राण पाने के लिए क्षमा, दया, तप, त्याग आदि मानवीय मूल्
!['कुरुक्षेत्र'](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%2527%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B7%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%2527--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938405172_1647938405172.jpg&w=256&q=75)
'कुरुक्षेत्र'
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![विवाह की मुसीबतें](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938213011_1647938213011.jpg&w=384&q=75)
विवाह की मुसीबतें
विवाह की मुसीबतें यह पुस्तक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के चिन्तनपूर्ण, लोकोपयोगी निबन्धों का श्रेष्ठ संकलन है। दिनकर जी के चिन्तन-स्वरूप का विस्मयकारी साक्षात्कार करानेवाले ये निबन्ध पाठक के ज्ञान-क्षितिज का विस्तार भी करते हैं। इन निबन्धों में
![विवाह की मुसीबतें](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25B8%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938213011_1647938213011.jpg&w=256&q=75)
विवाह की मुसीबतें
विवाह की मुसीबतें यह पुस्तक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के चिन्तनपूर्ण, लोकोपयोगी निबन्धों का श्रेष्ठ संकलन है। दिनकर जी के चिन्तन-स्वरूप का विस्मयकारी साक्षात्कार करानेवाले ये निबन्ध पाठक के ज्ञान-क्षितिज का विस्तार भी करते हैं। इन निबन्धों में
![उर्वशी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%2589%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938457170_1647938457170.jpg&w=384&q=75)
उर्वशी
उर्वशी रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित काव्य नाटक है। ... पुरुरवा के भीतर देवत्व की तृष्णा और उर्वशी सहज निश्चित भाव से पृथ्वी का सुख भोगना चाहती है। उर्वशी प्रेम और सौन्दर्य का काव्य है। प्रेम और सौन्दर्य की मूल धारा में जीवन दर्शन सम्बन्धी अन्य छो
![उर्वशी](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%2589%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B6%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938457170_1647938457170.jpg&w=256&q=75)
उर्वशी
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![हुंकार](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0-%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647939038448_1647939038448.jpg&w=384&q=75)
हुंकार
रामधारी सिंह दिनकर स्वभाव से सौम्य और मृदुभाषी थे, लेकिन जब बात देश के हित-अहित की आती थी तो वह बेबाक टिप्पणी करने से कतराते नहीं थे। रामधारी सिंह दिनकर ने ये तीन पंक्तियां पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ संसद में सुनाई थी, जिससे देश में भूचाल मच गया थ
![हुंकार](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0-%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647939038448_1647939038448.jpg&w=256&q=75)
हुंकार
रामधारी सिंह दिनकर स्वभाव से सौम्य और मृदुभाषी थे, लेकिन जब बात देश के हित-अहित की आती थी तो वह बेबाक टिप्पणी करने से कतराते नहीं थे। रामधारी सिंह दिनकर ने ये तीन पंक्तियां पंडित जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ संसद में सुनाई थी, जिससे देश में भूचाल मच गया थ
![आत्मा की आँखें](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%2586%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%2586%25E0%25A4%2581%25E0%25A4%2596%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582---%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938364357_1647938364357.jpg&w=384&q=75)
आत्मा की आँखें
‘आत्मा की आँखें' में संकलित हैं डी.एच. लॉरेन्स की वे कविताएँ जो यूरोप और अमेरिका में बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकीं, लेकिन दिनकर जी ने उन्हें चयनित कर अपनी सहज भाषा-शैली में इस तरह अनुवाद किया कि नितान्त मौलिक प्रतीत होती हैं। कविताओं की भाषा गढ़ने के ल
![आत्मा की आँखें](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%2586%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25BE-%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%2586%25E0%25A4%2581%25E0%25A4%2596%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582---%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938364357_1647938364357.jpg&w=256&q=75)
आत्मा की आँखें
‘आत्मा की आँखें' में संकलित हैं डी.एच. लॉरेन्स की वे कविताएँ जो यूरोप और अमेरिका में बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकीं, लेकिन दिनकर जी ने उन्हें चयनित कर अपनी सहज भाषा-शैली में इस तरह अनुवाद किया कि नितान्त मौलिक प्रतीत होती हैं। कविताओं की भाषा गढ़ने के ल
![द्वन्द्व गीत](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25A8%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B5-%25E0%25A4%2597%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25A4-%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647939089578_1647939089579.jpg&w=384&q=75)
द्वन्द्व गीत
ऐसे समय में, जब देश के अधिसंख्य लेखक राजनीतिक विचारों के आधार पर बुरी तरह विभाजित हैं, जब लेखन और भाषण भी अपने-अपने राजनीतिक खेमों की सुविधा को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं, "द्वंद्व गीत" के शुरुआती मुक्तकों से आप दिनकर की विशिष्ट लेखकीय प्रतिबद्ध
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द्वन्द्व गीत
ऐसे समय में, जब देश के अधिसंख्य लेखक राजनीतिक विचारों के आधार पर बुरी तरह विभाजित हैं, जब लेखन और भाषण भी अपने-अपने राजनीतिक खेमों की सुविधा को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं, "द्वंद्व गीत" के शुरुआती मुक्तकों से आप दिनकर की विशिष्ट लेखकीय प्रतिबद्ध
![विविध कविताएं](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A7-%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%258F%25E0%25A4%2582--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938606876_1647938606876.jpg&w=384&q=75)
विविध कविताएं
रामधारी सिंह दिनकर साहित्य के वह सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनकी कलम में दिनकर यानी सूर्य के समान चमक थी। उनकी कविताएं सिर्फ़ उनके समय का सूरज नहीं हैं बल्कि उसकी रौशनी से पीढ़ियां प्रकाशमान होती हैं। पढ़ें उनकी लिखी कविताओं में से चुनिंदा 5 प्रसिद्ध कविता
![विविध कविताएं](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A7-%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%258F%25E0%25A4%2582--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938606876_1647938606876.jpg&w=256&q=75)
विविध कविताएं
रामधारी सिंह दिनकर साहित्य के वह सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनकी कलम में दिनकर यानी सूर्य के समान चमक थी। उनकी कविताएं सिर्फ़ उनके समय का सूरज नहीं हैं बल्कि उसकी रौशनी से पीढ़ियां प्रकाशमान होती हैं। पढ़ें उनकी लिखी कविताओं में से चुनिंदा 5 प्रसिद्ध कविता
![आधुनिक बोध](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%2586%25E0%25A4%25A7%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595-%25E0%25A4%25AC%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%25A7-%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938251502_1647938251502.jpg&w=384&q=75)
आधुनिक बोध
इस पुस्तक में आधुनिकता पर केन्द्रित निबन्ध हैं। एक युगद्रष्टा राष्ट्रकवि के मौलिक चिन्तन से ओतप्रोत विचारोत्तेजक ये निबन्ध आधुनिकता के महत्त्व को इस तार्किकता के साथ रेखांकित करते हैं कि पाठकों को अपने राष्ट्र के प्रति एक नई दृष्टि मिल सके। आधुनिकता
![आधुनिक बोध](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%2586%25E0%25A4%25A7%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595-%25E0%25A4%25AC%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%25A7-%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647938251502_1647938251502.jpg&w=256&q=75)
आधुनिक बोध
इस पुस्तक में आधुनिकता पर केन्द्रित निबन्ध हैं। एक युगद्रष्टा राष्ट्रकवि के मौलिक चिन्तन से ओतप्रोत विचारोत्तेजक ये निबन्ध आधुनिकता के महत्त्व को इस तार्किकता के साथ रेखांकित करते हैं कि पाठकों को अपने राष्ट्र के प्रति एक नई दृष्टि मिल सके। आधुनिकता
![बाल कविताएँ](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2-%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%258F%25E0%25A4%2581--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647939308263_1647939308263.jpg&w=384&q=75)
बाल कविताएँ
विश्व-कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे अतल-स्पर्शी रहस्यवादी महाकवि ने कितना बाल-साहित्य लिखा है; यह सर्वविदित है। अतः 'दिनकर' जी की लेखनी ने यदि बाल-साहित्य लिखा है तो वह उनके महत्त्व को बढ़ाता ही है। यह जरूर इस मौसिम का कोई मीठा फल होगा। मुँह सारा जल उठा
![बाल कविताएँ](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fshabd.s3.us-east-2.amazonaws.com%2Fbooks%2F%25E0%25A4%25AC%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B2-%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%258F%25E0%25A4%2581--%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25A7%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580-%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2582%25E0%25A4%25B9-%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B0-1647939308263_1647939308263.jpg&w=256&q=75)
बाल कविताएँ
विश्व-कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे अतल-स्पर्शी रहस्यवादी महाकवि ने कितना बाल-साहित्य लिखा है; यह सर्वविदित है। अतः 'दिनकर' जी की लेखनी ने यदि बाल-साहित्य लिखा है तो वह उनके महत्त्व को बढ़ाता ही है। यह जरूर इस मौसिम का कोई मीठा फल होगा। मुँह सारा जल उठा