आखिरी सैल्यूट
24 अप्रैल 2022
सआदत हसन मंटो एक इंडो-पाकिस्तानी नाटककार, लेखक और उपन्यासकार थे, जो अपनी गैर-पारंपरिक लेखन शैली के लिए जाने जाते थे। उनकी रचनाएँ उर्दू भाषा के उत्साही पाठकों के लिए जादुई शब्द हैं। 42 वर्षों के अपने अल्प-कालिक जीवन में, उन्होंने 22 से अधिक लघु कथाएँ, निबंधों के तीन संग्रह, रेडियो नाटकों की पाँच श्रृंखलाएँ, व्यक्तिगत रेखाचित्रों के दो समूह, एक उपन्यास, और फिल्म स्क्रिप्ट का एक हिस्सा भी बनाया है। उनकी बेहतरीन कहानियों को उच्च श्रेणी में रखा गया, जिससे न केवल उन्हें सफलता मिली बल्कि उन्हें सलाखों के पीछे भी पहुंचा दिया गया। वह एक ऐसा व्यक्ति था जिसने सामाजिक मुद्दों और कठिन सच्चाइयों के बारे में बात करने की हिम्मत की, जो किसी ने भी करने की हिम्मत नहीं की और अपने शब्दों और कृतियों के माध्यम से उनके बारे में जागरूकता पैदा की। वह भारत के विभाजन से बुरी तरह प्रभावित था और वीरतापूर्वक इसका विरोध करता था। उनकी अधिकांश लघुकथाएँ और नाटक देशवासियों द्वारा किए गए अत्याचार और छेड़छाड़ पर आधारित हैं, विशेषकर महिलाओं और बच्चों द्वारा विभाजन की भयावह घोषणा से पहले के दिनों में। सामाजिक मुद्दों के उनके ग्राफिक और यथार्थवादी चित्रण ने 20 वीं शताब्दी के बेहतरीन उर्दू लेखकों में से एक के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत किया।
सवाल यह हैं की जो चीज जैसी हैं उसे वैसे ही पेश क्यू ना किया जाये मैं तो बस अपनी कहानियों को एक आईना समझता हूँ जिसमें समाज अपने आपको देख सके.. अगर आप मेरी कहानियों को बर्दास्त नहीं कर सकते तो इसका मतलब यह हैं की ये ज़माना ही नक़ाबिल-ए-बर्दास्त हैं|
सवाल यह हैं की जो चीज जैसी हैं उसे वैसे ही पेश क्यू ना किया जाये मैं तो बस अपनी कहानियों को एक आईना समझता हूँ जिसमें समाज अपने आपको देख सके.. अगर आप मेरी कहानियों को बर्दास्त नहीं कर सकते तो इसका मतलब यह हैं की ये ज़माना ही नक़ाबिल-ए-बर्दास्त हैं|
यह कहानी मर्दों के शिकार पर निकली औरतों पर आधारित है। इसमें बंबई और लाहौर की उन औरतों के क़िस्से बयान किए गए हैं, जो बिना किसी वजह के राह चलते मर्दों के साथ हो लेती हैं। ये औरतें उन मर्दों के साथ अपना समय बिताती हैं, या फिर उनसे पैसे ऐंठती हैं।
यह कहानी मर्दों के शिकार पर निकली औरतों पर आधारित है। इसमें बंबई और लाहौर की उन औरतों के क़िस्से बयान किए गए हैं, जो बिना किसी वजह के राह चलते मर्दों के साथ हो लेती हैं। ये औरतें उन मर्दों के साथ अपना समय बिताती हैं, या फिर उनसे पैसे ऐंठती हैं।
सआदत हसन मंटो की बदनाम कहानियाँ है कि मंटो की यथार्थ और घनीभूत पीड़ा के ताने-बानो से बुनी गयी हैं। 'बू', 'खुदा की कसम', 'बांझा' काली सलवार, समेत कई ढ़ेर सारी कहानियां हैं। इनमें कई कहानियां विवादित रही। 'बू' ने तो उन्हें अदालत तक घसीट लिया था।
सआदत हसन मंटो की बदनाम कहानियाँ है कि मंटो की यथार्थ और घनीभूत पीड़ा के ताने-बानो से बुनी गयी हैं। 'बू', 'खुदा की कसम', 'बांझा' काली सलवार, समेत कई ढ़ेर सारी कहानियां हैं। इनमें कई कहानियां विवादित रही। 'बू' ने तो उन्हें अदालत तक घसीट लिया था।
मंटो ने भी चेखव की तरह अपनी कहानियों के दम पर अपनी पहचान बनाई. भीड़, रेप और लूट की आंधी में कपड़े की तरह जिस्म भी फाड़े जाते हैं. हवस और वहश का ऐसा नज़ारा जिसे देखने के बाद खुद दरिन्दे के सनकी हो जाने की कहानी है 'ठंडा गोश्त'. कहते हैं नींद से बड़ा क
मंटो ने भी चेखव की तरह अपनी कहानियों के दम पर अपनी पहचान बनाई. भीड़, रेप और लूट की आंधी में कपड़े की तरह जिस्म भी फाड़े जाते हैं. हवस और वहश का ऐसा नज़ारा जिसे देखने के बाद खुद दरिन्दे के सनकी हो जाने की कहानी है 'ठंडा गोश्त'. कहते हैं नींद से बड़ा क
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे।
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे।
मंटो ने लम्बे समय तक एक बेहतर दुनिया की ओर ले जाने वाली रचनाएँ लिखीं। आज भी बहुत से लोग लघु कथाएँ लिख रहे हैं। जहाँ कुछ-कुछ या सब कुछ लघु कथा से जुड़ रहा है। पाठक पर बहुत ज़्यादा ज़ोर दिये बिना सच्ची और अच्छी कहानियों को बयाँ किया जा रहा है।
मंटो ने लम्बे समय तक एक बेहतर दुनिया की ओर ले जाने वाली रचनाएँ लिखीं। आज भी बहुत से लोग लघु कथाएँ लिख रहे हैं। जहाँ कुछ-कुछ या सब कुछ लघु कथा से जुड़ रहा है। पाठक पर बहुत ज़्यादा ज़ोर दिये बिना सच्ची और अच्छी कहानियों को बयाँ किया जा रहा है।
मंटो की लोकप्रिय कहानियाँ उतनी महत्वपूर्ण है कि मंटो ने इतने बरस पहले जो कुछ लिखा उसमें आज की हकीकत सिमटी नजर आती है मंटो की लोकप्रिय कहानियाँ उतनी महत्वपूर्ण है कि मंटो ने इतने बरस पहले जो कुछ लिखा उसमें आज की हकीकत सिमटी नजर आती है
मंटो की लोकप्रिय कहानियाँ उतनी महत्वपूर्ण है कि मंटो ने इतने बरस पहले जो कुछ लिखा उसमें आज की हकीकत सिमटी नजर आती है मंटो की लोकप्रिय कहानियाँ उतनी महत्वपूर्ण है कि मंटो ने इतने बरस पहले जो कुछ लिखा उसमें आज की हकीकत सिमटी नजर आती है
"यह एक ऐसी कमसिन लड़की की कहानी है जो अपनी उमड़ती हुई जवानी से अंजान थी। उसकी माँ उससे पेशा कराती थी और वो समझती थी कि हर लड़की को यही करना होता है। उसे दुनिया देखने और खुली फ़िज़ाओं में उड़ने का बेहद शौक़ था।
"यह एक ऐसी कमसिन लड़की की कहानी है जो अपनी उमड़ती हुई जवानी से अंजान थी। उसकी माँ उससे पेशा कराती थी और वो समझती थी कि हर लड़की को यही करना होता है। उसे दुनिया देखने और खुली फ़िज़ाओं में उड़ने का बेहद शौक़ था।
24 अप्रैल 2022
24 अप्रैल 2022
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