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शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के बारे में

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर 1876 को हुगली ज़िले के एक देवानंदपुर गाँव में हुआ था। शरतचंद्र अपने माता-पिता की नौ संतानों में एक थे। बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की कथा-साहित्य की प्रस्तुति जिस रूप-स्वरूप में हुई, लोकप्रियता के तत्त

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शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की पुस्तकें
देवदास

देवदास

देवदास' शरतचंद्र की सबसे मशहूर कहानियों में से एक है। मेरी बहुत पहले से इच्छा थी कि देवदास पढूं। आखिरकार मुझे इस किताब को पढ़ने का मौका मिल गया। यह कहानी है देवदास, पार्वती (पारो) और चंद्रमुखी की। बचपन के प्यार को देवदास समझ नहीं पाता है पर जब पारो उ

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देवदास

देवदास

देवदास' शरतचंद्र की सबसे मशहूर कहानियों में से एक है। मेरी बहुत पहले से इच्छा थी कि देवदास पढूं। आखिरकार मुझे इस किताब को पढ़ने का मौका मिल गया। यह कहानी है देवदास, पार्वती (पारो) और चंद्रमुखी की। बचपन के प्यार को देवदास समझ नहीं पाता है पर जब पारो उ

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देहाती  समाज

देहाती समाज

देहाती समाज उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू

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देहाती  समाज

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देहाती समाज उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू

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परिणीता

परिणीता

'परिणीता' एक अनूठी प्रणय कहानी है, जिसमें दहेज प्रथा की भयावहता का चित्रण किया गया है। गुरूचरण बैंक में क्लर्क थे। उन्हें जब पाँचवी कन्या होने का संवाद मिला तो एक गहरी सी ठंड़ी साँस लेने की ताकत भी उनमें नहीं रही। पिछले वर्ष दूसरी कन्या के विवाह में

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परिणीता

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'परिणीता' एक अनूठी प्रणय कहानी है, जिसमें दहेज प्रथा की भयावहता का चित्रण किया गया है। गुरूचरण बैंक में क्लर्क थे। उन्हें जब पाँचवी कन्या होने का संवाद मिला तो एक गहरी सी ठंड़ी साँस लेने की ताकत भी उनमें नहीं रही। पिछले वर्ष दूसरी कन्या के विवाह में

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अनुराधा

अनुराधा

लड़की के विवाह योग्य आयु होने के सम्बन्ध में जितना भी झूठ बोला जा सकता है, उतना झूठ बोलने के बाद भी उसकी सीमा का अतिक्रमण किया जा चुका है और अब तो विवाह होने की आशा भी समाप्त हो चुकी है। ‘मैया यह कैसी बात है?’ समाज में अब यह मजाक भी निरर्थक समझा जाने

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अनुराधा

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लड़की के विवाह योग्य आयु होने के सम्बन्ध में जितना भी झूठ बोला जा सकता है, उतना झूठ बोलने के बाद भी उसकी सीमा का अतिक्रमण किया जा चुका है और अब तो विवाह होने की आशा भी समाप्त हो चुकी है। ‘मैया यह कैसी बात है?’ समाज में अब यह मजाक भी निरर्थक समझा जाने

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ब्राम्हण की बेटी

ब्राम्हण की बेटी

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। मुहल्ले में घूमने-फिरने के बाद रासमणि अपनी नातिन के साथ घर लौट रह

3 पाठक
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ब्राम्हण की बेटी

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शरत चंद्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। मुहल्ले में घूमने-फिरने के बाद रासमणि अपनी नातिन के साथ घर लौट रह

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पथ के दावेदार

पथ के दावेदार

पथेर दावी’ उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। जिस समय इस उपन्यास का प्रथम संस्क

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पथ के दावेदार

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पथेर दावी’ उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। जिस समय इस उपन्यास का प्रथम संस्क

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बिराज  बहू

बिराज बहू

बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। न

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बिराज  बहू

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बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। न

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मंझली दीदी

मंझली दीदी

प्रस्तुत उपन्यास 'मझली दीदी' एक ऐसी स्नेहमयी नारी की कहानी है जो अपनी जेठानी के अनाथ भाई को अपने बेटे के समान प्यार करने लगती है। ... इस सशक्त रचना पर 'चौखेर बाली' के नाम से बंगाली में फिल्म भी बन रही है जिसमें मझली दीदी की भूमिका हिंदी फिल्मों की प्

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प्रस्तुत उपन्यास 'मझली दीदी' एक ऐसी स्नेहमयी नारी की कहानी है जो अपनी जेठानी के अनाथ भाई को अपने बेटे के समान प्यार करने लगती है। ... इस सशक्त रचना पर 'चौखेर बाली' के नाम से बंगाली में फिल्म भी बन रही है जिसमें मझली दीदी की भूमिका हिंदी फिल्मों की प्

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शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय  की प्रसिद्ध  कहानियाँ

शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की प्रसिद्ध कहानियाँ

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय यथार्थवाद को लेकर साहित्य क्षेत्र में उतरे थे। यह लगभग बंगला साहित्य में नई चीज़ थी। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने लोकप्रिय उपन्यासों एवं कहानियों में सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया था, पिटी-पिटाई लीक से हटकर सोचने को बाध्य क

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शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय  की प्रसिद्ध  कहानियाँ

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शरत चंद्र चट्टोपाध्याय यथार्थवाद को लेकर साहित्य क्षेत्र में उतरे थे। यह लगभग बंगला साहित्य में नई चीज़ थी। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने लोकप्रिय उपन्यासों एवं कहानियों में सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया था, पिटी-पिटाई लीक से हटकर सोचने को बाध्य क

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बड़ी दीदी

बड़ी दीदी

उन के उपन्यासों की सामाजिक समस्याओं के तानबाने में उन की रोमानी प्रवृत्ति की छाप भी स्पष्ट दिखाई देती है। यह विमाता अपनी खुद की सन्तान के प्रति लापरवाह रहकर भी, सुरेन्द्र की इतनी ज्यादा फिकर करती है, जिसकी कोई सीमा नहीं। उसका खाँसना-खखारना भी उसकी न

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