परिणीता
25 जनवरी 2022
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर 1876 को हुगली ज़िले के एक देवानंदपुर गाँव में हुआ था। शरतचंद्र अपने माता-पिता की नौ संतानों में एक थे। बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की कथा-साहित्य की प्रस्तुति जिस रूप-स्वरूप में हुई, लोकप्रियता के तत्त्व ने उनके पाठकीय आस्वाद में वृद्धि ही की है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय अकेले ऐसे भारतीय कथाकार भी हैं, जिनकी अधिकांश कालजयी कृतियों पर फ़िल्में बनीं तथा अनेक धारावाहिक सीरियल भी बने। इनकी कृतियाँ देवदास, चरित्रहीन और श्रीकान्त के साथ तो यह बार-बार घटित हुआ है। शरतचंद्र की प्रतिभा उपन्यासों के साथ-साथ उनकी कहानियों में भी देखने योग्य है। उनकी कहानियों में भी उपन्यासों की तरह मध्यवर्गीय समाज का यथार्थ चित्र अंकित है। शरतचंद्र की कहानियों में प्रेम एवं स्त्री-पुरुष संबंधों का सशक्त चित्रण हुआ है। इनकी कुछ कहानियाँ कला की दृष्टि से बहुत ही मार्मिक हैं। ये कहानियाँ शरत के हृदय की सम्पूर्ण भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहानियाँ अपने बालपन के संस्मरण से और अपने संपर्क में आये मित्र व अन्य जन के जीवन से उठाई हैं। ये कहानियाँ जैसे हमारे जीवन का एक हिस्सा है ऐसा प्रतीत होता है। शरतचंद्र की कहानियों में नारी के नीचतम और महानतम दोनों रूपों के एक साथ दर्शन होते हैं। जब शरतचंद्र नारी के अधोपतन की कथा कहते-कहते उसी नारी के उदात्त और उज्ज्वल चरित्र को उद्घाटित करते हैं, शरतचंद्र ने अनेक उपन्यास लिखे हैं जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, अभागिनी का स्वर्ग, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, अनुपमा का प्रेम, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, ब्राह्मण की लड़क
देवदास' शरतचंद्र की सबसे मशहूर कहानियों में से एक है। मेरी बहुत पहले से इच्छा थी कि देवदास पढूं। आखिरकार मुझे इस किताब को पढ़ने का मौका मिल गया। यह कहानी है देवदास, पार्वती (पारो) और चंद्रमुखी की। बचपन के प्यार को देवदास समझ नहीं पाता है पर जब पारो उ
देवदास' शरतचंद्र की सबसे मशहूर कहानियों में से एक है। मेरी बहुत पहले से इच्छा थी कि देवदास पढूं। आखिरकार मुझे इस किताब को पढ़ने का मौका मिल गया। यह कहानी है देवदास, पार्वती (पारो) और चंद्रमुखी की। बचपन के प्यार को देवदास समझ नहीं पाता है पर जब पारो उ
देहाती समाज उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू
देहाती समाज उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। बाबू वेणी घोषाल ने मुखर्जी बाबू
पथेर दावी’ उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। जिस समय इस उपन्यास का प्रथम संस्क
पथेर दावी’ उपन्यास-सम्राट स्व. श्री शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की सर्वश्रेष्ठ रचना है। शरत बाबू के उच्चकोटि के, मौलिक, स्वदेशानुराग और देश सेवा के भावों से ओत-प्रोत होने के कारण इस उपन्यास का बड़ा महत्त्व समझा जाता है। जिस समय इस उपन्यास का प्रथम संस्क
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। मुहल्ले में घूमने-फिरने के बाद रासमणि अपनी नातिन के साथ घर लौट रह
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। मुहल्ले में घूमने-फिरने के बाद रासमणि अपनी नातिन के साथ घर लौट रह
प्रस्तुत उपन्यास 'मझली दीदी' एक ऐसी स्नेहमयी नारी की कहानी है जो अपनी जेठानी के अनाथ भाई को अपने बेटे के समान प्यार करने लगती है। ... इस सशक्त रचना पर 'चौखेर बाली' के नाम से बंगाली में फिल्म भी बन रही है जिसमें मझली दीदी की भूमिका हिंदी फिल्मों की प्
प्रस्तुत उपन्यास 'मझली दीदी' एक ऐसी स्नेहमयी नारी की कहानी है जो अपनी जेठानी के अनाथ भाई को अपने बेटे के समान प्यार करने लगती है। ... इस सशक्त रचना पर 'चौखेर बाली' के नाम से बंगाली में फिल्म भी बन रही है जिसमें मझली दीदी की भूमिका हिंदी फिल्मों की प्
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय यथार्थवाद को लेकर साहित्य क्षेत्र में उतरे थे। यह लगभग बंगला साहित्य में नई चीज़ थी। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने लोकप्रिय उपन्यासों एवं कहानियों में सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया था, पिटी-पिटाई लीक से हटकर सोचने को बाध्य क
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय यथार्थवाद को लेकर साहित्य क्षेत्र में उतरे थे। यह लगभग बंगला साहित्य में नई चीज़ थी। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने लोकप्रिय उपन्यासों एवं कहानियों में सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया था, पिटी-पिटाई लीक से हटकर सोचने को बाध्य क
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022
25 जनवरी 2022