सही चुपचाप रहता है और झूठा चीखता क्यों है
जिसे चाहा उसे छीना , जो पाया है सहेजा है उम्र बीती है लेने में ,मगर फिर शून्यता क्यों हैं सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देनादेने में ख़ुशी जो है, कोई बिरला सीखता क्यों है कहने को तो , आँखों से नजर आता सभी को हैअक्सर प्यार में ,मन से मुझे फिर दीखता क्यों है दिल भी यार पागल ह