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जीबन परिचय :नाम: मदन मोहन सक्सेनापिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेनाबैबाहिक स्थिति : बिबाहित पत्नी :श्री मति शिवानी सक्सेना , बेटियाँ : मार्मिका सक्सेना (बड़ी बेटी ) , सम्भबी सक्सेना ( छोटी बेटी)जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश।शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी .बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार।आत्म कथ्य: मेरा जन्म शाहजहांपुर के एक कायस्थ परिबार में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा शाहजहांपुर के राजकीय इंटर कॉलेज और बाद में गाँधी फैजान कॉलेज में की . शुरू से ही मुझे हिन्दी कबिता लिखने और सुनने का शौक रहा था। कॉलेज के दिनों में मुझे बहुत सारे पुरूस्कार मिलते रहे थे। 1992 में मेरा महाराष्ट्र आना हुआ और मैंने सर्विस ज्वाइन की . इस दौरान मेरा रुझान साहित्य की तरफ और अधिक हो गया . मैंने लगभग सारे कबियों और लेखकों की रचनाओं को करीब से अनुभव किया है . मैंने प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर के बहुत सारें कबि सम्मलेन में शिरकत की। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ . संपादन :1. भारतीय सांस्कृतिक समाज पत्रिका २. परमाणु पुष्पप्रकाशित पुस्तक:१. शब्द सम्बाद (साझा काब्य संकलन)२. कबिता अनबरत १ (साझा काब्य संकलन)३. काब्य गाथाप्रकाशाधीन पुस्तक:१. मेरी प्रचलित गज़लें२. मेरी इक्याबन गजलेंमेरा फेसबुक पेज : ( १८०० + लाइक्स)https://www.facebook.com/MadanMohanSaxena?ref=hl,जीबन परिचय :नाम: मदन मोहन सक्सेनापिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेनाबैबाहिक स्थिति : बिबाहित पत्नी :श्री मति शिवानी सक्सेना , बेटियाँ : मार्मिका सक्सेना (बड़ी बेटी ) , सम्भबी सक्सेना ( छोटी बेटी)जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश।शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी .बर्त

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ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी)

10 फरवरी 2022
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ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी)  आँख  से  अब  नहीं दिख रहा है जहाँ ,आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ  माँ का रोना नहीं अब मैं सुन पा रहा ,कान मेरे ये दोनों क्यों बहरें हुए. उम्र भर जिसको अपना मैं कहता रहा

दो पल की जिंदगी

8 फरवरी 2022
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दो पल की जिंदगी देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया माना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या   तुमको कुछ चला मालूम  कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ नहीं मालूम पा

प्यार का बंधन

17 दिसम्बर 2020
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अर्पण आज तुमको हैं जीवन भर की सब खुशियाँपल भर भी न तुम हमसे जीवन में जुदा होनारहना तुम सदा मेरे दिल में दिल में ही खुदा बनकरना हमसे दूर जाना तुम और ना हमसे खफा होना अपनी तो तमन्ना है सदा हर पल ही मुस्काओसदा तुम पास हो मेरे ,ना हमसे दूर हो पाओतुम्हारे साथ जीना है तुम्हारें साथ मरना हैतुम्हारा साथ काफ

कविता ,आलेख और मैं : प्यार जीवन की सुन्दर कहानी सी है

31 अगस्त 2018
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प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखेप्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार हैप्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए है सभीप्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है प्य

मैं , लेखनी और ज़िन्दगी : ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है

6 जून 2018
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दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल हैख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती हैअपनों संग समय गुजरे इससे बेहतर क्या होगाकोई तन्हा रहना नहीं चाहें मजबूरी बनाती हैकिसी के हाल पर यारों,कौन कब आसूँ बहाता हैबिना मेहनत के मंजिल कब किसके हाथ आती हैक्यों हर कोई परेशां है बगल बाले की

मैं , लेखनी और ज़िन्दगी : देखना है गर उन्हें ,साधारण दर्जें की रेल देखिये

17 मई 2018
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साम्प्रदायिक कहकर जिससे दूर दूर रहते थे राजनीती में कोई अछूत नहीं ,ये खेल देखिये दूध मंहगा प्याज मंहगा और जीना मंहगा हो गया छोड़ दो गाड़ी से जाना ,मँहगा अब तेल देखियेकल तलक थे साथ जिसके, आज उससे दूर हैं सेक्युलर कम्युनल का ऐसा घालमेल देखिये हो गए कैसे चलन अब आजकल गुरूओं

ग़ज़ल गंगा: चार पल की जिंदगी में चाँद सांसो का सफ़र

8 मई 2018
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प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हमदर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल सेदर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम परदोस्तों के बीच में हम जी रहे थे भूल सेबँट गयी सारी जमी फिर बँट गया ये आसमानअब खुदा बँटने लगा है इस तरह की तूल सेसेक्स की रंगीनियों के आज के इस दौर मेंस्वार्थ

कविता ,आलेख और मैं : आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से

8 मई 2018
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प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हमदर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल सेदर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम परदोस्तों के बीच में हम जी रहे थे भूल सेबँट गयी सारी जमी फिर बँट गया ये आसमानअब खुदा बँटने लगा है इस तरह की तूल सेसेक्स की रंगीनियों के आज के इस दौर मेंस्वार्थ

मैं , लेखनी और ज़िन्दगी : किसको दोस्त माने हम और किसको गैर कह दें हम

27 अप्रैल 2018
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मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है .किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है ..चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा हैतन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है ...किसको दोस्त माने हम और किसको गैर

क़यामत से क़यामत तक हम इन्तजार कर लेंगें – मदन मोहन सक्सेना

17 अप्रैल 2018
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बोलेंगे जो भी हमसे वो हम ऐतवार कर लेगेंजो कुछ भी उनको प्यारा है हम उनसे प्यार कर लेगेंवो मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो मेंक़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगेंमेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत हैउसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगेंजीवन भर क

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