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नैना का प्यार - 1

8 दिसम्बर 2021

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नैना का प्यार - 1

यह कहानी है नैना की…..

जो मुझे प्यार से डॉक्टर दीदी पुकारती है !

नैना जो रोज टाइम पर आती है, आज एक घंटा लेट हो गई ।

वह आज बहुत ही परेशान लग रही थी । आते ही वह तीन चार गिलास पानी पी गई । 

मैंने पूछा - नैना ! क्या हुआ ? तबीयत तो ठीक है ना तेरी ?

वह बोली - हां ठीक हूं । आज मेरी सास का फोन आया था ..... 14 साल में पहली बार ...... 

मैंने पूछा - ऐसा क्या हुआ जो उसको अब तेरी याद आई ?

उसने कहा - मेरी याद तो बहाना था । उसको अपने पोते को देखना है । वह कह रही थी कि एक बार मुझे अपने पोते से मिलने दे । मैं उसको देखना चाहती हूं । उसको वह सब देना चाहती हूं जिस पर उसका हक है । तू भी अब घर वापस आजा बहू ..... तुझे और अपने पोते को देखने के लिए आंखें तरस गई हैं । जो भी हुआ उसके लिए मैं तुझ से माफी मांगती हूं । आज भी तू ही मेरी पहली बहू है । तेरे जैसे सुंदर सुशील गुणवान बहू को खो कर मैं बहुत पछता रही हूं । मेरे बेटे की मति मारी गई थी जो दूसरी बहू घर ले आया ...... 

आज सब कुछ मेरे पास है । घर, दौलत, जमीन जायदाद......  पर ऐसा लगता है कि घर में सुकून नहीं है ! 

शांति नहीं है !!

वह तेरे साथ ही चली गई । 

मेरी तबीयत भी अब ठीक नहीं रहती । कभी भी मेरा बुलावा आ सकता है । 

मैं जाने से पहले....  तेरे साथ ..... और मेरे पोते के साथ...... न्याय करना चाहती हूं । 

नैना थोड़ा रुक कर उससे कहा - इतने सालों के संघर्ष के बाद अब थोड़ा संभली हूं । अमन अब 9 साल का हो गया । 

इतने साल मैं कैसे रही ? 

जिंदा थी कि मर गई ?

अमन को मैंने कैसे पाला ?

कभी भी कोई मुझसे पूछने नहीं आया । कभी हाल-चाल भी नहीं लिया । अब अचानक हक की बातें आपके मुंह से सुनकर अच्छा नहीं लग रहा सासू मां !

जब आपका बेटा मुझे अकेले छोड़ आया तब आपने क्यों मेरी सुध नहीं ली ? 

तब आपका पोता 2 महीने का था । 

नैना और अमन इतनी बड़ी दुनिया में कैसे अकेले रह रहे हैं यह कोई देखने तक नहीं आया...... 

अब जब आपके मरने का समय आ रहा है तो आप को सुकून और शांति की याद आ रही है...... 

नहीं चाहिए आपका पैसा...  घर.....  जमीन.....  जायदाद..... 

मैं इतने साल से अकेले रह रही हूं और आगे भी रह लूंगी । 

ऐसा कह कर मैंने फोन काट दिया - यह बताते बताते उसकी आंखों से आंसू झर झर गिर रहे थे । 

मैंने उसे संभाला ! बिठाया ! नाश्ता खाने को दिया साथ में चाय पिलाई ..... 

अब तक वह शांत हो चुकी थी , फिर अपने को संभालते हुए उसने पूछा - दीदी ! आज क्या बनेगा खाने में ?

मैंने सब्जी निकाल दी और अपने कमरे में आ गई । नैना को अभी 5 महीने ही हुए हैं मेरे यहां लगे । वह मेरी कुक है । नैना बहुत ही सुंदर और सुशील लड़की है । मेरी सहेली ने मुझे उससे मिलवाया था  । वह अपना काम बहुत ईमानदारी और सफाई से करती है । उसका एक बेटा है अमन...... जो अभी 9 साल का है । कभी-कभी वह भी आता है उसके साथ !

आते ही मुझे नमस्ते दीदी कहकर चुपचाप एक कोने में खड़ा हो जाता है । मैं भी उसे प्यार से अंदर बुलाती हूं और टीवी ऑन करके कार्टून लगा देती हूं । अमन को शिनचेन बहुत पसंद है ....... एक घंटा बिना हिले ढुले वह बैठकर शिनचेन देखता रहता है । 

बहुत ही सलीके दार बच्चा है ! 

बहुत ही शांत ! 

कुछ पूछो तो जवाब देता है..... 

फिर कार्टून देखने में खो जाता है ...... 

आज मैं आपको नैना की कहानी बताने जा रही हूं । नैना एक मिडिल क्लास घर की बेटी है । उसकी दो छोटी बहनें और एक भाई है । उसकी मां ने बहुत प्यार से अच्छे संस्कार से इन चारों को पाला था । उनके पिता जी मिस्त्री का काम करते थे । उनका शहर में अपना खुद का मकान था । घर में चार पांच गाय भी थी । जिनकी सेवा मां और बहनें किया करती थी । दूध बेचकर और पिताजी की आय से घर चलता था .... 

नैना जब 16 साल की हुई तब वह बहुत ही शर्मीली लड़की थी । उसका रंग गोरा था जैसे दूध मे हल्का सा केसर मिला दिया गया हो ......

वह लंबे घने बालों वाली सुंदर युवती थी !

हर कोई मोहल्ले में उसे ताड़ता रहता था क्योंकि उसकी खूबसूरती से निगाहें ही नहीं हटती थीं !

वह शरमाते हुए...... 

नीची निगाहें करके रोज ..... दूध पहुंचाने .... घर घर अपने छोटे भाई के साथ जाती थी । 

बड़ी होने के कारण पढ़ाई तो उसकी छूट ही गई थी । अब वह मां का घर में हाथ बटाती थी । 

वह घर को बहुत ही साफ और सुंदर सजा कर रखती । अपने छोटे भाइयों और बहनों को पढ़ाने के लिए अब वह भी मदद करना चाहती थी ...... 

एक दिन पड़ोस वाली विमला आंटी ने नैना की मां को कहा - मैं जहां पर काम पर जाती हूं..... वहां की कुक की तबीयत खराब हो गई है और अपनी नैना तो बहुत ही अच्छा खाना बनाती है....  क्यों ना नैना को उसके आते तक वहां काम पर लगा दूं ?

उसकी मां सोच में पड़ गई !

पैसे की कमी तो पड़ रही थी ....

उसने जवाब दिया - इसके पिता जी को पूछ कर बताती हूं । 

ऐसा कह कर उसकी मां बात को टाल गई पर नैना सब कुछ सुन रही थी । 

उसका मन था कि वह भी अपने मां बाप की कुछ मदद कर सके !

अपने भाई बहनों के लिए कुछ करे !


उस दिन शाम को जब नैना के पिताजी घर वापस आए तो नैना की मां ने चाय पिलाते हुए उनसे नैना को काम पर भेजने के विषय में बात की ... 

पर..... 

पिताजी ने साफ मना कर दिया । 


नैना की मां ने कहा - सिर्फ 15 दिनों की बात है । 

नैना बोली - हाँ पिताजी ! करके देख लेती हूँ ! नहीं जमेगा तो छोड़ दूँगी । 


माँ ने फिर समझाया और कुछ ना नूकुर के बाद पिता जी मान गए । 

उन्होंने नैना को बुलाकर कहा - बेटा ! आजकल समय अच्छा नहीं चल रहा है । तू काम करना चाहती है तो जरूर कर । 

पर हमेशा याद रखना कि तू हमारे घर की शान है !

तू हमारी इज्जत है !!

उसे हमेशा संभाल कर रखना । अपना काम काम समझ कर नहीं सेवा समझ कर करना ।  जैसे इस घर को साफ सफाई से रखती है वहां भी ऐसे ही रखना और प्यार से खाना बनाना । ईमानदारी से काम करना । काम पूरा होते ही सीधे घर वापस आ जाना ।  

पिताजी ने बेटी को समझाइश दी .... 


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नैना का प्यार
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यह नैना नाम की एक लड़की की प्रेम कथा है । जो स्वप्न और भावनाओं के मृदुल आकाश मे चालू होती है और आगे बढ़ते बढ़ते जब जिंदगी की कठोर वास्तविकता के धरातल को स्पर्श करती है तो कई चीजों के मायने बदल जाते हैं । जो प्रेम कभी स्वर्ग से भी सुंदर लगता था वही जीवन में ऐसी परिस्थितियां खड़ी कर देता है जिसके विषय में उसने सोचा भी नहीं था। आइए देखते हैं कि नैना के साथ क्या हुआ ........

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