shabd-logo

अब मैं समझा (हिरण)

20 सितम्बर 2022

26 बार देखा गया 26

वाह। मेरे सिंग कितने सुंदर हैं। 

इनसे मैं कितना अच्छा दिखता हूं। 

                   लेकिन मेरी टांगें कितनी भद्दी और पतली है । 

                 इन्हें देखकर तो खुद पर शर्म आती हैं । 

अरे । यह तो शिकारियों की बंदूक की आवाज है। 

हाय। मेरे सिंग तो झरिया में फंस गए। अब क्या करूं। 

                शिकारी तो पास आ रहे हैं। ज़ोर लगाता हूं । 

  मैं अपनी सींगो पर कितनी इतरा रहा था 

पर आज इन्ही की वजह से मेरी जान जा सकती थी । 

                 इन टांगो पर मुझे शर्म आ रही थी 

                 लेकिन इन्ही ने मेरी जान बचाई। 

अब मैं समझा सुंदरता का मतलब ।  

   

Rahul kumar manjhi की अन्य किताबें

1

matri bhumi

20 सितम्बर 2022
0
0
0

m

2

मेरा घर

20 सितम्बर 2022
0
0
0

सबसे पहले मेरे घर का  अंडे जैसा था आकर  तब मैं यही समझती थी बस  इतना सा ही है संसार ।                              फिर मेरा घर बना घोंसला                               सूखे तिनकों से तैयार      

3

मन करता है

20 सितम्बर 2022
0
0
0

मन करता है  पंछी बन उड़ जाएं हम  सूरज चंदा से बतियाते दूर दूर हो आएं हम,  मन करता है ।          दूर देश रहती है पारियां          लाल, रूपहली सुंदर पारियां          जादू की छड़ लिए हाथ में     

4

अब मैं समझा (हिरण)

20 सितम्बर 2022
0
0
0

वाह। मेरे सिंग कितने सुंदर हैं।  इनसे मैं कितना अच्छा दिखता हूं।                     लेकिन मेरी टांगें कितनी भद्दी और पतली है ।                   इन्हें देखकर तो खुद पर शर्म आती हैं ।  अरे । यह तो

---

किताब पढ़िए