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सबसे पहले मेरे घर का अंडे जैसा था आकर तब मैं यही समझती थी बस इतना सा ही है संसार । फिर मेरा घर बना घोंसला सूखे तिनकों से तैयार
मन करता है पंछी बन उड़ जाएं हम सूरज चंदा से बतियाते दूर दूर हो आएं हम, मन करता है । दूर देश रहती है पारियां लाल, रूपहली सुंदर पारियां जादू की छड़ लिए हाथ में
वाह। मेरे सिंग कितने सुंदर हैं। इनसे मैं कितना अच्छा दिखता हूं। लेकिन मेरी टांगें कितनी भद्दी और पतली है । इन्हें देखकर तो खुद पर शर्म आती हैं । अरे । यह तो