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अपने और बेगाने ~ ✍ शैलेन्द्र गौड़

1 दिसम्बर 2021

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 अपने और बेगाने में फर्क है बस इतना,

बेगाने देते साथ अपने देते देखो कितना!

 चंद दिनों के मेले हैं जीवन के झमेले हैं,

ज्ञानी बन के भी हम न सीख सके जीना!


कुछ कमियां दिखती है अपने ही अंदर,

झूठ की दीवारों पे उछल रहे बन बंदर !

दिन प्रतिदिन तोड़ते हां विश्वास की डोरी,

अपने और बेगाने की सोच पाले हैं अन्दर!


स्वरचित मौलिक रचना

 शैलेन्द्र गौड़

अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)

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अपने और बेगाने ~ ✍ शैलेन्द्र गौड़

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<p><br></p> <p><br></p> <p> अपने और बेगाने में फर्क है बस इतना,</p> <p>बेगाने देते साथ अपने देत

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